MP Political Joke: एमपी में गुजरात की तर्ज पर होगा बदलाव

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MP Political Joke: आम आदमी पार्टी की प्रदेश में सक्रिय लेकिन असंतुष्ट चल रहे नेताओं पर नजर

MP Political Joke
सांकेतिक चित्र टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होना है। लोकतंत्र के इस अनुष्ठान को लेकर भीतर ही भीतर सारी पार्टियों (MP Political Joke) ने तैयारियां शुरू कर दी है। बहुत जल्द होली के बाद यह मैदान में दिखाई भी देने लगेगा। भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा समेत आम आदमी पार्टी ने अपनी कमर कस ली है। कुछ इन्हीं तैयारियों को लेकर पार्टियों से जुड़ी भीतर की खबरें।

नेता पर मचा घमासान

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के हाथों से सत्ता छीनकर उनकी ही पार्टियों ने धोखा दे दिया। अब इस बात से बचने के लिए भीतर ही भीतर हरि राम नाई की जमात बनाई गई है। दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस के कई क्षत्रप है। इन्हें एक छतरी के नीचे लाना काफी मुश्किल काम है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इस कोशिश में पूरे तन—मन से जुटे हुए हैं। लेकिन, उनके नेतृत्व को फिर स्वीकारने को लेकर पिछले दिनों हवा चल पड़ी। हालांकि इस बात को बड़ी मुश्किल से दबाया गया। अब सभी क्षत्रप श्रेष्ठ क्यों है यह बताने के लिए अपने किले को मजबूत करने में जुटे हैं। इसमें बाहरी नेता के वर्चस्व को खत्म करने का काम किया जा रहा है। इस कारण वे स्थानीय नेता जो एक क्षत्रप की बजाय दूसरे से जुड़े हैं उनके लिए मुश्किल खड़ी हो रही है।

सार्वजनिक बयान देकर बुलाने का दिया संदेश पड़ेगा भारी

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सांकेतिक चित्र टीसीआई

मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी गुजरात की तर्ज पर शंखनाद करना चाह रही है। इसके लिए उसने पूर्व की कार्यकारिणी को भंग भी कर दिया है। सबकुछ केंद्रीय नेतृत्व के पास है। पिछले दिनों केंद्रीय नेतृत्व के नेता ने आकर सार्वजनिक बयान दे दिया कि नाराज नेता अपनी पार्टी छोड़कर केजरीवाल की नीतियों को स्वीकारते हैं तो उनका स्वागत है। अब राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि ऐसा करके आम आदमी पार्टी ने चुनाव पूर्व भाजपा—कांग्रेस को वॉक ओवर दे दिया। क्योंकि पार्टी के भीतर ही कई नेता लंबे अरसे से चुनाव लड़ने के लिए मेहनत कर रहे थे। वे इस बयान से असंतुष्ट हो गए हैं। यानि साफ है कि चुनाव के वक्त पार्टी को भोपाल में मेयर कुर्सी के लिए खड़ी की गई दावेदार के तरह कई झटके मिल सकते हैं। क्योंकि आप पार्टी ने सार्वजनिक बयान देकर जनता के बीच अपने क्रेज को कम कर लिया। वहीं भाजपा—कांग्रेस को उन नेताओं बैठाने के लिए अचूक बाण मिल गया जो उनके लिए भविष्य में क्रॉस वोटिंग के लिए सिरदर्द बन सकते थे।

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किला बचाने की चुनौती

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सांकेतिक चित्र टीसीआई

गुजरात की तर्ज पर यदि एमपी में इलेक्शन में भाजपा कूदी तो कई विधायकों और मंत्रियों के टिकट कट सकते हैं। यह बात संगठन स्तर के नेता कई बार कई मंच से बोल चुके हैं। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा था कि पार्टी (MP Political Joke) ने आम नेता से विधायक और सांसद कई लोगों को बनाया है। ऐसे में नए नेताओं को भी अवसर मिलना चाहिए। इधर, खबर है कि राजधानी भोपाल में ही तीन सीटों पर संगठन आमूलचूल परिवर्तन करने की तैयारी के मूड में हैं। क्योंकि कुछ नेताओं के किले रिपोर्ट कार्ड में कमजोर मिल रहे हैं। यदि उन्हीं चेहरों पर दांव लगाया गया तो पार्टी को मुश्किल पैदा कर सकती है।

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