Bhopal Fraud News: तेरह हजार रुपए के लिए बन गई जालसाज

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Bhopal Fraud News: गैस दावा अदालत से प्रोरेटा मुआवजा पाने के लिए जीवित पति और बेटी को कागजों में मार डाला, जांच हुई तो पता चला आवेदन करने के दस साल बाद हुई थी पति की मौत, बेटी तो आज भी जिंदा, जालसाजी का प्रकरण दर्ज

Bhopal
ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। लालच आदमी को गुनहगार बना देता है। यह कहावत बड़े—बुजुर्गों ने यूं ही नहीं बनाई है। ताजा घटना भोपाल (Bhopal News) शहर के शाहजहांनाबाद थाना क्षेत्र की है। यहां एक महिला ने गैस दावा अदालत से प्रोरेटा के 13 हजार रुपए का मुआवजा पाने के लिए पति और बेटी को कागजों में मार दिया। मामले में अदालत को शक हुआ तो नगर निगम से दस्तावेज मांगे गए। निगम ने दस्तावेज उपलब्ध कराए तो पता चला कि पति की मौत प्रोरेटा मुआवजा के लिए किए गए आवेदन के दस साल बाद हुई। वहीं बेटी तो आज भी जिंदा है। जिसके बाद यह प्रकरण पुलिस को सौंपा गया।

पुलिस को एक सप्ताह में कार्रवाई करके सूचित करने के दिए थे आदेश फिर भी जांच में दो महीने लग गए

शाहजहांनाबाद (Shahjahanabad) पुलिस के अनुसार इस संबंध में प्रतिवेदन गैस दावा अधिकरण में स्थित उपायुक्त कार्यालय से 26 सितंबर, 2024 को मिला था। जिसकी डायरी अगली जांच के लिए एसआई सर्वेश सिंह (SI Sarvesh Singh) को दी गई थी। उन्होंने जांच के बाद 26 नवंबर को प्रकरण 651/24 दर्ज कर लिया है। जिसमें आरोपी शीला यादव (Sheela Yadav) को बनाया गया है। यह दावा प्रकरण 1994 से चला आ रहा था। आरोपी शीला यादव पत्नी मनोहर यादव (Manohar Yadav) उस वक्त वार्ड 13 में रहती थी। यह जहांगीराबाद स्थित वार्ड—13 के ओम नगर (Om Nagar) में आता था। उसने पति मनोहर यादव और बेटी ज्योति यादव (Jyoti Yadav) की मौत के झूठे प्रमाण कोर्ट में पेश किए थे। आरोपी शीला यादव ने 07 दिसंबर, 1994 को पति के मौत होने की जानकारी दी थी। इसी तरह बेटी की मौत की तारीख उसने 03 अप्रैल, 1997 कोर्ट को बताई थी। यह पूर्व में घोषित 25 हजार रुपए में से बची 13 हजार रुपए लेने ​के लिए किया गया। उसने प्रोरेटा मुआवजा के लिए दिसंबर, 2010 में आवेदन किया था। कोर्ट को संदेह हुआ तो मामले की जांच की गई। जिसमें पता चला कि मनोहर यादव की मौत 03 अप्रैल, 1997 को हुई थी। यह जानकारी नगर निगम भोपाल (Nagar Nigam Bhopal) ने दिसंबर, 2011 में कोर्ट को दी थी। जबकि बेटी की मौत ही नहीं हुई थी। कोर्ट ने पति का प्रोरेटा मुआवजा जारी कर दिया। लेकिन, मामले को संदिग्ध मानते हुए जांच जारी रखी थी। अदालत ने एफआईआर दर्ज करके कोर्ट को सूचित करने के भी आदेश दिये थे। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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