MP Cop News: यूपी एटीएस में तैनात आईजी ने प्रयागराज के अनुभव और प्लान को एमपी पुलिस से साझा किया, उज्जैन में होना है सिंहस्थ महाकुंभ-2028, देश की सेंट्रल एजेंसियों से तालमेल बैठाने प्लान बनाया, अत्याधुनिक तकनीकों का किया जाएगा इस्तेमाल, भीड़ नियंत्रण को लेकर ज्यादा फोकस

भोपाल। प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ 2028 में होना है। इसकी तैयारियों को लेकर पहली बार प्रदेश के डीजीपी कैलाश मकवाना (DGP Kailash Makwana) ने समीक्षा बैठक बुलाई। सिंहस्थ के शांतिपूर्ण, सुरक्षित और सुव्यवस्थित संचालन के लिए व्यापक तैयारियों (MP Cop News) की रुपरेखा बनाई गई है।
यह अफसरों को भी बैठक में किया गया आमंत्रित
सिंहस्थ-2028 की तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक में भोपाल पुलिस कमिशनरेट के अलावा गुप्तवार्ता—सायबर, दूरसंचार, रेल, प्रशिक्षण, योजना/प्रबंध, पीटीआरआई, विसबल, आईजी भोपाल ग्रामीण, आईजी कानून व्यवस्था, डीआईजी एसडीआरएफ, समेत कई रेंज और जिलों के पुलिस अधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे। बैठक में उत्तर प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी प्रेम कुमार गौतम थे। वे यूपी में आईजी एटीएस हैं। उन्हें यूपी में 2025 में आयोजित प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान अपनाए गए उत्कृष्ट प्रबंधन उपायों का प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तारपूर्वक जानकारी एमपी पुलिस से साझा की।
यूपी एटीएस आईजी ने स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण के यह दिए हैं टिप्स
- AI-Enabled ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर की स्थापना से Intelligent Traffic System (ITS) द्वारा रीयल-टाइम ट्रैफिक मॉनिटरिंग सुनिश्चित की गई।प्रयागराज नगर को जोनल ट्रैफिक डिवीजन में विभाजित कर यातायात का सुगठित प्रबंधन किया गया।
- ड्रोन आधारित निगरानी के माध्यम से प्रमुख मार्गों और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में सटीक पर्यवेक्षण किया गया।
- श्रद्धालुओं की सहायता हेतु रूट डायवर्जन मोबाइल ऐप विकसित कर लाइव ट्रैफिक अपडेट उपलब्ध कराए गए।
- पैदल यात्रियों के लिए अस्थायी फ्लाईओवर एवं वॉकवे गलियारे बनाए गए जिससे सुरक्षित व निर्बाध आवागमन संभव हुआ।
देश की स्पेशल यूनिट के इस्तेमाल करने की तकनीक भी बताई गई
- NIA, IB, और ATS जैसी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त कोऑर्डिनेशन यूनिट गठित कर सूचनाओं का समन्वय किया गया।
- डॉग स्क्वाड, बम डिस्पोजल यूनिट और एंटी-स्नाइपर टीमों की पूर्व नियोजित तैनाती से सुरक्षा चाक-चौबंद रखी गई।
- डार्क वेब मॉनिटरिंग द्वारा संभावित साइबर खतरों का पूर्वानुमान लगाकर कार्रवाई की गई।
- फेशियल रिकग्निशन ट्रैकिंग सिस्टम से संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों पर सतत निगरानी रखी गई।
- भीड़ में तुरंत निगरानी करते हुए निर्णय लेने के यह बताए गए तरीके
- मेले के क्षेत्र में AI-आधारित CCTV कैमरों की स्थापना की गई, जिनमें फाइट डिटेक्शन, फॉल डिटेक्शन जैसी आधुनिक क्षमताएं थीं।
ड्रोन फीड को मुख्य कंट्रोल रूम में लाइव मॉनिटर किया गया।
- Face Recognition & Behavior Analytics तकनीक के माध्यम से भीड़ में संदिग्ध चेहरों और गतिविधियों की पहचान संभव हुई।
- प्रत्येक क्षेत्र में पुलिस की QRT (Quick Response Teams) तैनात की गईं, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सकी।
- कुंभ में पहुंचने वाले वीआईपी के लिए इस तरह से हुए थे प्रबंधन
- वीआईपी आगंतुकों के लिए अलग ट्रैफिक रूट, जियो-फेंसिंग, स्कैनिंग ज़ोन और ब्लू-ग्रीन लेन के प्रोटोकॉल अपनाए गए।
- फेस रिकग्निशन एवं बायोमेट्रिक एंट्री सिस्टम से विशिष्ट व्यक्तियों की पहचान सुनिश्चित की गई।
- हेलीकॉप्टर लैंडिंग ज़ोन और वॉचटावर जैसी व्यवस्थाएं बनाई गईं, जिससे उच्चस्तरीय पर्यवेक्षण संभव हुआ।
घाट तक पहुंचाने और सुगम यातायात प्लान बनाने की तकनीक भी बताई
- GPS ट्रैकिंग युक्त शटल बस सेवा, ई-रिक्शा और मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट हब (रेल+बस+ई-मोबिलिटी) का संचालन किया गया।
- श्रद्धालुओं की सहायता हेतु Seva Kendras, Lost & Found Booths और Digital Maps की व्यवस्था की गई।
- ऑनलाइन रूट प्लानर ऐप और QR कोड आधारित पंजीकरण प्रणाली विकसित की गई।
- Face Recognition Surveillance System (FRSS) के माध्यम से लाखों चेहरों की पहचान, Missing Person Identification System और VIP चेहरों की प्री-लोडेड सूची के माध्यम से निगरानी सुनिश्चित की गई।
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