Exclusive News: बारह साल बिना काम कांस्टेबल को मिली तनख्वाह 

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Exclusive News: सेवा में आने के बाद बुनियादी प्रशिक्षण के लिए राजधानी से भेजा गया था सागर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल, अंगदों की तलाश में उजागर हुई लापरवाही, गुपचुप अफसरों ने एसीपी की अगुवाई में बैठाई जांच

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाईन टीसीआई।

भोपाल। बिना काम एक कांस्टेबल के खाते में बारह साल तक सैलरी जाती रही। उसकी सुध कभी ली ही नहीं गई। पिछले महीने एमपी डीजीपी कैलाश मकवाना (DGP Kailash Makwana) ने प्रदेश के थानों में जमे अंगद को हटाने की योजना बनाई। जिसके बाद भोपाल (Exclusive News) शहर में यह गंभीर लापरवाही उजागर हुई। घटना की जानकारी भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र  को मिली। उन्होंने गुपचुप तरीके से एक जांच कमेटी टीटी नगर एसीपी अंकिता खातरकर (ACP Ankita Khatarkar) की अगुवाई में बैठा दी है। इस संबंध में डीसीपी मुख्यालय श्रद्धा तिवारी की निगरानी में जांच चल रही है।

अफसरों ने नही ली सुध

सूत्रों के अनुसार कांस्टेबल (Constable) विदिशा (Vidisha) जिले का रहने वाला है। वह सेवा में 2011 में प्रवेश आया था। पुलिस प्रशिक्षण लेने के बाद उसे भोपाल पुलिस लाइन (Bhopal Police Line) में भेजा गया। लाइन में रहने के बाद उसे 2012 में सागर (Sagar) जिले में भर्ती होने के बाद होने वाली बुनियादी प्रशिक्षण के लिए सागर भेजने के आदेश हुए। इस आदेश के तहत उसे सागर भेजना तय हुआ। पुलिस लाइन के लापरवाह अफसरों ने कांस्टेबल को उसका सर्विस रिकॉर्ड देकर उसे रवाना कर दिया। कांस्टेबल पुलिस लाइन में फटीक के काम से हतोत्साहित हो गया था। इसलिए उसने ट्रेनिंग में जाने की बजाय विदिशा जिले में स्थित अपने घर चला गया। वहां जाने के बाद उसने अपने सर्विस रिकॉर्ड को स्पीड पोस्ट से भेज दिया। यह सर्विस रिकॉर्ड पुलिस लाइन में जमा कर लिया गया। इसके बाद किसी भी अफसर ने उसकी सुध ही नहीं ली। इतना ही नहीं उसके खाते में 12 साल तक बकायदा सैलरी का भी भुगतान किया गया।

गुपचुप तरीके से रिकवरी करने की तैयारी

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ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इस अवधि के दौरान भोपाल शहर में डीआईजी प्रणाली के बाद पुलिस ​कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। पुलिस लाइन में जाकर आईपीएस योगेश चौधरी, डी.श्रीनिवास वर्मा, रमन सिकरवार, धर्मेंद्र चौधरी, इरशाद वली, संतोष सिंह, मकरंद देउस्कर और हरिनारायण चारी मिश्र ने कई बार निरीक्षण किया। लेकिन, यह गड़बड़ी कभी सामने ही नहीं आ सकी। यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब पुलिस मुख्यालय (PHQ) के आदेश पर प्रत्येक पुलिसकर्मियों के डोजियर बनाकर उसे डिजीटल बनाने की तैयारी शुरु की गई। अब गुपचुप तरीके से कांस्टेबल को बिना काम किए गए भुगतान को रिकवरी करने की तैयारी की जा रही है। इस बात से विवादों में घिरा पुलिस कांस्टेबल और उसका पूरा परिवार भी सदमे में आ गया है। दरअसल, कांस्टेबल की रिकवरी करीब 40 लाख रुपए की हो रही है। वह इतनी भारी रकम कैसे चुकाएगा इसको लेकर वह परेशान चल रहा है।

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अंगदों की छानबीन में दर्जनों कर्मचारी अफसरों के पास मिले

