Interstate Cyber Crime: फर्जी सिम की मदद से निकाल लेते थे रकम

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Interstate Cyber Crime: छह सायबर क्राइम के जानकार आरोपी गिरफ्तार, एक अन्य की तलाश जारी

Interstate Cyber Crime
नरेन्द्र प्रजापति और उसका गिरोह 25 अगस्त को भोपाल सायबर क्राइम के हत्थे लगा था

भोपाल। भोपाल सायबर क्राइम (Interstate Cyber Crime) की टीम ने एक गिरोह का खुलासा किया है। यह गिरोह लोगों को फर्जी कंपनी (Fake Call Cheating) का व्यक्ति बनकर झांसा देते थे। फिर उनके खातों को साफ कर देते थे। यह गिरोह कई राज्यों में दूसरे सायबर गिरोहों से भी संपर्क में था। मामला मध्य प्रदेश (MP Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) में बुधवार को उजागर हुआ है। गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि सातवां आरोपी अभी भी फरार है। पुलिस को आरोपियों के कब्जे से 800 फर्जी वोटर आईडी कार्ड, 125 फर्जी आधार कार्ड, 800 इस्तेमाली सिम, प्रिंटर 01 नग, मोबाईल फोन 12 नग, बीसी मशीन 01 नग, पेटीएम किट 08 नग बरामद करने में कामयाबी मिली है।

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

सायबर सेल ने बताया कि इस मामले की शिकायत चार इमली निवासी देवेश पाण्डेय (Devesh Pande) ने की थी। उनकी पत्नी भावना पाण्डेय (Bhavna Pande) को अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल के जरिए क्रेडिट कार्ड का कर्मचारी बताकर लिमिट बढाने का झांसा दिया था। फिर उनके खाते से 80,000 रुपए निकाल लिए गए थे। पुलिस ने अधिकांश आरोपियों की गिरफ्तारी डबरा इलाके से की है।

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यह है आरोपियों की भूमिका

गिरफ्तार नरेन्द्र प्रजापति (Narendra Prajapati) पिता रामहित प्रजापति 22 डबरा, ग्वालियर फर्जी एयरटेल मनी एकाउण्ट तैयार करता था। इसके अलावा मोहित गुप्ता (Mohit Gupta) पिता राजेन्द्र गुप्ता उम्र 25 करेरा, शिवपुरी और मोहन गुप्ता (Mohan Gupta) पिता राजेन्द्र गुप्ता उम्र 29 करेरा, शिवपुरी फर्जी आईडी बनाने का काम करते थे। गिरफ्तार कृष्णपाल सिंह (Krishnapal Singh) पिता केशव सिंह उम्र 23 डबरा, ग्वालियर, फर्जी एकाउण्ट बनाकर उसको देने का काम करता था।

फर्जी लापू से बनाते थे खाते

गिरफ्तार सतीश दुबे (Satish Dubey) पिता रामेश्वर दयाल दुबे उम्र 31 करेरा शिवपुरी निवासी ने बताया कि वह फर्जी ओटीपी सिम बेचने का काम करता था। इसी तरह विकास जैन (Vikas Jain) पिता मनोज जैन उम्र 30 डबरा, ग्वालियर लापू सिम से फर्जी एकाउण्ट तैयार करता था। जबकि जितेन्द्र सिंह (छद्म नाम नाबालिग) उम्र 16 साल निवासी ग्वालियर फर्जी एकाउण्ट सप्लाई करता था। गिरोह का मुख्य सरगना नरेन्द्र प्रजापति (Narendra Prajapati) है। वह एयरटेल कंपनी में फील्ड सेल्स एक्जीक्यूटिव है।

