क्या भाजपा के लिए निर्भया कांड साबित होगा उन्नाव केस?

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kuldeep sengerअंकुश मौर्य
उन्नाव रेप एंड एक्सीडेंट केस में कानूनी और प्रशासनिक मोर्चे पर जितनी हलचल है, उससे कहीं ज्यादा तूफान राजनीतिक हलकों में मचा हुआ है। बीते 10 साल की राजनीतिक रस्साकशी के गंभीर दर्शक जानते हैं कि देश में घटनाओं को अलग—अलग चश्मे से देखने और पक्ष तय करने की कोशिशों और कार्यक्रमों ने कई सत्ताएं गिराईं, हिलाईं और बनाईं हैं। इसी इतिहास को देखते हुए यह सवाल भी हवाओं में है कि क्या उन्नाव का रेप एंड एक्सीडेंट केस भाजपा के लिए ठीक वैसी ही स्थिति खड़ी कर रहा है, जो 2012 के बाद यूपीए सरकार के लिए निर्भया मामले ने बनाई थीं! यानी क्या उन्नाव केस मौजूदा सत्ता के लिए निर्भया कांड साबित होगा!

इस सवाल का जवाब किसी राजनीतिक चश्मे से खोजने से पहले तथ्यों पर निगाह डालना बेहद जरूरी है। फिलवक्त सुप्रीम कोर्ट के दखल और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजग गोगोई के ताबड़तोड़ फैसलों के बीच भाजपा ने अपने विधायक के खिलाफ कार्रवाई की है। विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पार्टी से बर्खास्त कर दिया गए हैं, लेकिन इस फैसले की देरी सवालों के घेरे में हैं, तो वहीं इसे डैमेज कंट्रोल की कोशिशों के तौर पर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर पार्टी की लेटलतीफी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और फैसले केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों के लिए नई परेशानियां खड़ी कर रहे हैं।

गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सीबीआई डायरेक्टर से बात करने के निर्देश दिए। सीजेआई ने सड़क हादसे की जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी। जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जांच उत्तरप्रदेश में चल रही है। लिहाजा प्रगति रिपोर्ट लखनऊ में हैं। उन्होंने एक दिन का वक्त मांगा, लेकिन सीजेआई ने दोपहर दो बजे तक सभी रिपोर्ट्स तलब करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्नाव मामले के सभी पांचों केस दिल्ली ट्रांसफर करने के आदेश दिए। पीड़िता के इलाज पर संवेदनशील रुख अपनाते हुए सीजेआई ने एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाने पर भी राय मांगी। वहीं रविवार को इस मामले से जुड़े अहम किरदारों के सड़क हादसे पर जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 7 दिन का समय दिया है। हालांकि सॉलिसिटर जनरल एक महीने का वक्त चाहते थे।

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बहरहाल, यह सारे तथ्य जहां प्रशासन को कठघरे में खड़े करते हैं वहीं सुप्रीम कोर्ट पर जनता के भरोसे को मजबूत करते हैं। लेकिन सवाल यहां प्रशासन या अदालत के बीच की जिरह का नहीं है।

BJP Leaders सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लेकर सड़क पर तक जिस तरह की राजनीति गरमाई हुई है, उससे साफ है कि विपक्ष और खासकर कांग्रेस—सपा इस संवेदनशील मामले को सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने में कोई राजनीतिक चूक नहीं करना चाहता है। ठीक वैसे ही जैसे निर्भया कांड को तत्कालीन यूपीए और दिल्ली की शीला सरकार की असफलता के रूप में उस वक्त के विपक्ष ने भुनाया था। दिलचस्प यह भी है कि इस बीच आए तीन तलाक बिल की सफलता का राजनीतिक मुहावरा भी भाजपा जनता तक नहीं पहुंचा पाई थी कि जनता की ओर से उन्नाव रेप पीड़िता के लिए न्याय की गुहार के संदेश वायरल होने लगे थे। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी भी खासी चर्चित हो रही है। साथ ही भाजपा से जुड़ी महिला नेताओं की चुप्पी पर बनाए गए मीम्स भी वायरल हो रहे हैं।

कुल मिलाकर माहौल में गर्मी बरकरार है और जानकारों का मानना है कि विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ कार्रवाई में देरी की भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। भाजपा के सोशल मीडिया विंग ने तीन तलाक की सफलता को भुनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिस्कवरी के लोकप्रिय शो के प्रजेंटर बियर ग्रिल के साथ बनी डॉक्यूमेंट्री को प्रचारित करने की योजना थी। लेकिन इसी बीच उन्नाव के एक्सीडेंट ने हवा रुख मोड़ दिया है। ऐसे में जो सोशल मीडिया एक समय में भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की ताकत हुआ करता था, अब वही उनके लिए कांच का टुकड़ा बन चुका है, जो फिलहाल हलक में अटका हुआ है।

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