Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-3: अब सवाल पूछने पर घोटाले को गोपनीय बात बोलकर बैंक का रीजनल कार्यालय मामले से पल्ला झाड़ रहा
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र से जारी लोन में जमकर बंदरबाट हुई है। इसकी जांच गहराई से ईडी या फिर सीबीआई करे तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। यह मिलीभगत बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-3) के अफसरों से मिलीभगत करके की जा रही थी। इस बात के पुख्ता सबूत भोपाल के ईओडब्ल्यू थाने में दर्ज तीन करोड़ रूपए के लोन घोटाले की एफआईआर में सामने आ चुका है। इस बात को दबाने के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र के अफसर उस परिवार पर दबाव बना रहे हैं जिन्होंने पूरे मामले का भंडाफोड़ किया है। इसके लिए बैंक संपत्ति को कुर्क करने जैसी कार्रवाई करने की धमकी दे रहा है। जिसमें वह न्यायालय में चारों खाने भी चित हो चुका है।
गोपनीय विषय बताकर गोल-मोल दिया जवाब
यह है पूरा मामला
भोपाल ईओडब्ल्यू ने 4 फरवरी, 2022 को जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला (Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-3) दर्ज किया था। आरोपी मलिका गर्ग, उनके पति अंकुर गर्ग और बैंक के तत्कालीन मैनेजर सहज पाठक हैं। जिसकी शिकायत एक साल से चल रही थी। शिकायत ई-2/28 अरेरा काॅलोनी निवासी पारूल अग्रवाल (Parul Agrawal) ने की थी। इस मकान में वे पति रूपेश अग्रवाल (Rupesh Agrawal) के साथ रहती हैं। जिन्हें आरोपी बनाया गया उसमें मलिका गर्ग शिकायत दर्ज कराने वाली पीड़िता की ननद है। पारूल अग्रवाल जहां रहती है उसी मकान को बंधक बनाकर तीन करोड़ रूपए का केश क्रेडिट लोन मलिका गर्ग ने लिया था। इसके लिए अपनी मैसर्स एएम ट्रेडलिंक्स कंपनी (M/S AM Tradelinks Company) के ऑडिट रिपोर्ट के साथ-साथ प्रेम चावला (Prem Chawla) की कंपनी के साथ व्यापारिक संबंध बताकर अगस्त, 2013 में लोन लिया था। जबकि इस मकान के मालिकाना हक को लेकर 2012 से भोपाल जिला अदालत में विवाद था। प्रेम चावला की फर्म गोविंदपुरा इलाके में थिनर, पेंट बनाने का काम करती है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र लोन घोटाले की आरोपी मलिका गर्ग के पति के प्रेम चावला बेहद करीबी दोस्त हैं। प्रेम चावला ने भी बैंक ऑफ महाराष्ट्र से अलग-अलग फर्म अतुल ऑर्गेनिक्स प्रायवेट लिमिटेड, आनंद हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स आलोक केमटेक और मैसर्स हिंदुस्तान रसायन के नाम पर करीब 11 करोड रूपए का लोन लिया था। यह ईओडब्ल्यू की जांच में सामने भी आ चुका है। इसी चार लोन के बाद अंकुर गर्ग को पांचवां लोन तीन करोड़ रूपए दिया गया था। यह रकम देने वाली बैंक ऑफ महाराष्ट्र ही थी। बैंक की कार्यप्रणाली पूरी तरह से संदिग्ध है। जिसका जवाब देने के लिए वह बच रही है।
ऐसे बांटी जा रही थी रकम
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आ चुका है कि मलिका गर्ग ने जुलाई, 2013 से सितंबर, 2015 के बीच भारी लेन-देन लोन खाते से किया। लोन खाते से उन्होंने अपने निजी खाते में लगभग साढ़े अड़तालीस लाख रूपए की रकम ट्रांसफर की थी। इसके अलावा मलिका गर्ग ने अलग-अलग तारीख को पति अंकुर गर्ग, प्रेम चावला के खातों में रकम ट्रांसफर की थी। इसमें से कुछ रकम बिना कारणों के ट्रांसफर की गई। इस बात की निगरानी बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-3) को करनी थी जो कि नहीं की गई। मलिका गर्ग ने अपने लोन खाते से फर्जी व्यवसायिक कारोबार प्रेम चावला को दिखाए। यह जांच में ईओडब्ल्यू (EOW) ने पाया है। ईओडब्ल्यू मामले को अभी भी जांच में बताकर बच रहा है। वहीं प्रेम चावला का कहना है कि उनके खाते में जो रकम आई उस विषय में उन्हें कोई जवाब नहीं देना है। मतलब साफ है कि बैंक रकम बांट रहा है और लेने वाले कुछ बोलने राजी नहीं हैं। लोन खाते से करीब दो करोड़ रूपए की रकम यहां-वहां की गई। जिसकी निगरानी बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने नहीं की। जिन बैंक अफसरों ने ऐसा करने का साहस भी किया तो उनका तबादला कर दिया गया।
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