Bhopal Gang Rape Case: पीड़िता के साथ हो सकती है उन्नाव जैसी घटना

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परिजन ने कहा बेटी को जिंदा जलाकर मार सकते है आरोपी, हबीबगंज इलाके में यूपीएससी कोचिंग की छात्रा के साथ हुआ था गैंगरेप

Bhopal Gang Rape
सांकेतिक चित्र

भोपाल। आपको याद है, हबीबगंज इलाके की वो घटना। कोचिंग क्लास से लौटते वक्त एक छात्रा के साथ चार दरिंदों ने गैंगरेप (UPSC Student Gang Rape) किया था। 31 अक्टूबर 2017 की शाम यूपीएससी की कोचिंग से घर लौट रही थी, उसी दौरान छात्रा को 4 दरिंदों ने घेर लिया था। फिर झाड़ियों में ले जाकर उसके साथ दरिंदगी (#UPSC Student Gang Rape) की थी। पूरी घटना बेहद ही डरावनी थी और पुलिस का शुरुआती रवैया निंदनीय था। घटना सामने आने के बाद मीडिया और लोगों का रिएक्शन भी वैसा ही था, जैसा हर घटना के बाद होता है। कुछ दिनों तक सुर्खियां बनने के बाद मामला ठंडा पड़ गया। लेकिन पीड़िता और परिजन के लिए ये घटना उस नासूर जख्म की तरह है, जो कभी सूखता ही नहीं। पीड़िता की नम आखें आज भी उस दर्द में कराहती नजर आती है। वहीं परिजन को अब एक और डर सताने लगा है, डर है कि कहीं बेटी के साथ उन्नाव जैसी घटना न हो जाए। उनकी बेटी भी जला कर न मार दी जाए। आगे पढ़िए उनके डर की वजह…
देश में रेप स्टेट बनते जा रहे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Gang Rape) में हाल ही में एक घटना हुई है। उन्नाव (Unnao Gang Rape) में एक युवती को जिंदा जलाकर मार दिया गया। वारदात को अंजाम देने वाले दो दरिंदे वहीं है, जो गैंगरेप के आरोपी थे। उन्नाव (#Unnao Gang Rape) में जलाकर मार दी गई पीड़िता के साथ दो आरोपियों ने कुछ महीनों पहले ही गैंग रेप किया था। जिसके बाद से वह जेल में थे। लेकिन, जैसे ही जमानत पर छूटे तो अपने तीन अन्य साथियों के साथ गैंग रेप पीड़िता को जिंदा जला दिया। यह सोचकर आज भोपाल (Bhopal Gang Rape) में रहने वाला गैंग रेप पीड़िता का परिवार सदमे में आ जाता है। उसको अपनी बेटी की चिंता सताने लगी है। वह उसकी सुरक्षा को लेकर भयभीत है। क्योंकि पंगु हो चुका सिस्टम उसकी सुध ही नहीं ले रहा। यह भी पता नहीं कर रहा है कि आरोपी जेल के भीतर कर क्या रहे हैं। उन्नाव (@Unnao Gang Rape) में हुई घटना के बाद भोपाल की गैंग रेप (#Bhopal Gang Rape) पीड़िता के परिवार ने जरूर संज्ञान लिया। उसने आरोपियों का पता लगाया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। परिवार सकते में आ गया। फिर परिवार वापस नए सिरे से संघर्ष में जुट गया है।

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क्या है संघर्ष की वजह
हबीबगंज जीआरपी पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों गोलू बिहारी, अमर उर्फ छोटू, राजू उर्फ राजेश और राजू उर्फ रमेश को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के खिलाफ मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला था। जिसमें उन्हें जेल के भीतर मृत्यु होने तक की सजा अदालत ने सुनाई थी। यह दोषी आरोपी तब से जेल में थे। उनकी गैंग रेप पीड़ित परिवार को दहशत में तब याद आई जब उत्तर प्रदेश (#Uttar Pradesh Gang Rape) के उन्नाव (#Unnao Gag Rape) वाला कांड उनके सामने आया। उनकी जानकारी जुटाई गई जिसके बाद वह हैरान रह गए। पीड़िता के परिवार ने बताया कि चार आरोपियों में से एक ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई है। आरोपियों की तरफ से 6 वकील अदालत में खड़े हैं। यदि आरोपियों को जमानत मिल गई और कहीं उन्नाव जैसी घटना को अंजाम दे दिया तो परिवार क्या करेगा। हालांकि दहशत में परिवार अपने दो ठिकाने पहले ही बदल चुका है।

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क्या कहते हैं अफसर
इस मामले में भोपाल केंद्रीय जेल (Bhopal Central Jail) अधीक्षक दिनेश नरगावे (Dinesh Nargave) से बातचीत की गई। उन्होंने कहा कि जेल नियमों के अनुसार बंदियों के अधिकारों की सुरक्षा करता है। सजायाफ्ता ​बंदियों को यदि वह गरीब है तो विधिक प्राधिकरण (Legal AID) से वकील मुहैया कराया जाता है। बंदियों को सजा के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का प्रावधान होता है। नरगावे ने बताया कि एक बंदी ने अपील की है। जिसकी जानकारी जेल प्रबंधन को हैं। इधर, पीड़ित परिजनों का कहना है कि बंदियों को उनके अधिकारों की जानकारी मुहैया कराई जाती है तो पीड़ित को भी सूचना मिलनी चाहिए। लेकिन, सरकारी नियम में ऐसा बिलकुल नहीं है। इस व्यवस्था में पीड़ित परिवार ने बदलाव की मांग की है।

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अब तक क्या
सरकारी सिस्टम के खिलाफ यह मामला बेहद सुर्खियों में रहा है। इस मामले में शुरू से ही लापरवाही बरती गई थी। यूपीएससी गैंग रेप पीड़िता घटना की शिकायत करने जब पुलिस के पास पहुंची तो उसको दूसरे थाने का मामला बताकर यहां—वहां घुमाया गया था। जिसकी जांच के बाद तत्कालीन एमपी नगर टीआई संजय सिंह बैस, हबीबगंज टीआई रवीन्द्र यादव, जीआरपी हबीबगंज टीआई मोहित सक्सेना, एमपी नगर थाने के एसआई आरएन टेकाम पर गाज गिरी थी। जबकि सीएसपी एमपी नगर कुलवंत सिंह को हटाया गया था। मामले की जांच तत्कालीन आईजी जयदीप प्रसाद ने की थी। इसमें दोषी पुलिस अफसरों और कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोकने, सस्पेंड करने तक की कार्रवाई हुई थी।

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