MP School News: एमपी में गर्वमेंट स्कूल के टीचर कई हाथों की कठपुतली

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MP School News: आरटीआई कानून के तहत ​टीचिंग के अलावा दूसरे काम पर लगा है प्रतिबंध लेकिन नेताओं के एक कानून के कारण बच्चों के मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन

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लोक शिक्षण संचालनालय के बाहर चयनित शिक्षक प्रदर्शन करते हुए— फाइल फोटो।

भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत किसी व्यक्ति से छुपी नहीं हैं। हालत यह है कि टीचर के सेवा की डोर कई विभागों के हाथों में हैं। इस कारण सरकारी स्कूल (MP School News) में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर काफी असर भी देखने मिल रहा है। जिस तरह से टीचरों से काम लेने के लिए कई विभाग पत्राचार करते हैं। वहीं सरकार भी टीचरों को आरटीआई कानून में दूसरे कामों के न कराने का आदेश जारी करती है। लेकिन, वह जन प्रतिनिधि कानून की आड़ में टीचरों से दूसरे काम की ड्यूटी भी लेती है।

एक टीचर के दो कानून मंत्री ने बताए

भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र से विधायक आरिफ अकील (MLA Arif Aqil) ने सरकारी स्कूलों में गिरते परिणाम को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने विधानसभा में शिक्षा मंत्री से सवाल पूछा था कि चुनाव ड्यूटी में शिक्षकों की सेवाएं ली जाती है। इस सवाल के जवाब पर शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Minister Inder Singh Parmar) ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा—27 के अनुसार चुनाव में ड्यूटी लगाई जा सकती है। इसी तरह विधायक घनश्याम सिंह (MLA Ghanshyam Singh) ने पूछा था कि सरकारी टीचरों की सेवा और अटैचमेंट किया जा सकता है। जिसके जवाब में मंत्री के आरिफ अकील को दिए गए जवाब में ही विस्तार किया गया। उन्होंने कहा कि जनगणना, आपदा राहत, स्थानीय प्राधिकारी, विधान मंडल और संसद के निर्वाचन में सेवा ली जाती है। इसके अलावा अन्य कोई कार्य नहीं कराया जाता है। ऐसा मंत्री ने 19 दिसंबर को विधानसभा के भीतर अपना एक ही विषय को लेकर दो तरह से जवाब दिया है। इसके अलावा उन्होंने अटैचमेंट पर रोक की भी जानकारी दी थी।

विभागों में समन्यवय की भारी कमी

घनश्याम सिंह ने यह मामला दतिया जिले के बीएलओ ड्यूटी करने वाले शिक्षकों (MP School News) को लेकर उठाया था। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि यहां बीएलओ की सेवा दे रहे शिक्षकों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के नियम 13 बी—2— के तहत कार्य कर रहे हैं। मतलब साफ है कि टीचरों से काम लेने के लिए प्रदेश में दो तरह के कानून बनाए गए हैं। पहला कानून 1950 का है जिसको संशोधन करने की बजाय 2009 में दूसरा बिल लेकर सरकार आ गई। इस मामले में राज्य आजाद अध्यापक संघ के प्रांत अध्यक्ष भरत पटेल (Bharat Patel) ने बताया कि टीचरों से केवल शिक्षा विभाग काम नहीं लेता। उनसे कलेक्टर, राजस्व, पंचायत, स्वास्थ्य विभाग भी सेवाएं लेता रहता है। चुनाव ड्यूटी के अलावा आयुष्मान कार्ड बनाने जैसी सेवाएं भी ली जाती है। शिक्षा के अलावा अतिरिक्त कार्य के आदेश संबंधित विभाग के अफसर दे देते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि संबंधित विभाग के प्रमुख में यह बातें संज्ञान में लाकर सेवाएं ली जाए। लेकिन, ऐसा कभी नहीं होता है जिस कारण यह प्रश्न तो बनता है कि विभागों के बीच समन्वय की कमी है।

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