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ऐसे बंटती थी रकम

मोहन गुप्ता, मोहित गुप्ता से फर्जी पेटीएम खरीदकर कौशल सिंह बेस (Koushal Singh Bais) (फरार) को बेचता है। वह दिल्ली व अन्य राज्यों में सप्लाई करता है। विकास जैन (Vikas Jain) जो कि रिटेलर है जिसकी एयरटेल कंपनी की लापू सिम से प्रकरण के फर्जी एकाउण्ट का एयरटेल मनी एकाउण्ट (Fake Airtel Money Account Case) बनाया गया है जिससे प्रकरण में धोखाधडी कर पैसे निकाले गए हैं।

दो सगे भाई गिरफ्तार

जितेन्द्र सिंह (छद्म नाम नाबालिग) यह मोहित गुप्ता, मोहन गुप्ता, सतीश दुबे से फर्जी ओटीपी सिम, फर्जी पेटीएम एकाउण्ट सिम खरीदता है। नरेन्द्र प्रजापति और मामले में फरार चल रहे कौशल, कृष्णपाल सिंह भदौरिया को बेचता है। जिसमे कौशल सिंह और कृष्णपाल सिंह भदौरिया खरीदे हुए फर्जी एकाउण्ट दिल्ली में सप्लाई करते हैं। मोहित गुप्ता और मोहन गुप्ता दोनों भाई हैं जो रिटेलर एवं डिस्ट्रीब्यूटर का काम करते हैं। दोनों मोबाइल के जरिए नकली बनाकर स्वयं की फोटो का लगाकर फर्जी आधार और वोटर कार्ड बनाकर (Fake Voter Card Case) उस पर फर्जी सिम तैयार करके उन सिमों पर फर्जी पेटीएम एकाउण्ट (Fake Paytm Account Case) बनाकर जितेन्द्र सिंह (छद्म नाम नाबालिग), नरेन्द्र प्रजापति एवं कौशल सिंह (फरार आरोपी) को सप्लाई करते हैं।

पेटीएम खाते बेच देते थे

इसके अतिरिक्त अरोपी पूर्व में बनाये गये पेटीएम खाते में प्रयुक्त नंबर जो पूर्व किसी अन्य व्यक्ति के उपयोग कर पेटीएम खाता बनाया गया हो तथा जिसमें केवायसी अपडेट हो तथा वह सिम (MP SIM Scam) वर्तमान में कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं कर रहा हो उसको रिइश्यू कराने के बाद बेच देते थे। सतीश दुबे जो रिटेलर है जो एयरटेल कंपनी की लापू सिम (MP Lapu SIM Scam) से ग्राहकों से एक ही समय में दो बार अंगूठा लगाकर दो सिम एक्टिवेट कर एक सिम ग्राहक को दे देता था। दूसरा सिम अपने पास रख लेता था। उक्त सिम पर अगले ग्राहक के आधार कार्ड और अंगूठे का उपयोग करके एयरटेल मनी अकाउण्ट एक्टीवेट कर लेता था।

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ऐसे मिलता था कमीशन

गिरफ्तार आरोपी फर्जी सिम व फर्जी एयरटेल मनी एकाउण्ट (MP Fake Airtel Money Account Racket) दिल्ली व अन्य राज्यों में सायबर क्राईम करने वाले लोगों को देते थे। प्रत्येक फर्जी सिम व फर्जी मनी एकाउण्ट के बदले में 500 रुपए की राशि प्राप्त होती थी। सभी आरोपियों ने व्हाट्सएप ग्रुप (फ्राड केवाइसी, फ्राड मनी, फ्राड एयरटेल मनी) बनाए हैं। इन ग्रुपों के माध्यम से आरोपी अन्य राज्यों के सायबर क्राईम से जुडे अपराधियों के सम्पर्क मे रहते थे। जिनको फर्जी आईडी या केवाईसी/सिम/वालेट की आवश्यकता होती थी उन्हें ये सप्लाई करते थे। आरोपियों के कब्जे से स्वयं की फोटो का उपयोग कर एक्टिवेटड 537 सिम जप्त हुई।

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