पांच साल तक जीता रहा आम जिंदगी, प्रेमिका के कत्ल सेे सामने आई दहलाने वाली दास्तां

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भोपाल के सायको किलर की सनसनीखेज कहानी, मां-बाप की हत्या के बाद बंगले के बगीचे में दफनाया, बंगाल पुलिस की तत्परता से खुला था राज

भोपाल। इस कहानी में सबकुछ है। एक इंसान किस तरह से हैवान बन सकता है। प्रेम का प्रदर्शन, रसूख का दिखावा। लेकिन, इसके पीछे छुपे थे सायको किलर के राज। भोपाल की इस दिल दहला देने वाली कहानी की शुरूआत एक युवती की गुमशुदगी से शुरू हुई थी। वह तो नहीं मिली लेकिन उसकी ममीफाइड बॉडी मिली। उसकी जिसने यह हालत की उसने ही अपने माता-पिता की बेरहमी से हत्या कर दी थी। मामला यहां भी नहीं रूका और वह जाली दस्तावेजों से उनकी संपत्तियां बेचकर ऐश करता रहा। जानिए इस कहानी के वह पहलू जो आपको भी हैरत में डाल देंगे।

कहां से शुरू हुई कहानी
पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में रहने वाले शिवेन्द्र अपनी 28 साल की बेटी आकांक्षा को लेकर काफी परेशान थे। आकांक्षा ने जयपुर से एमएससी का कोर्स किया था और उसके बाद वह दिल्ली रहने लगी थी। उसके पास एक फोन था जिसे उदयन दास पिता बीके दास उठाता था। पिता जब भी बात करने की कोशिश करते तो वह इधर-उधर जाने का कहकर बात टाल देता था। पिता को शक हुआ तो वह नवंबर, 2015 में भोपाल आए। गोविंदपुरा थाने समेत जिले के अफसरों से मिले। लेकिन, परिवार को कोई सफलता नहीं मिली। इस कारण शिवेन्द्र वापस बांकुरा पहुंचे और वहां थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई।

बांकुरा पुलिस को भी तरसाया

इस हालत में निकाला गया शव
बांकुरा पुलिस शिवेन्द्र को लेकर फरवरी, 2017 को भोपाल आई। लेकिन, पहले की ही तरह इस बार भी भोपाल पुलिस का रवैया रहा। नतीजतन बांकुरा पुलिस ने अपने ही तरीकों से पड़ताल शुरू की। उसने भोपाल के साकेत नगर इलाके में मामले के संदेही उदयन दास के घर के सामने डेरा जमा लिया। तीन दिन तक वह जहां-जहां जाता उसकी रैकी की जाती रही। इस दौरान बांकुरा पुलिस ने एक थिएटर में मूवी भी उदयन दास के साथ देखी। जब यकीन हो गया कि उदयन दास के पास आकांक्षा नहीं है तो गोविंदपुरा थाने में विधिवत रोजनामचे में रिपोर्ट डालकर दबिश दी गई। थाने में लाकर उससे पूछताछ हुई तो उसने आकांक्षा की हत्या करना कबूल लिया।

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सीमेंट का घोल बनाकर चबूतरा बनाया


उदयन दास से बांकुरा पुलिस ने आकांक्षा के शव के बारे में पूछताछ की। उसने बताया कि लाश घर में ही चबूतरे में दफना दी है। पुलिस ने कमरे में छानबीन की तो वह पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था। जगह-जगह पुराना खाना, सिगरेट-बीड़ी के ठूठ पड़े थे। पुलिस चबूतरे पर पहुंची तो वहां एक फंदा भी लटका मिला। चबूतरे को तोड़ा गया। जिसके भीतर एक लोहे के बक्से में आकांक्षा की लाश मिली। उदयन दास ने बताया कि उसने आकांक्षा की हत्या 15 जुलाई, 2016 को ही कर दी थी। आकांक्षा का तकिए से मुंह दबाया गया था। जिसके बाद गला घोंट दिया गया था। इसके बाद बक्से का इंतजाम किया और घर के नजदीक से ही सीमेंट की 14 बोरी का घोल बनाकर शव को दफना दिया।

ऐसे हुई थी पहचान
उदयन दास के पिता वीके दास भेल में फोरमेन थे। मां इंद्राणी विंध्याचल भवन में एनालिस्ट थी। उदयन की शिक्षा भोपाल के सेंट जोसेफ स्कूल में हुई थी। उदयन दास मां की पेंशन फर्जी दस्तावेज बनाकर निकालता थाा। पुलिस ने परिवार की तलाश की तो मालूम हुआ कि उसकी मौसी भोपाल के पिपलानी इलाके में रहती है। लेकिन, परिवार ने बताया कि वीकेे दास और इंद्राणाी के रिटायर होने के बाद वह रायपुर में शिफ्ट हो गए थे। जिसके बाद परिवार के बीच कभी संपर्क नहीं हुआ। इधर, उदयन दास ने बताया कि उसकी आकांक्षा से पहचान फेसबुक से हुई थी। वह फेसबुक में अपने आपको एनआरआई बताकर लड़कियों से बातचीत करता था। पड़ताल में उदयन दास के 100 से अधिक फेसबुक आईडी भी मिली। जिसमें उदयन और आकांक्षा के बीच बिताई गई कुछ तस्वीरें भी मिली थी।

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ऐसे खुला मां-बाप का राज


आकांक्षा की हत्या के पीछे उसने पुलिस को कारण बताया। उसने कहा कि वह एक लड़के से बातचीत करती थी। इस बात को लेकर वह आपत्ति जताता था। पर वह मानती नहीं थी। इसी बात को लेकर 14 जुलाई, 2016 को दोनों के बीच जमकर बहस हुई थी। इसी बहस के बाद हत्या करने का उसने मन बना लिया था। उदयन दास के माता-पिता की जानकारी पुलिस को नहीं मिली थी। उनकी पेंशन आ रही थी लेकिन वह उदयन दास ही निकालता था। उससे सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि माता-पिता की भी गला घोंटकर 2011 में उसने हत्या कर दी है। उसके माता-पिता रायपुर की डीडी नगर की पॉश कॉलोनी में रहते थे। इस खुलासे के बाद पुलिस उदयन को लेकर रायपुर पहुंची। यह मकान उदयन ने हरीश कुमार पांडे को बेच दिया था। इस रकम को उसने अपने ऐशोआराम में उड़ा दिए थे। उदयन की बताई जगह पर हुई खुदाई में उसके माता-पिता के शव निकले। जिसके बाद एक अन्य मुकदमा डीडी नगर थाने में दर्ज किया गया।

करोंड़ों का मालिक पर अक्ल कौड़ी भर नहीं


उदयन दास फिलहाल बांकुरा जेल में है। भोपाल के गोविंदपुरा थाना पुलिस ने जीरो पर केस रजिस्टर करके डायरी बांकुरा पुलिस को दे दी थी। इसी तरह रायपुर के डीडी नगर थाना पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है। उदयन दास के पास लाखों रूपए की प्रॉपर्टी है इसके बावजूद वह उन्हें सहेज नहीं सका। उसकी हरकतें ठीक नहीं थी इसलिए इकलौते बेटे पर माता-पिता बंदिश लगाते थे। साकेत नगर में लगभग 1200 स्क्वायर फीट का दो मंजिला बंगला है। जिसमें पहली मंजिल में गायत्री शक्तिपीठ का मेडिटेशन सेंटर चलता है। डिफेंस कॉलोनी दिल्ली में मकान के अलावा उसे पेंशन मिलती थी।

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