राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद: 400 सालों से चले आ रहे अयोध्या विवाद की पूरी कहानी

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राम मंदिर का भूमिपूजन, बनेगा भव्य मंदिर, करोड़ों हिंदुओं का सपना साकार

Ram Mandir
राम मंदिर, ग्राफिक्स

नई दिल्ली। अयोध्या विवाद (Ayodhya) एक ऐतिहासिक, सामाजिक-धार्मिक विवाद है। जो नब्बे के दशक में अपने चरम पर था। इस विवाद का मूल कारण राम मंदिर (Ram Mandir) और बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को लेकर था। हिन्दुओं का कहना था कि इस स्थान पर राम मंदिर था जिसे बाबर के सेनापति मीर बाकी ने ध्वस्त कर बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था। बाबरी मस्जिद को एक राजनैतिक रैली के दौरान 1992 में ध्वस्त कर दिया गया था। जिसकी वजह से दंगे में हजारों लोगों की जान चली गई थी। विवादित ढांचे को बंद कर ताला लगा दिया गया। 2011 के बाद विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांटकर पूजा शुरु कर दी गई थी।

प्रधानमंत्री ने किया भूमिपूजन

आज  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 5 शताब्दी का इंतजार खत्म हुआ। देश-दुनिया के करोड़ों रामभक्तों का सपना साकार हुआ। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल समेत तमाम रामभक्त मौजूद रहे।

9 नवम्बर 2019 का ऐतिहासिक दिन

9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोध्या विवाद का अंत करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसके अंतर्गत उच्च न्यायालय के निर्णय को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा की याचिका को निरस्त कर दिया। सुन्नी वक्फ बोर्ड को वाद लगाने का अधिकारी नहीं माना गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 5-0 से फैसला रामलला के पक्ष में सुनाया। जिसके अंतर्गत विवादित भूमि को राम जन्म भूमि माना गया और मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कही और 5 एकड़ जमीन देने का निर्णय दिया।

राम मंदिर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया। जो राम मंदिर निर्माण का कार्य करेगा। आईए जानते है तारीखों में दर्ज राममंदिर का इतिहास और उससे जुड़ी विवादित कहानियां..

आखिर कब शुरू हुआ अयोध्या विवाद

साल 1528: बाबर ने 1528 में अयोध्या (विवादित जमीन) पर हमला किया था। बाबर के सेनापति मीर बाकी ने इस विवादित जमीन पर मस्जिद का निर्माण करवाया था। हिन्दुओं का कहना था कि यहां राम का जन्म हुआ था यहां पहले राम मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था।

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साल 1853 से 1949 तक: अयोध्या में पहली बार 1853 में दंगे भड़के। 1859 में अंग्रेजी शासन ने विवादित जगह पर बाड़ा लगा दिया। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिन्दुओं को बाहर चबूतरे में पूजा करने की व्यवस्था की गई थी।

साल 1949: असली विवाद 1949 में शुरू हुआ। जब राम की मूर्तियां मस्जिद के अंदर पाई गईं। हिन्दुओं ने इसे आस्था का विषय बनाते हुए कहा कि राम भगवन खुद प्रकट हुए हैं। उधर मुसलमानों ने आरोप लगाए कि हिन्दुओं ने रात में चुपके से राम की मुर्तियां मस्जिद में रखी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने मूर्तियों को हटाने का आदेश दिया लेकिन जिला मजिस्ट्रेट के के नायर ने हिन्दुओं की आस्था और दंगे भड़कने के डर से मूर्तियां को हटाने में असमर्थता जताई। इसके बाद इस विवादित जमीन पर ताला लगवाकर बंद कर दिया गया।

साल 1950: साल 1950 में फ़ैजाबाद कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गयी। पहली अर्जी में राम लला की पूजा की इजाजत मांगी गई। दूसरी अर्जी में विवादित ढांचें में जो राम की मूर्तियां रखी थीं उसमे उसे रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा द्वारा तीसरी अर्जी लगाई गई। 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित ढांचे का कब्जा मांगा और मूर्तियों को हटाने की मांग की।

साल 1986: यू सी पांडे की याचिका पर फ़ैजाबाद जिला जज एमके पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिन्दुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए विवादित ढांचे से ताला खोलने का आदेश दिया।

साल 1992: भाजपा, वीएचपी, शिवसेना और दूसरे हिन्दू सगठनों के लाखों लोगों ने अयोध्या के विवादित ढांचे को गिरा दिया। जिसकी वजह से हिन्दू मुस्लिम दंगे हुए और लगभग 2000 लोगों के मरने की पुष्टि की गई।

साल 2002: यह साल गोधरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। हिन्दू कार्यकर्ताओं को ले जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई जिसकी वजह से 58 लोगों की जलकर मौत हो गई। एक बार फिर हिन्दू मुस्लिम दंगा भड़का जिसमें 2000 जानें गईं।

साल 2010: अलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित ढांचे को तीन भागों में बाटने का निर्णय दिया। सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़े को बराबर-बराबर जमीन बाटने का निर्णय सुनाया।

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साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अलाहाबाद के निर्णय को निरस्त कर दिया। जिससे एक बार फिर विवाद उत्पन्न होने लगा।

साल 2017: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने इस मामले को कोर्ट से बाहर सुलझाने को कहा। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। एक पैनल का गठन किया गया और 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही ख़त्म करने को कहा गया।

1 अगस्त 2019: 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई प्रतिदिन शुरू हुई।

16 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अयोध्या मामले की पूरी हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

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ऐतिहासिक फैसला

9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अयोध्या विवाद का अंत करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसके अंतर्गत उच्च न्यायालय के निर्णय को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा की याचिका को निरस्त कर दिया। सुन्नी वक्फ बोर्ड को वाद लगाने का अधिकारी नहीं माना गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 5-0 से फैसला रामलला के पक्ष में सुनाया। जिसके अंतर्गत विवादित भूमि को राम जन्म भूमि माना गया और मस्जिद के लिए अयोध्या में ही कही और 5 एकड़ जमीन देने का निर्णय दिया।

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