Bhopal Theft Case: “दिग्विजय” बोले “शिवराज” कहेंगे तभी आवेदन लेंगे

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Bhopal Theft Case: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में थानों की हालत बदतर, दर्ज नहीं होती एफआईआर

Bhopal Theft Case
चोर यह सामान कमरे से निकालकर बाहर लाए फिर इत्मीनान से तलाशी लेने के बाद सोने—चांदी के जेवरात बटोर ले गए

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में दो बड़े चेहरे हैं। एक चेहरा भारतीय जनता पार्टी से मुख्यमंत्री के रुप में शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) है। मुख्यमंत्री जनता के बीच काफी चर्चित भी है। उनका नाम काफी सम्मान पा चुका है। वहीं दूसरा चेहरा मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former CM Digvijay Singh)। पूर्व मुख्यमंत्री जब भी कोई बयान देते हैं तो वह बड़ा समाचार भी बन जाता है। इन्हीं दो नाम का संयोग भोपाल के चूना भट्टी थाने में हैं। यहां हवलदार और थाना प्रभारी का नाम पुकारते वक्त अफसर भी कई बार झेप जाते हैं। दूसरा संयोग सोमवार को एक चोरी के मामले में फरियादी के सामने आ गया। यह संयोग चोरी की एक घटना में हुआ। जिसकी एफआईआर थाना पुलिस ने घंटों मशक्कत के बाद भी दर्ज (Bhopal Theft Case) की। आलम यह था कि पुलिस आवेदन स्वीकारने को तैयार नहीं थी। यह हालात केवल भोपाल के इस थाने में नहीं हैं। दूसरे थानों में भी मुकदमा दर्ज नहीं हो रहा।

एक्शन की बजाय एडवाइस

घटना रविवार—सोमवार की दरमियानी रात लगभग तीन बजे की है। राजधानी भोपाल के चूना भट्टी थाना क्षेत्र में भूमि एवं जल प्रबंध संस्थान वाल्मी परिसर है। इस परिसर में कर्मचारियों के आवास भी बने हैं। एक आवास कृष्णा तिमिलसेना का भी है। उन्होंने बताया कि चोरों की संख्या दो थी। आहट होने पर बदमाशों को उन्होंने भागते देखा था। इसकी शिकायत डायल—100 में की। जिसके बाद चूना भट्टी थाने में एफआईआर दर्ज कराने बेटा तुषार तिमिल्सेना (Tushar Timilsena) पहुंचा। लेकिन, एफआईआर और एक्शन करने की बजाय थाना पुलिस एडवाइस देती रही।

बिल और नोट का नंबर मांगा

पुलिस का विजन और मिशन से हर कोई परिचित होता है। लेकिन, कभी—कभी वह चुटकुला भी बन जाता है। ऐसा ही एक अन्य चुटकुला चूना भट्टी थाना पुलिस ने बना दिया। चोरों को नजरों के सामने देखने से दहशत में आया पीड़ित परिवार जब थाने पहुंचा तो उन्हें बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। परिवार ने बताया कि आवेदन में पुलिस का कहना था कि उन्हें आभूषण के बिल चाहिए। इसके अलावा चोरी गई नकदी के नोट के नंबर देने होंगे। हालांकि जब थाना पुलिस से कहा गया कि यह अव्यवहारिक सवाल है तो वह पुलिसिया अंदाज में पेश आने लगे।

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आवेदन स्वीकारने को तैयार नहीं

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चूना भट्टी थाना पुलिस ने एफआईआर की बजाय पहले इस तरह का आवेदन लिखने के लिए पीड़ित परिवार को मजबूर किया

