Chit Fund Scam: बॉट ब्रो कंपनी फर्जीवाड़े में दो बैंक खातों ने चौंकाया

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Chit Fund Scam: दुबई में बैठे मुख्य आरोपी लवीश चौधरी के प्रत्यर्पण कराने की तैयारियां शुरु, लुक आउट नोटिस होगा जारी

Chit Fund Scam
ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। एमपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने बॉट ब्रो कंपनी का फर्जीवाड़ा उजागर किया है। मनी ट्रेल का पता लगाने के दौरान दो खातों की जानकारी एसटीएफ को मिल गई है। इसमें करीब 117 करोड़ रुपए का लेन—देन हुआ है। यह रकम दुबई के रास्ते कई विदेशों में घुमाया गया है। इस कारण घोटाले (Chit Fund Scam) में ईडी भी अलग से जांच कर रही है। इधर, एमपी एसटीएफ ने मामले में वांछित आरोपी की तलाश के लिए लुक आउट नोटिस जारी करने की तैयारी शुरु कर दी है।

दिल्ली से हुई दो लोगों की गिरफ्तारियां

भोपाल—इंदौर एसटीएफ (Bhopal-Indore STF) की संयुक्त मुहिम में दिल्ली (Delhi) से निवेश कराने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले दो आरोपियों दीपक शर्मा (Deepak Sharma) और मदन मोहन (Madan Mohan) को गिरफ्तार किया गया था। इनसे हुई पूछताछ के बाद पुलिस को 17 खातों की जानकारी मिली है। इनमें दो कंपनियों यार्कर एफएक्स (Yarker FX) और यार्कर केपीटल (Yarker Capital) में लोगों को निवेश कराया गया था। शुरुआती जांच में निवेश की राशि 2280 करोड़ रुपए निकलकर सामने आई थी। एसटीएफ ने 90 करोड़ रुपए ​फ्रीज करा दिए हैं। पड़ताल में पुलिस को 17 खातों की जानकारी भी मिली है। इसमें दो कंपनियों का पैसा इनके जरिए दुबई में बैठे मास्टर माइंड लवीश चौधरी (Lavish Chaudhary) को भेजा गया था। एसटीएफ (STF) की तरफ से जांच में आने वाले विदेश से संबंधित जानकारियां ईडी के साथ भी साझा की जा रही है। पुलिस को अभी इन खातों को संचालन करने वाले एक दर्जन से अधिक लोगों की तलाश है। यह भारत के अलग—अलग राज्यों में बैठे हुए हैं। इनकी लोकेशन निकालने का काम एसटीएफ की तरफ से किया जा रहा है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस प्रकरण में तीन आरोपियों का महत्वपूर्ण सुराग मिल गया है। जिसके पीछे एसटीएफ की टीम लगी हुई है। यदि उनकी गिरफ्तारी होती है तो पुलिस को मनी ट्रेल को सुलझाने में आसानी मिलेगी। फिलहाल एसटीएफ बैंक की मदद से इन पहेलियों का समाधान निकाल रही है।

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जांच करने में पुलिस को आया पसीना

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फर्जीवाड़ा 2400 करोड़ के पार हो चुका है। एसटीएफ नवीन चौधरी (Naveen Chaudhry) और भोपाल एसटीएफ राजेश भदौरिया (Rajesh Bhadauriya) की निगरानी में यह काम किया जा रहा है। इस तफ्तीश के दौरान एसटीएफ को सबसे ज्यादा दिक्कत मनी ट्रेल को सुलझाने में आ रही है। दरअसल, एसटीएफ के पास इन्हें सुलझाने वाले निज एक्सपर्ट की आवश्यकता हैं वह है नहीं। इसलिए जिलों में तैनात इस तरह के एक्सपर्ट को कुछ दिन के लिए पुलिस अधीक्षकों और डीसीपी से निवेदन करके एसटीएफ में बुलाया गया हैं। पुलिस मनी ट्रेल के जरिए पीड़ितों का भी डेटा खंगालने का काम कर रही है। इस संगठित गिरोह में दोनों कंपनियां अवैध तरीके से खोली गई है। ग्वालियर से इस बात की पुष्टि भी हो चुकी हैं।

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