MP Corporate Scam: भाजपा विधायक के रिश्तेदारों की फर्म ने ब्यूरोक्रेसी की मदद से तीन सौ एकड़ से अधिक सहारा कंपनी की जमीनें औने—पौने दामों में खरीदी, सेबी के अधिकृत खाते में रकम जमा करने की बजाय शैल कंपनी में डाली गई रकम, कई अफसर जांच की जद में आए, ईओडब्ल्यू ने दर्ज की पीई
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई
भोपाल। कार्पोरेट जगत में हस्ती रही फर्म सहारा स्टेट की जमीनों को बंदरबांट करके बेचने के सनसनीखेज मामले में ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इस भ्रष्टाचार के मामले में भाजपा विधायक के रिश्तेदारों की फर्म जांच में आई है। यदि इस कार्पोरेट क्राइम (MP Corporate Scam) की जमीनी पड़ताल हुई तो कई बड़े अफसर भी इसमें फंसने वाले हैं। इस घोटाले की सुगबुगाहट पिछले दिनों एमपी परिवहन के सस्पेंड किए गए आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले में उजागर हुई थी। दरअसल, छानबीन के दौरान सहारा स्टेट की जमीन बिल्डरों के जरिए बेचने का मामला सामने आया था।
60 करोड़ रुपए की कम कीमत पर बेची जमीन
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय एवं सेबी ने सहारा समूह (Sahara Group) को निवेशकों की राशि लौटाने के लिए कम्पनी की सम्पत्ति विक्रय करने की अनुमति दी थी। जिसके लिए बकायदा गाइड लाइन भी बनाई गई थी। इसमें 90 प्रतिशत या उससे अधिक दाम मिलने पर ही बेचना प्रमुख था। इसके अलावा सहारा स्टेट (Sahara State) की सम्पत्ति बेचने की अनुमति इस शर्त के साथ दी गई थी कि विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि सीधे सेबी-सहारा के रिफंड खाता नंबर 012210110003740 बैंक ऑफ इंडिया, ब्रांद्रा, मुंबई महाराष्ट्र में जमा होगी। सहारा समूह की भोपाल के मक्सी में स्थित लगभग 110 एकड़ जमीन 48 करोड़ में मेसर्स सिनाप रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (M/s Sinap Real Estate Private Limited) को बेची गई। इसी तरह जबलपुर (Jabalpur) की करीब 100 एकड़ जमीन 20 करोड़ में मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को (M/s Naisa Devbuild Private Limited) और कटनी (Katni) की करीब 100 एकड़ जमीन 20 करोड़ में मेसर्स नायसा देवबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को बेची गई। यह पूरी जमीन 90 करोड़ रूपये में बेची गई थी। भोपाल के मक्सी (Maksi) में स्थित लगभग 110 एकड़ भूमि की कीमत सहारा कम्पनी ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट को 125 करोड़ रूपये बताई थी। जबकि इसे 60 करोड़ रुपए से अधिक के नुकसान में बेचा गया।
दस्तावेज जुटाने में लगी ईओडब्ल्यू
जमीन बेचने के बाद कार्पोरेट हाउस सहारा ग्रुप ने मिलीभगत करके फर्जीवाड़ा किया। सहारा इंडिया रियल स्टेट लिमिटेड (Sahara India Real Estate Limited) , सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन (Sahara Housing Investment Corporation) और निजी शैल कम्पनियों के खातों में रकम जमा कराई गई। न्यायालय के आदेश के बाद भी जमीन विक्रय से प्राप्त राशि सेबी के खाते में जमा न कर उसका आंतरिक रूप से उपयोग किया गया। सहारा हाउसिंग कार्पोरेशन इन्वेस्टमेंट समूह के अधिकारी, कर्मचारी, सहारा ग्रुप की विक्रय हेतु अधिकृत की गई विभिन्न विक्रेता कंपनियां एवं संबंधित राजस्व अधिकारीगण एवं अन्य के विरूद्ध आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने प्रारंभिक जांच के लिए अनुमति दे दी है। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू (EOW)की तरफ से सेबी से रिकॉर्ड मांगे जा रहे हैं। इसके अलावा ग्वालियर (Gwalior) स्थित रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी से भी शैल कंपनियों की जानकारी मांगी जा रही है। निवेशकों को लाभ पहुंचाने की बजाय अफसरों के साथ मिलकर कॉर्पोरेट जगत के माफियाओं ने सुनियोजित तरीके से बंदरबाट किया है। जिसका भंड़ाफोड़ होने में अभी दस्तावेजी सबूत जुटाने का काम किया जा रहा है।
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