Bhopal Crime News:जिसके खिलाफ थानों में शिकायत, उसके लिए पुलिस की दरियादिली

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Bhopal Crime News: एसपी से लेकर एसडीओपी को शिकायत, जांच अधिकारी पर सिविल प्रकरण से संबंधित सबूत कब्जे में लेने गंभीर आरोप

Bhopal Crime News
सांकेतिक चित्र

भोपाल। पुरानी कहावत है कि ‘दूध की रखवाली बिल्ली को सौंप दी’। यह कहावत मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) पुलिस के बैरागढ़ थाना प्रभारी पर सटीक बैठती है। दरअसल, मामला पूरा सिविल से जुड़ा होने के बावजूद पुलिस के अफसर पूरी ईमानदारी के साथ कथित जांच कर रहे है।

हालांकि इस जांच को लेकर संगीन शिकायत शहर के आला अफसरों से हुई है। लेकिन, जांच अधिकारी को बदलने का साहस किसी भी अफसर ने अब तक नहीं लिया है। पुलिस की इस दरियादिली के पीछे शहर के कुछ रसूखदारों का हाथ बताया जा रहा है। मामला एक सूद पर पैसा देने वाले लायसेंसी व्यापारी से जुड़ा है। आरोप है कि पुलिस के अफसर व्यापारी पर अपनी पुरानी रकम को भूलने का दबाव बना रहे हैं। इससे पहले पुलिस अफसरों ने व्यापारी के सारे सबूत अपने कब्जे में ले लिए हैं।

यहां से शुरु हुई घटना

बैरागढ़ थाना क्षेत्र स्थित सीआरपी कॉलोनी निवासी मनोज वरधानी (Manoj Vardhani) सराफा चौक में आभूषण कारोबारी थे। साथ में वह ब्याज पर पैसा देने का भी काम करते है। सराफा का कारोबार उन्होंने 2010 से 2014 के बीच किया। इसी दौरान मनोज वरधानी की पहचान धीरज ऐश्वे (Dheeraj Aishwe) से हुई थी। दरअसल, धीरज ऐश्वे फैक्ट्री से कच्चा माल लेकर रिफाइन करके चांदी निकालता था। इस कारण मनोज वरधानी और धीरज ऐश्वे के बीच आपस में लेन—देन (Bhopal Moneylander Case) भी होता था। इसी लेन—देन में धीरज ऐश्वे ने 2016 में करीब 96 ग्राम सोना गिरवी रखकर दो लाख रुपए उधार (Bhopal Crime News) लिए थे। यह बकायदा छह महीने के भीतर वापस लौटाने के अनुबंध पर दिया गया था।

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पैसा चुकाने से पहले गायब

मनोज वरधानी ने बताया कि धीरज ऐश्वे उन्हें नहीं मिला। उसने अपने ठिकाने भी बदल लिए थे। वह शहर के कुछ रसूखदारों के साथ कारोबार करने लगा था। जिसमें उनके साथ हेर—फेर (Bhopal Sahukari Case) हुई थी। इसमें शिकायत होने पर वह रसूखदारों से बचने के लिए भूमिगत हो गया था। इसी बीच मनोज वरधानी को सराफा का काम बंद करना पड़ा। मनोज की मां बीमार हो गई। चारों तरफ से परेशानी से घिरा होने पर वह बीमार हो गया और चिरायु अस्पताल (Chirayu Hospital) में भर्ती हो गया। ठीक होने के बाद साहूकारी का कारोबार उसने फिर शुरु किया। तभी मनोज ऐश्वे दोबारा उसके पास आया। पुराना कर्ज चुकाने के वादे के साथ नए कर्ज की मांग करते हुए उसने करीब साढ़े चार लाख रुपए दोबारा लिए।

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एसआई पर संगीन आरोप

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धीरज ऐश्वे ने इस रकम के बदले में दो चैक दिए थे। यह चैक अक्टूबर, 2020 में बाउंस (Bhopal Check Bounce Case) हो गए। जिसके संबंध में बैरागढ़ (Bairagarh Sahukari Case) थाने में मनोज वरधानी की तरफ से शिकायत की गई। इस शिकायत के बाद मामला अचानक पलट गया। मनोज वरधानी का आरोप है कि मामले की जांच एसआई प्रियंका राय (SI Priyanka Rai) के पास है। जिन्होंने धीरज ऐश्वे के रसूख के प्रभाव में आकर उसके पास मौजूद सारे दस्तावेज और सबूत के काम आने वाले कागजात अपने कब्जे में ले लिए। इतना ही नहीं उससे कोरे कागज पर हस्ताक्षर (Bhopal Crime News) भी कराने के लिए मजबूर किया गया।

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मनोज का आरोप है कि धीरज ऐश्वे के खिलाफ कोहेफिजा समेत अन्य थानों में चैक बाउंस के केस चल रहे हैं। इसके बावजूद उसको पुराने सोने के गिरवी (Bhopal Gold Mourtgage) रखने के मामले में मौजूदा कीमत के अनुसार चुकाने का दबाव बनाया जा रहा है।

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काफी देर आया ही नहीं याद

मनोज वरधानी ने उसके साथ हो रही साजिश की शिकायत पुलिस अधीक्षक उत्तर भोपाल, एएसपी जोन—3 के अलावा एसडीओपी बैरागढ़ अंतिमा समाधिया (Bairagarh SDOP Antima Samadhiya) से भी किया है। आरोपों पर प्रतिक्रिया के लिए बैरागढ़ एसडीओपी से चर्चा की गई। काफी देर तक उन्हें प्रकरण ही याद नहीं आया। जब आवेदन पढ़कर बताया गया तो उन्हें पूरा प्रकरण याद आ गया। एसडीओपी का कहना था कि अभी उनके पास बैरागढ़ टीआई का जांच प्रतिवेदन मिला ही नहीं है। यदि मामला सिविल का होगा तो उस लिहाज से फैसला लिया जाएगा। लेकिन, जांच अधिकारी पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया बैरागढ़ एसडीओपी ने नहीं दी।

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