Big Breaking: सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम लगाएगा अमरीका का SMART ACT, भारत में कब आएगा विधेयक?

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जानिये ​क्या ​है SMART ACT बिल में और आपको कैसे करेगा प्रभावित

Smart Act
बिल का पहला पन्ना

सचिन श्रीवास्तव
नई दिल्ली।
अमरीकी संसद में सोशल मीडिया कंपनियों की धांधली रोकने के लिए कानूनी प्रयास (SMART ACT) शुरू कर दिए हैं। इसमें गैरजरूरी फीचर्स के अलावा यूजर्स की निजता में दखल की कोशिशों पर लगाम लगाना भी शामिल है। इसके लिए स्मार्ट एक्ट (SMART ACT) नाम का बिल संसद में लाया गया है। उम्मीद है कि यह पूरी दुनिया में सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम कसने में मददगार होगा। अमरीका की देखा देखी अब बाकी देशों की सरकारें भी सोशल मीडिया के नियमन का बिल (SMART ACT) लाएंगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है।

रिपब्लिकन सीनेटर जोश हॉले ने बीते मंगलवार को “सोशल मीडिया की लत” के खिलाफ अमरीकी संसद में एक नया बिल (SMART ACT)  पेश किया है। इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सिलिकॉन वैली के बढ़ते दबदबे पर लगाम कसने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इस विधेयक का नाम सोशल मीडिया एडिक्शन रिडक्शन टेक्नोलॉजी एक्ट (स्मार्ट एक्ट SMART ACT) है। इस विधेयक के जरिये सोशल मीडिया कंपनियों की अपने यूजर को ज्यादा से ज्यादा अपने फोरम का उपयोग करने के लिए किए जाने वाले गैरजरूरी प्रयासों पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है। जैसे कि YouTube के “ऑटोप्ले” फीचर या स्नैपचैट के “स्नैपस्ट्रेक्स” पर इस बिल के बाद लगाम लग जाएगी।

Smart Actसोशल मीडिया कंपनियों पर कानूनी शिकंजा
इस बिल के आने के बाद तकनीकी दिग्गज कंपनियों को समाज में विघटन, घृणा फैलाने वाले भाषण और यूजर के डेटा की जानकारी के मामलों में जांच का सामना करना पड़ेगा। यह बिल सोशल मीडिया कंपनियों को तीन महीने का समय देगा, जिसमें कि वे अनैतिक, बिल के मुताबिक गैरकानूनी और गैरजरूरी हिस्सों को बंद कर सकें या उन्हें बदल सकें। इसमें साफ कहा गया है कि “इंसान के मनोविज्ञान या दिमाग की कमजोरियों का फायदा उठाने वाली कोशिशों” को खत्म होगा। इनमें ऑटोप्ले, सेल्फ-पॉपुलेटिंग फीड्स और वर्चुअल अवार्ड्स जो प्लेटफॉर्म के साथ निरंतर जुड़ाव से जुड़ा हुआ है। इसके लिए कंपनियों को उन विशेषताओं को रोल आउट करने की भी आवश्यकता होगी जो उपयोगकर्ताओं को साइट में बिताए समय पर सीमाएं निर्धारित करने की अनुमति दें या सूचनाओं के साथ आवेदन करें जो यह दर्शाती है कि उपयोगकर्ता ने हर दिन कितना समय लॉग इन किया है। इसके साथ ही कंपनियों को अपनी साइट या एप से ऐसे फीचर्स भी हटाने होंगे जो यूजर्स ने कितना टाइम साइट या एप पर गुजारा इसका नोटिफिकेशन देते हैं।

