The TIT College Story: इसी कॉलेज में पढ़ा है फरहान जिसने कई छात्राओं की जिंदगी कर दी तबाह, सवालों का सामना करने की बजाय प्रबंधन बचता नजर आया, कॉलेज के ही नजदीक क्लब 90 में बैठते हैं छात्र

भोपाल। टेक्नोक्रेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी यानि टीआईटी कॉलेज (The TIT College Story) इन दिनों सुर्खियों में है। इसी कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों का एक समूह ने कई युवतियों के साथ ब्लैकमेल करके उनके साथ ज्यादती की है। इस मामले में अब तक भोपाल शहर के तीन थानों में पांच प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। कॉलेज की युवतियों के साथ हुई ज्यादती पर पब्लिक वाणी ने जाकर भौतिक सत्यापन के लिए पहुंची। यहां कॉलेज प्रबंधन डर गया और उसने सवालों के जवाब का सामना ही नहीं किया। इतना ही नहीं बातचीत के लिए कॉलेज के भीतर जाने से भी रोक दिया गया। इस कारण कॉलेज के बाहर छात्रों से भीतर चल रहे लापरवाहियों को लेकर चर्चा की गई।
कॉलेज में फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ है कई छात्र
नाम न छापने की शर्त में अधिकांश छात्रों ने बताया कि प्रबंधन उनके साथ प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बालक—बालिकाओं की तरह व्यवहार करता है। सुविधाओं के मुकाबले फीस काफी ज्यादा है। बोलने पर किसी तरह का निराकरण भी नहीं होता। कॉलेज के ही भीतर हॉस्टल भी है। यहां बनने वाले भोजन और बाकी इंतजाम को लेकर प्रबंधन कोई संज्ञान ही नहीं लेता। उल्लेखनीय है कि कॉलेज में फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ यहां पढ़ने वाले छात्रों ने जमकर आंदोलन किया था। जिसमें तोड़फोड़ से लेकर उपद्रव का मामला थाने में भी पहुंचा था। छात्रों ने फैकल्टी को लेकर भी शिकायतें बताई। जब छात्रों से प्लेसमेंट को लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह औसत ही है। कंपनियां आती है लेकिन उन्हें उतना पैकेज और वैटेज नहीं मिलता। छात्राओं की सुरक्षा को लेकर कॉलेज में विशाखा कमेटी को लेकर बातचीत की गई। अधिकांश छात्र और छात्राओं ने बताया कि ऐसा कभी नोटिस में हमारे सामने नहीं आया। इसके अलावा विशाखा कमेटी को लेकर कोई सूचना पटल पर भी जानकारी हमने नहीं देखी है। इधर, इन आरोपों की सच्चाई पर पक्ष जानने और मैदानी हकीकत के बारे में पता लगाने कॉलेज के पदाधिकारी आरएस मुखर्जी (R.S Mukharji) से संपर्क किया गया। उन्होंने पहले तो विषय जानने के बाद फोन ही काट दिया। फिर जब दोबारा कॉल किया तो वे बोले अभी मैं बैठक में हूं, फ्री होने के बाद चर्चा करता हूं। हालांकि उन्होंने अपना पक्ष रखना उचित नहीं समझा।
नेताओं से लेकर हर व्यक्ति कॉलेज की सुरक्षा को लेकर पूछ रहा सवाल
बलात्कार और ब्लैकमेल के मामले में टीआईटी कॉलेज (The TIT College Story) के गेट पर पिछले दिनों प्रदर्शन भी हो चुका है। इसी कॉलेज में 2017 में पढ़ने वाले फरहान ने अपना गुट बनाया था। जिसमें अधिकांश छात्र थे जो उसी टीआईटी कॉलेज में पढ़ते थे। पुलिस भी टीआईटी कॉलेज में फरहान (Farhan) को लेकर जा चुकी है। उसके अलावा अन्य आरोपियों से जुड़े दस्तावेज पुलिस ने टीआईटी कॉलेज से मांगे हैं। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद कॉलेज में पढ़ने वाले अन्य छात्र—छात्राओं के भीतर प्रबंधन के लचर रुख के चलते भीतर ही भीतर भय है। इसे दूर करने की बजाय टीआईटी कॉलेज प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों से बच रहा है। सोशल मीडिया में टीआईटी कॉलेज ट्रोल भी हो रहा है। पूछा जा रहा है कि यदि यह किसी मुस्लिम का कॉलेज होता तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाती। इतना ही नहीं उसके भवन को भी जमींदोज कर दिया जाता।
