Exclusive News: राजधानी में डेढ़ महीने से बेघर सड़क पर भटक रही ज्यादती पीड़ित और घरेलू हिंसा की शिकार पीड़िता ने महिला अधिवक्ता को बताई आप—बीती, सिस्टम ने सुध लेने की बजाय उसे गौरवी संस्थान में पटक दिया

भोपाल। मानवीय संवेदनाओं को झंकझोरने वाली यह कहानी राजधानी भोपाल की है। यहां एक शिक्षित और संपन्न घराने की एक महिला पिछले डेढ़ महीने से सड़क पर भटक रही थी। वह जब एक महिला अधिवक्ता से टकराई तो उन्हें अहसास हो गया कि वह वास्तविक पीड़ित है। उससे कहानी पूछी तो वह रूह कंपाने वाली थी। उसे एक मनचले ने एक दिन का भोजन सिर्फ इस शर्त पर कराया कि वह उसके शरीर के नाजुक अंगों को टच करने देगी। ऐसा नहीं है कि यह पूरी कहानी (Exclusive News) पुलिस थाने तक नहीं पहुंची। वहां गई लेकिन, सितमगर सिस्टम ने संवेदनशीलता का परिचय दिखाने की बजाय मामले को टालना बेहतर समझा। उसने पीड़ित महिला को मनोरोगी साबित करके उसे गौरवी संस्थान में डाल दिया। इसके बावजूद महिला अधिवक्ता ने अपनी जिम्मेदारियों को समझा और वह पूरा सच खंगालकर सामने ले आई।
इस तरह अधिवक्ता को मिली महिला
शाहपुरा (Shahpura) थाना क्षेत्र स्थित गुलमोहर कॉलोनी (Gulmohar Colony) में अधिवक्ता मधु चरडे (Lawyer Madhu Charde) रहती हैं। वे भोपाल जिला न्यायालय में 2019 से प्रैक्टिस कर रही है। वे अक्सर हबीबगंज (Habibganj) थाना क्षेत्र स्थित एसीपी कार्यालय (ACP Office) में विधिक कार्यों के चलते आती—जाती है। ऐसे ही कार्यों के दौरान वह पीड़ित महिला उससे टकराई। उन्होंने उसकी हालत देखी और महिला होने के नाते अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए चली गईं। इसके तीन दिन बाद यानि 06 जून को वही महिला दोबारा रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (Rani Kamlapati Railway Station) के पास टकराई। मधु चरडे ने उसे देखा और उसका नाम—पता जानना चाहा। उन्होंने तकलीफ या कोई मदद की आवश्यकता के बारे में भी पूछा। उस महिला ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो वह उन्हें अपने विधिक क्षेत्र का विजिटिंग कार्ड यह बोलकर दे आई कि जरुरत लगे तो इस नंबर पर कॉल कर लेना। कुछ दिन बाद ही उनके पास एक मोबाइल (Mobile) नंबर से उसी महिला का फोन आया। उसने मदद मांगी तो उसे भाजपा कार्यालय (BJP Office) के पास बुलाया गया। वहां पर वे पति के साथ पहुंची। पति भी विधिक क्षेत्र से जुड़े हैं। वहां वह महिला नहीं मिली तो उस नंबर पर दोबारा कॉल किया गया। उस मुस्लिम लड़के ने फोन उठाया तो वह बोला कि प्रगति पेट्रोल पंप (Pragati Petrol Pump) के पास है। वहां पर अधिवक्ता दंपति पहुंचे और अंधेरे में उस महिला को पाया। जिस व्यक्ति ने मोबाइल पर बात कराई थी उसने भोजन दिलाया था। ऐसा करने के बदले में महिला के प्रायवेट पार्ट में हाथ लगाने की अनुमति उससे ली थी। यह पता चलने पर अधिवक्ता दंपति ने उसे पकड़ना चाहा तो वह भाग गया।इसके बाद वे उसे लेकर सीधे गौरवी संस्थान (Gaurav Sansthan) पहुंची। यहां रात को उसे एडमिट करने से पूर्व एक पुलिस अधिकारी को वहां बुलाया गया। बातचीत मेें महिला ने अपना पता ग्वालियर (Gwalior) का बताया था। पुलिस ने उसे विक्षिप्त बताकर प्रकरण को हल्का करना चाहा था। लेकिन, मधु चरडे पुलिस के उत्तर से संतुष्ट नहीं थी। उन्होंने ग्वालियर में अपने परिचित निरीक्षक से मदद मांगी।
गौरवी ने गौरान्वित करने की बजाय गुरूर दिखाया
महिला की तस्वीर उनके माध्यम से पुलिस विभाग (Police Department) के आंतरिक व्हाट्सएप ग्रुप में पहुंची तो उसकी पहचान हो गई। वह मूलत: मुरैना (Morena) जिले के अंबाह (Ambah) थाना क्षेत्र की रहने वाली थी। उसके माता—पिता ने बीएड करने के बाद उसकी महाराष्ट्र (Maharashtra) में शादी करा दी थी। शादी के दो महीने बाद ही पति से नहीं बनी तो दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज करके वह मायके आ गई। यहां मायके में उसके एक युवक के साथ प्रेम प्रसंग हो गए थे। जिसका फायदा उठाकर उसने शारीरिक संबंध बना लिए। इस मामले की भी उसने एफआईआर अंबाह थाने में दर्ज कराई थी। इसके बाद वह परीक्षा देने के लिए घर से निकली और फिर भोपाल आ गई थी। भोपाल (Bhopal) में लगभग दो महीने तक वह यहां—वहां भटकती रही। इस दौरान कई लोगों ने उसके साथ अत्याचार किए। अंबाह पुलिस ने उसके परिजनों से संपर्क करके बेटी के बारे में खबर दी। जिसके बाद उसके पिता 02 जुलाई को भोपाल पहुंचे। उन्होंने अधिवक्ता को धन्यवाद देते हुए इस पहल के लिए काफी प्रभावित हुए। वे लगातार महिला अधिवक्ता के साथ फोन पर संपर्क में थे। महिला अधिवक्ता गौरवी संस्थान भी गई थी। वहां पीड़ित महिला के पिता ने ही बुलाया था। लेकिन, गौरवी में तैनात महिला अधिकारियों का आचरण बेहद निराशाजनक था। पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम में किसी तरह का प्रकरण दर्ज नहीं किया। वह उसको बिना मेडिकल परीक्षण के लिए विक्षिप्त साबित करने में लगी रही।
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