Nepali Community Problem: लॉक डाउन में नेपाली नागरिकों के बुरे हालात

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रोजगार छीन जाने के कारण हजारों नेपाली मूल के नागरिकों पर छाया गंभीर संकट, स्वदेश लौटना चाहते हैं सैंकड़ों लोग, फेसबुक, ट्वीटर समेत सोशल मीडिया पर मांग रहे मदद

Nepali Community Problem
लॉक डाउन में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में फंसे नेपाली मूल के नागरिक

भोपाल। (Nepali Community Lock Down Issue) कोरोनावायरस ने भारत देश की आर्थिक व्यवस्था को झंकझोर दिया है। इस बीमारी के कारण एक तरफ भारत में कई राज्यों के मजदूर पलायन (India Labour Migrant) कर रहे है। वहीं भारत देश के पड़ोसी देश नेपाल (Nepali Community Plight) के नागरिकों के बुरे हालात हैं। इन नेपाली नागरिकों के सामने जहां भोजन का संकट (Nepali Community Ground Report Lock Down) है वहीं जमा पूंजी खर्च हो जाने के बाद वे कई तरह के कर्ज में डूब चुके हैं। इन नागरिकों के पास अब किराया चुकाने को पैसा नहीं बचा है। इसलिए यह नेपाली नागरिक एक—दूसरे की मदद कर रहे है। यहां चौका देने वाली बात यह हैं कि इन नागरिकों के पास आधार कार्ड अथवा मतदाता पहचान पत्र समेत अन्य दस्तावेज नहीं है। इसलिए यह नागरिक शरणार्थियों की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं।

एक मकान में कई लोग एक साथ रहने को मजबूर है। इसमें कई परिवार भी है। द क्राइम इंफो www.thecrimeinfo.com ने इन नागरिकों की मैदानी हकीकत पता लगाई। जिसके बाद यह साफ हो गया कि नेपाली नागरिक कई तरह की समस्याओं (MP Nepali Problem) से जूझ रहे हैं। हमने कई परिवारों से सच्चाई पता लगाई। इसमें कुछ नेपाली संगठन (MP Nepali Samaj) इन परिवारों के लिए संजीवनी बने हुए है। लेकिन, इस पूरे सामाजिक उत्थान में उन्हें केंद्र अथवा राज्य (Madhya Pradesh Nepali Community) की किसी सरकार ने कोई भी मदद इन्हें नहीं पहुंचाई है।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Hindi News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Hindi News) के कई इलाकों में यह नेपाली (Nepali Community News) परिवार रहता है। अधिकांश होटलों में नौकरी करते हैं या फिर चायनीज फूड का ठेला लगाते है। ऐसे ही युवराज काफले (Yuvraj Kafle) है जिन्होंने लोगों से कहकर सोशल मीडिया में मदद मांगी थी। युवराज काफले भोपाल (Bhopal Nepali Report) के एम्स स्थित अमराई के पास रहते हैं। होटल में नौकरी करते थे। लॉक डाउन में नौकरी चली गई। इसी दौरान एक बच्चे की डिलीवरी भी हुई। काफले ने फेसबुक के माध्यम से मदद मांगी। जिसके बाद एक एनजीओ ने उन्हें राशन उपलब्ध कराया। काफले का कहना है कि अभी तक उन्हें किसी सरकार ने कोई सहायत उपलब्ध नहीं कराई है।

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इसी तरह तुलसी राम आचार्य (Tulsiram Acharya) भी परेशान है। वे भी होटल में नौकरी करते थे। होटल बंद हो गई तनख्वाह भी नहीं मिली। इसलिए अब उनके सामने भोजन के अलावा किराया का संकट गहरा गया है। उन्होंने बताया जितना उन्होंने जमा किया था वह सारा खर्च हो गया है। अब उनके सामने कई तरह का संकट है। वे भी नेपाल जाना चाहते हैं लेकिन बॉर्डर बंद होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।

देर से ली गई सुध

नेपाली समाज के कई लोग अपने स्तर पर घर से हजारों किलोमीटर दूर कई दिनों तक जूझते रहे। उन्होंने किसी को  अपनी पीड़ा साझा नहीं की। नतीजतन समस्या जब विकराल हुई तो कई नागरिक सोशल मीडिया में सक्रिय हुए। कई सोशल मीडिया  में नेपाली नागरिकों के साथ हो रही पीड़ा सामने आ रही है। इसमें एक नागरिक ने यह तक भी बताया कि जब उसने मदद मांगी तो उससे कहा गया कि उसको भारत में नहीं बुलाया गया था। जब यह समस्या सोशल मीडिया के माध्यम से नेपाली समाज के बुद्धिजीवियों को पता चली तो वे सक्रिय हुए। इस मामले में नेपाली संगठन भी काफी देर बाद सक्रिय हुआ। हालांकि संगठन नेपाली समाज के संपन्न लोगों से राशन जुटाकर जरुरतमंदों को बांटने का काम कर रहा है। इधर, नेपाली समाज भारत में नेपाली दूतावास की तरफ से दिए गए एक बयान को लेकर भी नाराज है। इसमें दूतावास की तरफ से कहा गया है कि भारत में रहने वाले नेपाली नागरिकों को किसी तरह का संकट नहीं है। यह जानकारी मिलने के बाद कई नेपाली नागरिक अपने देश के इस महामारी में दिए गए बयान को लेकर नाराज चल रहे है।

नेपाली महिलाओं को ज्यादा संकट

भारत की कोई पहचान पत्र ना होने के कारण नहीं मिल पा रही सरकारी सुविधाएं

नेपाल से रोजगार की तलाश में आए युवा ज्यादा प्रभावित है। युवा होने के चलते उन्हें हरकोई पनाह नहीं देता है। इसके बाद दूसरी समस्या महिलाओं की है। यह वह महिलाएं है जिनके पति के पास जमा पूंजी समाप्त हो गई है। दूसरे नेपाली मूल के परिवारों के यहां पनाह लेने के लिए मजबूर है। ऐसे में उनके सामने मासिक धर्म जैसी आवश्यक चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। पैसा है नहीं और इस बारे में वह हर किसी से भी नहीं कह सकती। समाज और संगठन की तरफ से परिवार को राशन तो मिल गया। लेकिन, महिलाओं के लिए जरुरी सामान नहीं मिल पा रहा है।

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क्या कहती है सरकार

मध्य प्रदेश में सर्वाधिक नेपाली इंदौर, भोपाल, जबलपुर, सागर समेत कई बड़े जिलों में रहते हैं। छोटे जिलों में नेपाली नागरिकों की संख्या ज्यादा नहीं है। जिन छोटे जिलों में यह नागरिक थे भी तो वह पैदल चलकर शहरों में अपने परिचितों के यहां आकर मदद लेकर रहने को विवश है। भोपाल में लगभग 20 से 25 हजार नेपाली नागरिक रहता है। इसमें सक्षम परिवार की संख्या लगभग 5 हजार है।इस मामले में प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से प्रतिक्रिया मांगी गई है। मंत्री निवास से बताया गया है कि वे जल्द इस विषय पर बात करेंगे।

वीडियो में देखिए नेपाली परिवार किस तरह से अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं

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अपील

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