Netaji Kahin: राहुल की मदद कर रही मोदी की ट्रोल आर्मी 

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Netaji Kahin: शुरूआत के चरणों में अपने इरादे बताने में कामयाब हो गया विपक्ष, जनता का मिला साथ तो जनादेश न बन जाए, चूक और चुनौती की राजनीति पर बेबाक टिप्पणी

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पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

भोपाल। डाटा और आटा के जरिए जानिए कि सेहत और सिस्टम देश में इस वक्त कैसे चल रहा है। डाटा बोले तो इंटरनेट सेवा। जिसकी कंपनिया अलग-अलग है। जैसे जियो, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, बीएसएनएल वगैरह-वगैरह। मुझे पता है कि (Netaji Kahin) इसमें से कुछ बंद हो गई तो कुछ बंद होने की कगार पर है। बहस इस विषय पर करने भी नहीं आया। जिस तरह से इंटरनेट की कंपनी है उसी तरह आटा है। शरबती, लोकमन, अन्नापूर्णा, मालवा शक्ति वगैरह-वगैरह। दोनों क्षेत्रों में इस वक्त शुद्धता और पारदर्शिता की बहुत ज्यादा कमी है। शरबति शुद्ध और पोष्टिक है इसलिए महंगा है पर सरकारों को तो सस्ता माल चाहिए। उसी तरह सस्ते का लालच देकर जियो ने टेलीकाॅम सेक्टर को मुट्ठी में कर लिया।

इस काम में बीएसएनएल के त्याग को कोई भूल नहीं सकता। यह देख रही सरकार की चुप्पी पर चुप रहना है बेहतर है। उसी तरह किसानों को एमएसपी पर भुगतान न करके उन्हें कम दाम के कम गुणवत्ता वाले गेहूं को उत्पादन करने पर मजबूर कर दिया। अब भारत यूएन के मिशन मोटे अनाज के सेवन को सफल बनाने में जुटा है। यह मिशन संयुक्त राष्ट्र की तरफ से गेहूं, ज्वार, बाजार जैसे खाद्य सामग्री के प्रचलन को बढ़ाने पर है। दरअसल, देश में पिज्जा-बर्गर कल्चर ने स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने अपील की है कि वह इस मिशन पर काम करे। इसके लिए लगभग 71 देश राजी हो गए हैं। मतलब साफ है कि हर रास्ते अपने वास्ते की तर्ज पर नेता-अफसर सिर्फ कुर्सी बचाने की मुहिम में जुटे हैं।
डेटा और आटो को लेकर इतनी बातें यूं ही नहीं हो रही। दरअसल, चार सितंबर को कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए सत्ता पक्ष समेत पार्टी के भीतर से कंधे पर हाथ दे-देकर बैठने के लिए धकियाए जा रहे राहुल गांधी दिल्ली के रामलीला मैदान में हल्ला बोल रैली संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन देश की बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर था। इसी दौरान वे आटे को लीटर में तो तेल को किलो में तौल गए। राहुल गांधी मुद्दे संवेदनशील उठाते हैं। इसके अलावा वे कहीं बात से पीछे भी नहीं हटते। हालांकि बयान के बाद उन्होंने लीटर और किलो पर सफाई दे भी दी। राहुल गांधी जानते भी थे कि सरकार उनके आयोजन को हूट करेगी। मतलब मजाक बनाएगी। उन्हें यह भी पता थाकि इसमें ‘दुनिया कर लो मुट्ठी’ में जैसे इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों का भी इस्तेमाल होगा। राहुल गांधी ने उन्हीं दो कारोबारी अडाणी और अंबानी को जमकर कोसा। मुझे लगता है कि यह राहुल गांधी की सोची समझी छपने की रणनीति है। वे भी अब समझने लगे हैं कि काॅर्पोरेट हो चला मीडिया नुक्कड़ के जरिए ही सही जनता के बीच नवरत्न उन्हें बना देगा।
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पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान अप्रैल, 2021 में प्रचार करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी-File Photo

अब आप सोच रहे होंगे कि यह बातें कपोल है। इस सवाल पर मेरा सिर्फ इतना निवेदन है कि आप पिछले कुछ साल के हुए सारे आयोजनों को याद कर लीजिए। संसद भवन में सड़क पर सामान्य व्यक्ति की तरह हठ करते बैठ जाना। ईडी के नोटिस पर पैदल चल पड़ना। उन्होंने हर मुद्दे पर प्रचार पाने की तकनीक विकसित कर ली। इसी तकनीक के जरिए राहुल गांधी जमकर प्रचार पा रहे हैं। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका मैन स्ट्रीम मीडिया की बजाय इंटरनेट बेस्ड प्लेटफाॅर्म जैसे यू-ट्यूबर, न्यूज वेबसाइट, पोडा कास्ट की मदद से हर युवा और मध्यम वर्ग में पहुंचा चुके हैं। मतलब उनकी बातें और आंदोलन की वजह जनता को पता हो चुकी है। राहुल गांधी अब बकायदा कुछ गलती करके अपने इवेंट को इंगेजमेंट में कन्वर्ट कर रहे हैं। मसलन उनकी भारत जोड़ो यात्रा भाजपा के लिहाज से पंचक काल या कहे पितृपक्ष और कड़वे दिनों में शुरू हुई है। क्या वह भविष्य 2024 में होने वाले चुनाव में मिठाई में तब्दील करेगी।

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

यह सवाल तो भविष्य के गर्त में हैं लेकिन जो मदद भाजपा या उनके नेता कर रहे हैं वह जरूर राहुल गांधी को जल्द चेहरा बना देंगे। राहुल गांधी की टीशर्ट को लेकर तूल देना भाजपा को महंगा पड़ गया। ट्रोल आर्मी ने एजेंडा बनाकर चलाया। लेकिन, वह राहुल गांधी की विछाई बिसात में एक प्यादे को मारने के साथ-साथ राजा को चैक दे गया। नतीजतन, कांग्रेस का इवेंट पूरे भारत में भाजपा के कार्यकर्ता ट्रोल कर रहे थे। भाजपा के ही कार्यकर्ता यह बता रहे थे कि राहुल गांधी ने किस मौके के लिए इतनी महंगी टीशर्ट पहनी। इसे कहते हैं पटखनी देना। अभी राहुल गांधी की यात्रा के दिन शुरू ही हुए हैं। इसके काफी दूरगामी मायने हैं। सत्तापक्ष ने इसको पुराने राहुल बाबा की तर्ज पर लिया तो दिल्ली दरबार को कमंडल लेकर गिरि में योग साधना करना पड़ सकती है। बाकी अंत में आपसे गुजारिश है पढ़ने की आदत डाले। देखने की बजाय ज्यादा कारगर होता है। फिर होगी बात तब तक के लिए जोड़ लिया मैंने अपना हाथ।

नोटः यह साप्ताहिक काॅलम नेताजी कहिन है। हर बुधवार सुबह यह नियमित प्रकाशित होगा। यह व्यंग्यात्मक शैली में है। इसमें दी गई बातें अथवा जानकारी पब्लिक डोमेन में हैं। उसको एक स्थान पर संकलित करके समसामायिक बनाने का प्रयास किया गया है। यदि आपके पास कोई विषय हो तो हमें जरूर 7898656291 पर अवगत कराए।
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