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14 पन्नों के बिल में हैं 6 सेक्शन
14 पन्नों का यह बिल सोशल मीडिया पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। इस बिल में 6 सेक्शन हैं।
पहले सेक्शन में बिल का शॉर्ट नेम और कुछ तथ्यों व नतीजों को सामने रखा गया है। इसमें पाया गया है कि सोशल मीडिया कंपनियों का उद्देश्य अधिकतम यूजर्स को अपने से जोड़े रखना है, इसके लिए वे कई किस्म के फीचर्स और कारकों का इस्तेमाल करती हैं।

बिल के दूसरे सेक्शन में परिभाषाएं हैं। इसमें कानूनी प्रक्रियाओं के साथ सोशल मीडिया से जुड़ी शब्दावली शामिल है। बिल के तीसरे सेक्शन में सोशल मीडिया कंपनियों को किन किन कामों से बचना है या कौन से काम और फीचर्स गैरकानूनी होंगे इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

तीसरे सेक्शन में कुल चार हिस्से हैं। इसमें आटो स्टार्ट, आटो फिलिंग से लेकर विभिन्न बेजैज के बारे में नियमन है।

चौथे सेक्शन में सोशल मीडिया कंपनियों को बिल के प्रभावी होने के बाद क्या क्या कदम उठाने होंगे और उसकी समयअव​धि क्या होगी इसकी जानकारी दी गई है।

पांचवें सेक्शन में आपरेटर यानी इंटरनेट प्रदाता कंपनी के लिए नियमन किया गया है। क्लिक, फांट आदि के बारे में भी नियमन है। इसके बाद छठवें हिस्से में कमीशन को तीन साल में इंटरनेट एडिक्शन पर संसद को रिपोर्ट देने और उसके अन्य कामों की जानकारी के बारे में बताया गया है।

इस बिल के आने पर सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हुआ है, ज्यादातर कंपनियों ने इसका स्वागत किया है, लेकिन साथ ही इस पर आपत्तियां भी दर्ज की हैं। जाहिर है कि इस बिल के मसौदे पर बहस का दौर तीखा चलेगा।

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सोशल मीडिया कंपनियों के इन कामों पर लगेगी लगाम
1. सोशल मीडिया कंपनियां फिलहाल यूजर्स की सारी जानकारी को चाहे जैसे इस्तेमाल करती हैं, बिल में इसके लिए प्रावधान हैं
2. सोशल मीडिया कंपनियां अपने एप या साइट की लत लगाने के लिए कई तरह के गैरजरूरी और अनैतिक हथकंडे अपनाती हैं। यूजर्स की आदतों से लेकर उसके दोस्तों के द्वारा एप के इस्तेमाल जैसी कोशिशों पर अब लगाम लग जाएगी।
3. अपने फोरम पर बनाए रखने के लिए दिए जाने वाले प्रलोभनों जैसे वाउचर, किसी खास चीज के इस्तेमाल पर पैसा, किसी अन्य एप की सुविधा आदि पर लगाम लग जाएगी।
4. कई बार किसी एप पर वीडियो खुद व खुद चलने लगता है, इस बिल के प्रभावी होने पर ऐसा नहीं हो पाएगा।
5. किसी फोरम पर विघटन, घृणा फैलाने वाले भाषण आदि पर कंपनियों को सतर्क रहना होगा और वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकेंगी।
6. यूजर के डेटा की जानकारी के इस्तेमाल की जानकारी देनी होगी और गैरजरूरी जानकारी नहीं ले पाएंगे। यह सबसे जरूरी प्रावधान है। फिलहाल कोई भी एप आपके फोटो से लेकर कॉन्टेक्ट नंबर और ईमेल आईडी तक की जानकारी मांग लेती है।
7. बिल में साफ कहा गया है कि “इंसान के मनोविज्ञान या दिमाग की कमजोरियों का फायदा उठाने वाली कोशिशों” को खत्म करना होगा। यानी बच्चों आदि को आदी बनाने वाली तरकीबों को रोका जा सकेगा।
8. यूजर्स की निजता का ख्याल रखना होगा। हर समय नोटिफिकेशन आदि पर लगाम होगी।

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