पुलिस मुख्यालय के आदेश पर जारी हुई अंगदों की खोजबीन में दर्जनों ऐसे कर्मचारी भी मिले हैं जो सैलरी भोपाल से ले रहे हैं। लेकिन, वे भोपाल (Exclusive News) शहर के किसी थाने या कार्यालय में नहीं हैं। इन लोगों की छानबीन की गई तो पता चला कि कई कर्मचारी भोपाल शहर में तैनात हुए आला अधिकारियों के साथ उन स्थानों पर हैं जहां उनके साहब ले गए हैं। ऐसे लोगों की सूची पृथक से डीसीपी मुख्यालय श्रद्धा तिवारी (DCP Shraddha Tiwari) के कार्यालय ने बनाई है। इन कर्मचारियों को लेकर अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। लापता कांस्टेबल और तबादलों को लेकर प्रतिक्रिया के लिए डीसीपी मुख्यालय श्रृद्धा तिवारी से संपर्क किया गया। उन्होंने कहा कि यह पूरे भोपाल शहर का मामला है। इसलिए इस विषय पर भोपाल सीपी ​हरिनारायण चारी मिश्र (CP Harinarayan Chari Mishra) ही प्रतिक्रिया दे सकेंगें। भोपाल सीपी ने इस विषय पर प्रतिक्रिया के लिए भेजे गए संदेश पर किसी तरह की हलचल ही नहीं की।

दो नंबर के रास्ते अंगदों की वापसी

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सांकेतिक चित्र साभार

पुलिस मुख्यालय की तरफ से एक थाने में चार साल से अधिक और सर्किल में दस साल से अधिक सेवा देने वाले कर्मचारियों को तलाशने का काम किया जा रहा है। लेकिन, इसमें भारी भेदभाव अभी भी बना हुआ है। डीसीपी मुख्यालय ने पीएचक्यू के आदेश जारी होने के बाद 20 दिनों के भीतर तीन आदेश तबादलों को लेकर जारी किए हैं। जिसमें पहली सूची में 699 और दूसरी सूची में 96 एसआई से लेकर कांस्टेबल के नाम है। डीजीपी कैलाश मकवाना (DGP Kailash Makwana) जिस दिन भोपाल शहर में समीक्षा करने आए थे। उस दिन तबादला हुए कर्मचारियों को अनिवार्य रुप से रवानगी दे दी गई थी। वहीं इस मीटिंग के बाद ही दो सूची में 11 एसआई से लेकर कांस्टेबल जो अंगदों की श्रेणी में थे, उन्हें दूसरे रास्तों से घर वापसी करा ली गई है। इस आदेश को लेकर भी अफसर सवाल—जवाब से बच रहे हैं। इतना ही नहीं शहर में अभी भी कई अंगद दो नंबर के रास्ते थानों में जमे हुए हैं।

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 तीन सप्ताह में यह हुआ है घटनाक्रम

  •  स्पेशल डीजी आदर्श कटियार ने 10 जून को पूरे प्रदेश के लिए चार बिंदुओं पर पदस्थापना गाइड लाइन बनाकर जारी किया था।
  • पीएचक्यू के आदेश पर डीसीपी मुख्यालय श्रृद्धा तिवारी ने 16 जून को 699 एसआई से पुलिस कांस्टेबल को इधर से उधर किया।
  • स्पेशल डीजी आदर्श कटियार ने 17 जून को आपराधिक प्रकरण और विभागीय जांच में फंसे अफसर और कर्मचारियों के लिए गाइड लाइन जारी की।
  • पीएचक्यू के आदेश के बाद मिसरोद थाने के तत्कालीन प्रभारी मनीष राज भदौरिया को हटाकर पुलिस लाइन भेजा गया।
  • राजधानी के कई थानों में अंगदों पर रहम दिखाने के सोशल मीडिया पर नाम के साथ संदेश वायरल होने लगे।
  • इसको देखते हुए डीसीपी मुख्यालय ने 26 जून को फिर सर्कुलर निकालकर अंगद थाने में मिलने पर निरीक्षक और राजमुंशी से सर्टिफिकेट मांगा।
  • डीसीपी मुख्यालय के आदेश के बाद पहुंचे नामों में छुपे रह गए 96 एसआई से लेकर कांस्टेबल के दूसरे तबादला सूची जारी की गई।
  • पूरे प्रदेश में पुलिस मुख्यालय के इस अभ्यास के कारण 11 हजार से अधिक अंगद जो थानों में जमे थे उन्हें हटाया।

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