अब योगी सरकार ने लखनऊ बुलाई खाली बसें, नए फरमान पर बिफरी प्रियंका गांधी

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प्रवासी मजदूरों पर सियासत जारी, अनुमति के लिए दो दिन से यूपी बॉर्डर पर खड़ी है 1 हजार बसें

प्रियंका गांधी और योगी आदित्यनाथ

नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के बीच रस्साकसी का दौर जारी है। प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की अगुवाई में कांग्रेस (Congress) ने 1 हजार बसों का इंतजाम किया है। प्रियंका चाहती है कि सड़कों पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को बसों से घर पहुंचाया जाए। लेकिन बसों की अनुमति (Buses Permission) सियासी दांव-पेच में फंस गई है। प्रियंका का आरोप है कि योगी सरकार (Yogi Govt) जानबूझकर परमिशन नहीं दे रही। जिसकी वजह से बीते दो दिनों से 1 हजार बसें यूपी बॉर्डर (UP Border) पर खड़ी हुई है। सोमवार को यूपी सरकार ने बसों का नंबर और चालक, परिचालकों की डिटेल मांगी थी। तब ऐसा लगा था कि बसों को परमिशन दे दी जाएगी। लेकिन देर रात हुए पत्राचार ने मामले को नया मोड दे दिया है। प्रियंका गांधी के मुताबिक अब यूपी सरकार चाहती है कि खाली बसों को दस्तावेजों के साथ पहले लखनऊ (Lucknow) भेजा जाए।

18-19 की देर रात 2 बजकर 10 मिनट पर प्रियंका गांधी की तरफ से उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी (Awanish Kumar Awasthi) को पत्र लिखा गया है। पत्र में यूपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए है। प्रियंका गांधी ने बताया कि 16 मई से बसों के लिए परमिशन मांगी जा रही है। 500 बसें गाजीपुर बॉर्डर, गाजियाबाद और 500 बसें नोएडा बॉर्डर पर खड़ी हुई है।

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प्रियंका ने जारी किया था बॉर्डर पर खड़ी बसों का वीडियो

18 मई को यूपी सरकार ने एक व्हाट्स एप मैसेज के जरिए बसों और चालकों की डिटेल मांगी। दोपहर 4 बजे डिटेल मांगी गई। जवाब में कुछ ही समय में पूरी जानकारी यूपी सरकार को मेल कर दी गई। इसके उलट एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वे 3 दिन से बसों की डिटेल मांग रहे है।

जिसके बाद कल रात 11.40 बजे गृह अपर सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने प्रियंका गांधी को एक मेल किया। प्रियंका के मुताबिक इस मेल के जरिए यूपी सरकार ने अपनी मंशा जाहिर करते हुए खाली बसों को लखनऊ भेजने को कहा है।

प्रियंका गांधी का जवाब

यूपी सरकार के इस फरमान से प्रियंका गांधी बिफर गई है। उन्होंने कहा कि खाली बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ समय और संसाधन की बर्बादी है, बल्कि साथ ही हद दर्जे की अमानवियता भी है और एक घोर गरीब विरोधी मानसिकता की उपज है। सरकार की ये मंशा राजनीति से प्रेरित लगती है। लाखों मजदूर गाजियाबाद और नोयडा बॉर्डर पर खड़े है। ऐसे में खाली बसों को लखनऊ बुलाने का क्या औचित्य है।

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