निगरानी का भारी अभाव

इधर, ज्यादती और ब्लेकमेल करने के लिए बनाए गए युवतियों के वीडियो (Video) मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) का दल भोपाल आ गया है। दल में तीन सदस्य है जो झारखंड की पूर्व डीजीपी निर्मल कौर की अध्यक्षता में पुलिस जांच का अध्ययन कर रहा है। दल से बातचीत के लिए पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र (CP Harinarayan Chari Mishra) ने डीसीपी मुख्यालय श्रृद्धा तिवारी (DCP Shraddha Tiwari) को नोडल अधिकारी बनाया है। निर्मल कौर के साथ जबलपुर हाईकोर्ट की अधिवक्ता निर्मला नायक और राष्ट्रीय महिला आयोग के अवर सचिव आशुतोष पांडे साथ में आए हुए हैं। 03 अप्रैल दोपहर बंद कमरे में डीसीपी मुख्यालय ने जांच दल को एफआईआर से लेकर कई अन्य पीड़ितों से जुड़ी बातें उनसे साझा की गई। जांच दल में शामिल अधिकारियों की विशेषता और उनके चयन करने से संबंधित बातें साझा की गई। जांच करने आया दल पुलिस जांच को लेकर पीड़िताओं से भी उनका पक्ष रविवार को सुनेगा। यह जांच दल टीआईटी कॉलेज न पहुंच जाए इस भय में शनिवार को दिनभर बैठकों का दौर जारी रहा। दरअसल, टीआईटी कॉलेज में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर वहां निगरानी का भारी अभाव है। जिस कारण जांच दल के सामने वह फंस सकता है। उससे बचने के लिए टीआईटी कॉलेज प्रबंधन अपनी रणनीति बना रहा है।
तीन सप्ताह के भीतर यह हुआ है घटनाक्रम
भोपाल शहर के बागसेवनिया (Bagsewania) थाने में 11 अप्रैल को पुलिस ने तीन प्रकरण दर्ज किए थे। दो प्रकरण जहांगीराबाद और अशोका गार्डन थाने भेजे गए। इसके बाद चौथा मामला भी बागसेवनिया थाने में ही दस दिन बाद दर्ज किया गया। यह प्रकरण दर्ज होने के दो दिन बाद नया मुकदमा जीरो पर दर्ज करके अशोका गार्डन (Ashoka Garden) थाने भेजा गया। इन प्रकरणों में मुख्य आरोपी फरहान, उसका भांजा साद, सैयद अली, साहिल अली, नाबिल, अबरार और हामिद बनाए गए हैं। ऐशबाग (Aishbag) थाना क्षेत्र स्थित चंबल कॉलोनी (Chambal Colony) में रहने वाला फरहान टीआईटी कॉलेज से पढ़ने के बाद आटो डील का काम करने लगा था। साहिल अली (Sahil Ali) अशोका गार्डन में डांस क्लास चलाता था। तीन आरोपियों को जब भोपाल कोर्ट में पेश किया गया तो वहां वकीलों ने मिलकर हमला कर दिया था। इससे पहले जेपी अस्पताल (JP Hospital) में मेडिकल कराते वक्त भी हंगामा हुआ था। आरोपियों में शामिल पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। अभी अबरार (Abrar) फरार चल रहा है। उसकी तलाश में अशोका गार्डन पुलिस ने आरोपी फरहान को दो दिन पहले प्रोडक्शन वारंट पर लिया था। उसको बिलकिसगंज (Bilkisganj) ले जाया जा रहा था। तभी रातीबड़ स्थित सरवर के पास उसने भागने की कोशिश की तो गोली लगने से वह जख्मी हो गया। वह अभी हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) में भर्ती है। हालांकि फरहान की मां ने डीजीपी से मिलकर आरोप लगाया कि उसको मारी गई गोली को लेकर उसे शक है। वहीं प्रकरण में सातवां आरोपी हामिद (Hamid) दिसंबर, 2024 में फांसी लगाकर खुदकुशी कर चुका है।
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