तुषार ने बताया कि घर से करीब तीन तौला वजनी जेवरात और नकदी चोर ले गए हैं। जिसकी कीमत पुलिस ने सही नहीं लिखी है। पुलिस आवेदन लेने को तैयार नहीं थी। थाने में उस वक्त हवलदार दिग्विजय वैष्णव थे। दिग्विजय वैष्णव ने कहा कि एफआईआर टीआई शिवराज सिंह (TI Shivraj Singh) के आने पर भी होगी। टीआई से जब परिजनों ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि पुलिस मौके पर आकर निरीक्षण करेगी। उसके बाद मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा। आवेदन स्वीकारने से भी थाना पुलिस ने इंकार कर दिया था।

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फोन लगाकर थाने बुलाया

पहले पुलिस आवेदन लेने को तैयार नहीं थी। फिर इस घटना की जानकारी सोशल मीडिया में वायरल की गई। उस व्हाट्सअप ग्रुप में भी यह जानकारी पहुंची जिसमें भोपाल पुलिस के अधिकारी थे। इस प्रयास का असर यह हुआ कि पुलिस ने आवेदन जिसमें सील नहीं लगा रही थी उसके फरियादी को फोन लगाकर घर से बुलाया गया। हवलदार दिग्विजय वैष्णव (Head Constable Digvijay Vaishnav) ने मुकदमा दर्ज करके एफआईआर की कॉपी दी। हालांकि इस पूरी कवायद में चार घंटे लगे।

वारदात से खुली वाल्मी की पोल

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यह है वह आवेदन जब पुलिस लापरवाही सोशल मीडिया में उजागर हुई तो मुकदमा दर्ज किया गया। चोरों का पता लगाना तो दूर की बात रही।

भूमि एवं जल प्रबंध संस्थान में कृषि से संबंधित शिक्षा, प्रशिक्षण और अन्य कार्य होते हैं। इस संस्थान की कॉलोनी में कई बार चोरी की वारदातें हो चुकी है। जिसके बाद यहां सुरक्षाकर्मियों को तैनात किए जाने का फैसला लिया गया। खबर है कि इस तैनाती की आड़ में बंदरबाट चल रहा है। यहां जितनी क्षमता के गार्ड की तैनाती का ठेका हुआ है उतनी संख्या में कर्मचारी नहीं हैं। वारदात की खबर सुरक्षाकर्मियों को भी मिली थी। लेकिन, उन्होंने उतनी सक्रियता नहीं दिखाई।

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गृहमंत्री और डीजीपी जहां वहां यह हालात

चूना भट्टी स्थित कृष्णा तिमिल्सेना (Krishna Timilsena) के निवास पर हुई चोरी के मामले में पुलिस का जो रवैया रहा वह लगभग हर थाने में बना हुआ है। यह हाल मध्य प्रदेश (MP Stolen Case) की राजधानी भोपाल (Bhopal Stolen Case) का है। जहां पुलिस महकमे के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, डीजीपी विवेक जौहरी से लेकर तमाम अन्य अफसर मौजूद रहते हैं। गृहमंत्री ने पिछले दिनों एफआईआर आपके द्वार योजना (FIR Aapke Dwar) शुरु की थी। लेकिन, यह घटना गृहमंत्री की योजना की हकीकत बयां कर रही है।

लूटा पर एफआईआर नहीं

यह पहला मामला नहीं है जिसमें एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इससे पहले गैंगरेप जैसी घटनाओं पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। लापरवाह अफसरों को सजा के बाद वापस मैदान में तैनात कर दिए गए। इसी तरह का एक मामला निशातपुरा थाने से भी सामने आया। यहां चैकिंग के दौरान शातिर चोर राजू को दबोचा गया। राजू के पास से सोने—चांदी के जेवर, नकदी मिली थी। उसने बताया कि यह रकम उसने हनुमानगंज (Hanumanganj Loot Case) इलाके में वृद्धा से लूटी थी। थाने में पता किया गया तो खबर मिली कि वहां मुकदमा दर्ज ही नहीं था। गुपचुप तरीके से चोर को अदालत में पेश करके जेल भेज दिया।

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