Provoke For Suicide: लैटर था, लाश थी पर पुलिस के पास टाइम नहीं था

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Provoke For Suicide: थाने ने लापरवाही का जिम्मा क्यूडी शाखा के सिर फोड़ा, मिला था सुसाइड नोट

Provoke For Suicide
आत्महत्या करने वाला गोलू विश्वकर्मा

भोपाल। लोग यूं ही पुलिस महकमे को बदनाम नहीं करते। पुलिस जीवित तो छोड़िए मृत व्यक्ति के पीछे भी अपनी नीयत नहीं छोड़ती। ताजा मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal Suicide Case) का है। वह भोपाल जहां हर थाना क्षेत्र में एक विशिष्ट अधिकारी, नेता, मंत्री या उसके समर्थक रहते हैं। बेहद इस चौंका देने वाली कहानी (Provoke For Suicide) के पीछे कई रहस्य छुपे है। जिसकी परतें भविष्य में उजागर हो यह अभी नहीं कहा जा सकता। दरअसल, शुक्रवार को पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया। यह मामला पांच साल पहले का है। जिसमें एफआईआर के लिए पुलिस के पास पांच साल पहले ही मौके पर लाश और लैटर मौजूद था। अब बचाव में थाना कह रहा है कि यह तो पुलिस मुख्यालय की क्यूडी शाखा की लापरवाही है।

रेलवे ट्रेक पर मिली थी लाश

छोला मंदिर थाना पुलिस ने बताया गोलू विश्वकर्मा पिता श्याम लाल उम्र 20 साल की मौत हुई थी। जिसमें थाना पुलिस ने मर्ग कायम किया था। परिजनों ने बताया गोलू विश्वकर्मा (Golu Vishwakarma) शिव नगर इलाके में रहता था। वह सब्जी मंडी में मजदूरी करता था। गोलू के मामा दिनेश विश्वकर्मा ने 13 मार्च, 2015 की सुबह साढ़े आठ बजे गोलू के भाई सुदीप को फोन करके घर बुलाया था। मामा ने बोला था कि रेल्वे ट्रेक पर गोलू विश्वकर्मा (Golu Vishwkarma Suicide Case) की लाश पड़े होने की बात बताई थी। सुदीप ने बताया डाउन रेल्वे ट्रेक रेल पटरी किनारे भानपुर ब्रिज के नीचे गोलू का शव पड़ा था।

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जेब से निकला सुसाइड नोट

पुलिस ने बताया मृतक की जेब में एक सुसाइड नोट मिला था। उसमें लिखा हुआ था कि महेश मेहरा (Mahesh Mehra), राजू मेहरा (Raju Mehra) से उसने पांच हजार रूपए उधार लिए थे। वह रकम उसने लौटा दिए थे। इसके बाद भी दोनों उससे पैसों की मांग कर रहे थे। पैसा नहीं देने पर उसको जान से मारने की धमकी दी जाती थी। उनके दोस्त सूरज अहिरवार (Suraj Ahirwar) ने भी मुझे मारा था। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस जांच में जूट गई थी। शव पीएम के बाद परिजनों को सौंप दिया था।

पांच साल बीत गए

पुलिस ने बताया सुसाइड नोट (Provoke For Suicide) को जांच के लिए पुलिस मुख्यालय की क्यूडी शाखा भोपाल भेजा गया था। जो मृतक की राइटिंग का मिलान कर रही थी। इसके अलावा आसपास और परिजनों के बयानों लिए गए थे। हैंडराइटिंग मिलान करने में क्यूडी शाखा ने पूरे पांच साल लगा लिए। परिजन थानों के चक्कर काटते रहे लेकिन थाना में उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। छोला थाना पुलिस ने सारी जिम्मेदारी और एफआईआर की देरी का जिम्मा क्यूडी शाखा के सिर फोड दिया। शुक्रवार दोपहर दो बजे आरोपी महेश मेहरा, राजू मेहरा और सूरज अहिरवार के खिलाफ धारा 306/34 (आत्महत्या के लिए उकसाने और एक से अधिक आरोपी) का मुकदमा दर्ज किया है।

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