SIMMI Jail Brake कांड की राह पर फिर भोपाल सेंट्रल जेल

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भीतर ही भीतर पक रही खिचड़ी की वजह जेल के अंगद बने अफसर, प्रहरी से लेकर अफसरों की संख्या एक दर्जन से अधिक

Bhopal jail
यह है वह जेल जिसके भीतर कुछ दिनों से सबकुछ सही नहीं चल रहा

भोपाल। (Bhopal Jail News ) मध्य प्रदेश की सेंट्रल जेल (Madhya Pradesh Central Jail) 2016 में सुर्खियों में आई थी। इसकी वजह थी सिमी के आतंकी जो जेल ब्रेक (SIMMI Jail Brake) करके भागे थे। इस घटना की वजह से भोपाल की आईएसओ प्रमाणित जेल (Bhopal ISO Jail) दुनिया भर में सुर्खियों में आई थी। इस घटना को लगभग साढ़े तीन साल बीत गए हैं। उसके बाद सरकार और जेल विभाग के अफसरों ने सिस्टम को सुधारने के लिए लाखों रुपए बहा दिए। लेकिन, हालात फिर वही स्थिति पर पहुंच गए। खबर है कि भोपाल जेल के भीतर सबकुछ ठीक नहीं हैं। इसकी वजह पता लगाई गई तो अंगद बने अफसर के रुप में कारण सामने आए। इस कारण ट्रांस्पेरेंसी सिस्टम में एक बार फिर धूल जमने की खबर है। द क्राइम इंफो इंफो (TCI Exclusive) ने इसकी पड़ताल की तो एक—दो तीन नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक लोगों के नाम पता चले जो जेल में जमे हैं। इन्हें न बदलने के फायदे किसको मिल रहे हैं यह पता नहीं लग सका है।

पिछले सप्ताह जेल के भीतर जुबेर मौलाना और यासीन मजिस्ट्रेट गुट के बीच हाथापाई हुई थी। इस हाथापाई के लिए बदमाशों ने जेल के सामान से औजार बनाए थे। इसमें चम्मच, चादर और लकड़ी को घीसकर उसको धारदार हथियार बनाया गया था। इससे पहले फरवरी में भी हाथापाई हुई थी। यह तीनों घटनाएं बताती है कि जेल में सबकुछ ठीक नहीं हैं। यह हालात 2016 में भी बने थे। जिसके कारण सिमी आतंकियों ने जेल ब्रेक कर दिया था। एक—दो नहीं बल्कि 8 लोग जेल की सुरक्षा दीवार को फांदकर भाग गए थे। इसके बाद जेल मुख्यालय ने प्रशासनिक सर्जरी की थी। उस वक्त जेल डीजी संजय चौधरी ने चार्ज संभाला ही था। उस वक्त के मामले में एडीजी सुशोभन बनर्जी मुखर होकर सामने आ गए थे। अब फिर हालात वैसे ही बनते नजर आ रहे हैं। लेकिन, कोई बोलने वाला नहीं हैं।

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यह है वजह
इस मामले में पड़ताल की गई तो पता चला कि जेल में लंबे अरसे से अफसर अंगद की तरह जमे हुए हैं। इसमें सबसे पहला नाम दिनेश नरगावे (Dinesh Nargave) का है। नरगावे को जेल में तैनाती को लगभग साढ़े तीन साल हो गया है। इसी तरह उप जेल अधीक्षक पीडी श्रीवास्तव (PD Shrivastav) को भी इतना ही वक्त हो गया है। जेलर अजय कुमार खरे (Ajay Kumar Khare) को भी यहां जमे हुए करीब 4 साल बीत चुके हैं। यहां तैनात एक अन्य अफसर हरीश आर्य (Harish Arya) जो सहायक जेल अधीक्षक हैं जिन्हें पांच साल हो चुके हैं। इतना ही समय सहायक जेल अधीक्षक आलोक भार्गव (Alok Bhargav) को भी हो चुका है। मतलब साफ है कि सारे अफसर जो लंबे अरसे से जमा है एक—दूसरे की कमी पेशियों पर पर्दा डाल रहे हैं। इतना ही नहीं इनकी निगरानी करने वाला जेल मुख्यालय भी खामोश है।
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अफसर तो अफसर प्रहरी भी कम नहीं
उपर दी गई जानकारी अफसरों की थी। ऐसा नहीं है कि भोपाल सेंट्रल जेल में अफसर ही अंगद हैं। यहां प्रहरी भी बहुत सारे हैं जो अंगद बनकर लंबे अरसे डटे हुए हैं। बताया जाता है कि ऐसे कर्मचारियों की संख्या 100 से अधिक हैं। हर कोई राजधानी की सेंट्रल जेल में रहना चाहता है। जो प्रहरी लंबे अरसे से जमे हैं उनमें इरशाद, अशोक चौबे, विमल सिंह, रामपाल सिंह, लोकेश उड़े, कृष्ण कांत पांडे, अर्जुन भदौरिया, मनमोद सिंह, अजय यादव, दीपक जोशी, बीना तिवारी, राधा गुप्ता, सुफिया और राधा जायसवाल है। यह वे कर्मचारी है जिन्होंने राजनीतिक पहुंच के चलते अपनी तैनाती भोपाल जेल में कराई। कुछ कर्मचारी जेल मुख्यालय में तैनात अफसरों के मुंह लगे हैं। इसके अलावा खबर है कि कई कर्मचारी जेल ​से मुख्यालय में तैनात हैं और अपना काम चला रहे हैं।

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अफसरों ने जवाब देने से किया किनारा
जेल मुख्यालय ने एक महीने के भीतर जेल में हुई घटनाओं को लेकर जेल अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी है। जेल मुख्यालय के अफसरों से लंबे समय पर सवाल पूछा गया तो वे किनारा करने लगे। उन्होंने कहा इस संबंध में डीजी जेल संजय चौधरी (IPS Sanjay Choudhry) ही प्रतिक्रिया दे सकते हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त में बताया कि सरकार ने 2019 में स्थानांतरण नीति लागू की है। इसमें 3 साल से अधिक समय से जमे अफसर और कर्मचारियों को हटाने का नियम बनाया है। लेकिन, इसमें भी कोटा तय किया गया है। अफसर ने यह भी कबूला कि यह सच है कि भोपाल जेल में बहुत सारे अफसर लंबे समय से जमे हैं। उन्हें हटाने के लिए विकल्प भी नहीं है। इसलिए मजबूरी में काम चलाया जा रहा है।
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