Bhopal Court News: रिवीजन याचिका पर सुनवाई के बाद अपील को खारिज किया, दस साल पहले कस्टोडियल डेथ का मामला

भोपाल। जेल के भीतर हुई एक मौत के मामले में घिरे टीआई समेत पांच पुलिसकर्मियों को भोपाल कोर्ट (Bhopal Court News) से कोई राहत नहीं मिली। इन सभी के खिलाफ कोर्ट ने हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ भोपाल कोर्ट में ही अफसरों की तरफ से रिवीजन याचिका लगाई गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस प्रकरण में मनोचिकित्सक के अलावा भोपाल सेंट्रल जेल में तैनात रहे तत्कालीन जेलर भी फंसे हुए हैं।
यह है पूरा मामला जिसको लेकर दर्ज हुआ था केस
घटना टीटी नगर (TT Nagar) थाना क्षेत्र की है। यहां उस वक्त थाना प्रभारी मनीष राज भदौरिया (TI Manish Raj Bhaduriya) तैनात थे। उन्होंने लूट के एक मामले में मोहसिन (Mohsin) को आरोपी बनाया था। उसके साथ जमकर मारपीट भी की गई थी। उसे भोपाल सेंट्रल जेल (Bhopal Central Jail) में दाखिल कर दिया गया था। यहां 2015 में मोहसिन की जेल के भीतर मौत हो गई थी। यह पता चलने के बावजूद जेलर आलोक बाजपेयी (Jailer Alok Bajpai) की मदद से उसको बाहर निकालकर मनोचिकित्सक डॉक्टर आरएन साहू (Dr R.N Sahu) से उसके मनोरोगी होने की रिपोर्ट बनाई गई। उसके आधार पर उसे ग्वालियर (Gwalior) ले जाया गया। वहां उसे प्रवेश किया जाता उससे पहले उसकी मौत हो चुकी थी। नतीजतन, उसका पीएम किया गया। जिसमें पता चला कि मोहसिन की तो 72 घंटे पहले ही मौत हो गई थी। पीएम रिपोर्ट में इस खुलासे के बाद अधिवक्ता यावर खान की तरफ से भोपाल अदालत में याचिका लगाई थी। जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आशीष मिश्रा ने प्रकरण में सभी आठ अफसरों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसी आदेश के खिलाफ रिवीजन याचिका लगाई गई थी। जिसमें अब अपर सत्र न्यायाधीश प्रीति साल्वे की अदालत ने उसे खारिज कर दिया। यानि पूर्व में जारी आदेश के तहत अब प्रकरण दर्ज किया जाना तय है।
यह है आठों लोग जिनकी भूमिका संदिग्ध हैं

तत्कालीन टीटी नगर थाना प्रभारी मनीष राज भदौरिया अभी मिसरोद (Misrod) थाने में तैनात हैं। इससे पहले वे शहर में ही हबीबगंज, ऐशबाग, क्राइम ब्रांच समेत अन्य थानों में भी तैनात रह चुके हैं। दूसरे नंबर में जेलरआलोक बाजपेयी हैं जो अभी इंदौर सेंट्रल जेल (Indore Central Jail) में पदस्थ हैं। तीसरे मनोचिकित्सक डॉक्टर आरएन साहू आरोपी है। बाकी आरोपियों में क्राइम ब्रांच में तैनात मुरली, चिंरौजीलाल, दिनेश खजूरिया, अहसान और एएसआई डीएल यादव (ASI DL Yadav) को भी आरोपी बनाया गया हैं। डीएल यादव फिलहाल सेवानिवृत्त हो चुके हैं। भोपाल कोर्ट ने प्राथमिक तफ्तीश में पाया है कि उसकी मौत भोपाल सेंट्रल जेल में ही हो गई थी। पुलिस प्रशासन ने अपनी गड़बड़ी छुपाने के लिए इतनी गंभीर साजिश को रचा था। कोर्ट में चौदह सरकारी गवाह पेश किए गए थे। इनमें से दस गवाह जो सरकारी कर्मचारी भी है उन्होंने मोहसिन की मौत पुलिस पिटाई से होने को स्वीकारा है।
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