जेके अस्पताल जिसके डॉक्टर लॉक डाउन में जिम्मेदारियों से भागे उसके साथ कोविड का एग्रीमेंट

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अपने इकलौते बेटे की मौत के बाद चार डॉक्टरों को आईना दिखाने वाले पिता का सिस्टम से सवाल

JK Hospital Negligence News
कोलार स्थित जेके अस्पताल

भोपाल। देश कोरोना वॉरियर के लिए एक आवाज में उठ खड़ा हुआ था। नागरिकों ने ताली—थाली, घंटे और शंख के साथ—साथ सेना और पुलिस ने सैल्यूट किया था। यह कोरोना वॉरियर देशभर के डॉक्टर थे। लेकिन, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का जेके अस्पताल (JK Hospital Negligence News) इन सबसे अलग था। यहां के तीन डॉक्टर एक मरीज की जान को बचाना छोड़कर अस्पताल ही आना बंद कर दिया था। इस कारण एक नौजवान की मौत हो गई थी। यहां तक अस्पताल की लापरवाही समझ आती है। पर सरकार जिसने इसी अस्पताल को कोविड मरीजों के लिए अधिकृत कर दिया। यह सवाल उस नौजवान व्यक्ति के पिता ने सिस्टम से पूछे हैं।

एमसीआई ने मांगी है सफाई

जेके अस्पताल (JK Hospital News) की लापरवाही के मामले में मेडिकल काउंसिल इंडिया ने सफाई मांगी है। लापरवाही के आरोप जेके अस्पताल के तीन डॉक्टरों पर लगे हैं। यह डॉक्टर विवेक त्रिपाठी (Dr Vivek Tripathi), डॉक्टर जीसी गौतम और डॉक्टर आशीष (Doctor Ashish) है। डॉक्टर त्रिपाठी और गौतम कॉर्डियोलॉजिस्ट है। वहीं डॉक्टर आशीष एनिस्थीसियोलॉजिस्ट है। सिलसिला यहां नहीं थमा। चौथे डॉक्टर एनपी मिश्रा (Dr NP Mishra) है जिनका निजी क्लीनिक है। एमसीआई ने चारों डॉक्टरों को कहा है कि वे एक पखवाड़े के भीतर अपनी सफाई पेश करें।

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बेटा तो नहीं पर पिता पत्रकार बने

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नरेन्द्र कुमार जाटव जिनकी शिकायत पर एमसीआई ने नोटिस थमाया है

जेके अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ मोर्चा नरेन्द्र कुमार जाटव (Narendra Kumar Jatav) ने खोल रखा है। उन्होंने सितंबर, 2020 से शिकायत करना शुरु की थी। पहले कोलार थाने, सीएसपी से लेकर एसपी समेत तमाम सरकारी मंच में वे अपना आवेदन दे चुके थे। मामला उनके इकलौते बेटे सिद्दार्थ जाटव (Sidharth Jatav) की मौत से जुड़ा था। सिद्धार्थ जागरण लेक सिटी से पत्रकारिता का कोर्स कर रहा था। बेटे की मौत से पिता पांच महीने सदमे में रहे। फिर साहस करके खुद को संभला और फिर कार्रवाई करने की ठान ली।

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अस्पतालों में भटकता रहा परिवार

सिद्धार्थ जाटव जिसकी उम्र 22 साल थी उसकी मौत 23 अप्रैल, 2020 को हुई थी। नरेन्द्र कुमार जाटव ने बताया कि सबसे पहले वे डॉक्टर एनपी मिश्रा के क्लीनिक पॉलिटेक्निक में फरवरी, 2020 को ले गए थे। कफ जमना बताकर सामान्य इलाज कर दिया गया। तीसरे दिन ​फिर तबीयत बिगड़ी और सांस में तकलीफ के साथ थकान और कमजोरी की शिकायत सिद्दार्थ ने की। नतीजतन, परिवार रोहित नगर में पुष्पांजलि अस्पताल (Pushpanjali Hospital) डॉक्टर संजीव जौहरी के यहां ले गया। यहां एक्स—रे के बाद बताया गया कि उसके दिल का साइज अधिक हो गया है। हालत खराब बताकर वेंटीलेटर पर रखा गया। कुछ दिन बाद परिजन हार्ट केयर सेंटर ले गए।

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स्टाफ नर्स के भरोसे छोड़ गए डॉक्टर

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सिद्धार्थ जाटव जिसे डॉक्टरों ने कोरोना काल में ध्यान नहीं दिया

हार्ट केयर सेंटर (Heart Care Center) से परिवार जेके अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टर​ विवेक त्रिपाठी, डॉक्टर जीसी गौतम और डॉक्टर जीसी गौतम ने इलाज किया। पिता का कहना है कि वह रिकवर हो चुका था। इसी बीच देश में कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन लग गया। उसके बाद डॉक्टरों ने भी अस्पताल आना बंद कर दिया। आनन—फानन में अस्पतालों में भर्ती मरीजों की छुट्टी कर दी गई। चार—पांच गंभीर मरीज ही अस्पताल (JK Hospital Negligence News) में बचे थे। पिता का आरोप है कि डॉक्टरों ने बेटे की सुध ली होती तो वह बच सकता था। इसी कारण मामले की शिकायत की थी।

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अस्पताल में किराए से दिल का सेंटर

मध्य प्रदेश में निजी अस्पतालों (MP Private Hospital News) की मनमानी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले कई दूसरे प्रकरण प्रकाश में आ चुके हैं। ताजा मामला जेके अस्पताल का है। नरेन्द्र कुमार जाटव का आरोप है कि अस्पताल कई हिस्सों में चल रहा है। यहां दिल के मरीजों का सेंटर बनाया गया है। इसको किराए पर दिया गया है। जिसको दूसरे डॉक्टर देखते हैं। लेकिन, एमसीआई को कागजों में कुछ ओर दिखा रहा है। इस संबंध में दस्तावेज निकालकर वे उसकी भी शिकायत करेंगे।

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