Bhopal News: ईटखेड़ी के आस—पास सिविल अस्पताल नहीं होने के चलते बैरसिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे लाखों की आबादी

भोपाल। राजधानी में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली के भीतर ही भीतर कई तरह की तकनीकी समस्याएं हैं। क्षेत्राधिकार अलग—अलग होने के चलते सामान्य नागरिकों को हर दिन इस दफ्तर से उस दफ्तर चक्कर काटना पड़ते हैं। इसके अलावा भोपाल (Bhopal News) देहात तो विकास के कारण पिछड़ ही गया है। दरअसल, ईटखेड़ी, सुखी सेवनिया, गुनगा और नजीराबाद की एक बहुत बड़ी आबादी के लिए एक अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता है। जिस कारण पुलिस विभाग में हर दिन कोई न कोई समस्या आती है। यह बात तब उजागर हो गई जब पुलिस कर्मचारियों से ही मारपीट का मामला हो गया। नतीजतन, जीरो पर प्रकरण दर्ज करके इस समस्या का समाधान पुलिस कर्मचारियों को निकालना पड़ा।
कौन बोला हमने मुकदमा दर्ज नहीं किया यह बोलकर एसपी ने दी यह जानकारी
ईटखेड़ी (Ithkhedi) थाना पुलिस के मुताबिक 03 अप्रैल की रात ड्यूटी समाप्त होने के बाद निशातपुरा (Nishatpura) थाने में पदस्थ आरक्षक मोहित राठौर (Mohit Rathore) और महेश दांगी (Mahesh Dangi) बाइक से भोजन करने ईटखेडी़ थाना क्षेत्र स्थित चौरसिया ढाबे (Chaurasia Dhaba) पर पहुंचे थे। यहां भोजन करते समय उनका वहां ढ़ाबे के एक कर्मचारी से विवाद हो गया। इसके बाद ढाबा संचालक मुन्ना लाल चौरसिया (Munna Lal Chaurasia) के बेटे राहुल चौरसिया (Rahul Chaurasia) और मोहित चौरसिया (Mohit Chaurasia) ने अपने चार कर्मचारियों के साथ मिलकर लाठी—डंडों, चिमटा और झारों से दोनों सिपाहियों को पीट दिया। इस कारण पुलिस आरक्षकों की वर्दी भी फट गई थी। इसके बाद दोनों ईटखेड़ी थाने पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि थाने में प्रकरण दर्ज नहीं किया गया। इस कारण भोपाल देहात एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा (SP Pramod Kumar Sinha) से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगी गई। उन्होंने बताया कि यह गलत जानकारी है। दरअसल, दोनों कांस्टेबल को मेडिकल के लिए बोला गया। इसके लिए बैरसिया (Berasia) में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता। वह काफी दूर था। इसलिए निशातपुरा थाने में जीरो पर प्रकरण दर्ज करके केस डायरी ईटखेड़ी थाने भेजी गई है। ईटखेड़ी थाना पुलिस ने प्रकरण 150/25 दर्ज कर लिया। थाना स्टाफ ने कोई देरी नहीं की थी। उल्लेखनीय है कि यह समस्या देहात में काफी दिनों से बनी हैं। ईटखेड़ी इलाके में होने वाली दुर्घटनाओं और हादसों के लिए बैरसिया ले जाया जाता है। वहां जाना काफी दूभर होता है। इसलिए कई फरियादी इसी बात को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराने से पीछे हट जाते हैं। बहरहाल निशातपुरा थाने के दो कांस्टेबल के साथ हुई मारपीट की घटना ने इस विकराल समस्या को उजागर कर दिया है।
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