Chit Fund Scam: फेमा एक्ट में प्रकरण दर्ज मुंबई में बैठे मास्टर माइंड को प्रत्यर्पण कराने की तैयारी

भोपाल। एमपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स बॉट ब्रो कंपनी फर्जीवाड़े में मनी ट्रेल निकालने का प्रयास कर रही है। इधर, दुबई के रास्ते चल रहे इस घोटाले में ईडी की भी एंट्री हो गई है। उसने फेमा एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर मुख्य आरोपी (Chit Fund Scam) को भारत में लेकर आने की तैयारी शुरु कर दी है। मुख्य आरोपी के खिलाफ एक दर्जन से अधिक प्रकरण कई राज्यों में भी दर्ज हो चुके हैं।
कंपनियों का पैसा दुबई भेजा जा रहा था
भोपाल—इंदौर एसटीएफ (Bhopal-Indore STF) की संयुक्त मुहिम में दिल्ली (Delhi) से निवेश कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले दो आरोपियों दीपक शर्मा (Deepak Sharma) और मदन मोहन (Madan Mohan) को गिरफ्तार किया गया था। इनसे हुई पूछताछ के बाद पुलिस को 17 खातों की जानकारी मिली है। इनमें दो कंपनियों यार्कर एफएक्स (Yorker FX) और यार्कर केपीटल (Yorker Capital) में लोगों को निवेश कराया गया था। यह निवेश की राशि 2280 करोड़ रुपए हैं। एसटीएफ (STF) ने 90 करोड़ रुपए फ्रीज करा दिए हैं। पड़ताल में पुलिस को 17 खातों की जानकारी भी मिली है। इसमें दो कंपनियों का पैसा इनके जरिए दुबई (Dubai) में बैठे मास्टर माइंड को भेजा गया था। एसटीएफ की तरफ से जांच में आने वाले विदेश से संबंधित जानकारियां ईडी के साथ भी साझा किया जा रहा है। पुलिस को अभी इन खातों को संचालन करने वाले एक दर्जन से अधिक लोगों की तलाश है। यह भारत के अलग—अलग राज्यों में बैठे हुए हैं। इनकी लोकेशन निकालने का काम एसटीएफ की तरफ से किया जा रहा है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस प्रकरण में तीन आरोपियों का महत्वपूर्ण सुराग मिल गया है। जिसके पीछे एसटीएफ की टीम लगी हुई है। यदि उनकी गिरफ्तारी होती है तो पुलिस को मनी ट्रेल को सुलझाने में आसानी मिलेगी। फिलहाल एसटीएफ बैंक की मदद से इन पहेलियों का समाधान निकाल रही है।
जांच करने में पुलिस को आया पसीना
इंदौर एसटीएफ नवीन चौधरी (Naveen Chaudhry) और भोपाल एसटीएफ राजेश भदौरिया (Rajesh Bhadauriya) की निगरानी में यह काम किया जा रहा है। इस तफ्तीश के दौरान एसटीएफ को सबसे ज्यादा दिक्कत मनी ट्रेल (Chit Fund Scam) को सुलझाने में आ रही है। दरअसल, एसटीएफ के पास इन्हें सुलझाने वाले निज एक्सपर्ट की आवश्यकता हैं वह है नहीं। इसलिए जिलों में तैनात इस तरह के एक्सपर्ट को कुछ दिन के लिए पुलिस अधीक्षकों और डीसीपी से निवेदन करके एसटीएफ में बुलाया गया हैं। पुलिस मनी ट्रेल के जरिए पीड़ितों का भी डेटा खंगालने का काम कर रही है। इस संगठित गिरोह में दोनों कंपनियां अवैध तरीके से खोली गई है। ग्वालियर (Gwalior) से इस बात की पुष्टि भी हो चुकी हैं।
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