मुख्यमंत्री ने कहा विष तो शिव पी लेते है, कमलनाथ बोले- ‘अब तो रोज पीना पड़ेगा’

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राज्यपाल ने ली शपथ, गुरुवार को होगा मंत्रिमंडल विस्तार

Cabinet Expansion MP
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ-फ़ाइल फ़ोटो

भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion MP)  को लेकर जारी कयासों का दौर खत्म हो गया है। गुरुवार को शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा। गुरुवार को प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाएंगी। बुधवार को आनंदीबेन पटेल ने राज्यपाल पद की शपथ ली। मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तो तय हो गई है। लेकिन कौन-कौन मंत्री बनेगा, किसे कौन सा विभाग मिलेगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है। मध्यप्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि कल सब साफ हो जाएगा। आज कोई सूची जारी नहीं की गई है।

मंथन में निकला विष ?

मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भारतीय जनता पार्टी ने जमकर मंथन किया है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक बैठकों के तमाम दौर चलने के बाद फाइनल सूची तैयार कर ली गई है। इस मंथन पर जब सवाल पूछा गया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘मंथन में अमृत भी निकलता है और विष भी निकलता है। विष तो शिव पी लेते है।‘

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बयान पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरु हो गई है। आखिर किस विष की बात कह रहे है सीएम शिवराज ? मंथन में निकले कैसे जहर को उन्हें पीना पड़ा है, या पड़ रहा है ? ये सवाल उठ रहे है। हालांकि गुरुवार को मंत्रिमंडल विस्तार के बाद राजनीतिक समझ रखने वालों को इन सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे।

‘अब तो रोज पीना पड़ेगा’

मुख्यमंत्री के विष वाले बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने अंदाज में तंज कसा है। कमलनाथ ने विष का जिक्र करते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि- ‘मंथन इतना लंबा हो गया कि अमृत तो निकला नहीं , सिर्फ़ विष ही विष निकला है। मंथन से निकले विष को तो अब रोज़ ही पीना पढ़ेगा क्योंकि अब तो कल से रोज़ मंथन करना पढ़ेगा। अमृत के लिये तो अब तरसना ही तरसना पढ़ेगा। इस विष का परिणाम तो अब हर हाल में भोगना पढ़ेगा।‘

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इस दर्द की वजह ढूंढ़ी जा रही है

मंगलवार को भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ट्वीट किया था। जिस पर चर्चाएं शुरु हो गई थी। उन्होंने एक शायरी लिखी थी, जिसके कई राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे थे।

‘आये थे आप हमदर्द बनकर, रह गये केवल राहज़न बनकर। पल-पल राहज़नी की इस कदर आपने, कि आपकी यादें रह गईं दिलों में जख्म बनकर।‘

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