Bhopal Corrupt Officer: दफ्तर के भीतर घुसकर लोकायुक्त भोपाल पुलिस की टीम ने दबोचा, पूरे दफ्तर में मची खलबली, एक साल के भीतर में दूसरा कर्मचारी हुआ एक्सपोज
सांकेतिक ग्राफिक डिजाईन टीसीआई।
भोपाल/शिवपुरी। राजधानी का भोपाल विकास प्राधिकरण घूसखोरी का सबसे बड़ा अड्डा है। यहां तैनात कई कर्मचारी या तो रिटायर्ड हो चुके हैं या फिर विवादों में फंसकर विभागीय जांच में चल रहे है। नतीजतन बीडीए दफ्तर के भीतर एक—एक कर्मचारी पर कई काम का बोझ लादकर काम चलाया जा रहा है। जिस कारण वहां तैनात कर्मचारी भी खुलेआम दफ्तर के भीतर रिश्वत लेने में भी गुरेज नहीं कर रहे। ऐसा ही करते हुए भोपाल लोकायुक्त पुलिस (Bhopal Corrupt Officer) की टीम ने असिस्टेंट ड्राफ्टमेन को दबोच लिया। इधर, शिवपुरी में लोकायुक्त पुलिस ने ही तहसीलदार के रीडर को भी रिश्वत लेते हुए पकड़ा है।
मकान नामांतरण के लिए रखी डिमांड
जानकारी के अनुसार बैरसिया (Berasia) थाना क्षेत्र में रहने वाला घनश्याम राठौर (Ghanshyam Rathore) ने भोपाल विकास प्राधिकरण (Bhopal Development Authority) में मकान नामांतरण के लिए आवेदन किया था। यह कई टेबलों से गुजरने के बाद बीडीए (BDA) के ड्राफ्टमेन के पद पर तैनात शाहबुद्दीन सिद्दीकी (Shahbuddin Siddiqi) पिता सल्लाउद्दीन सिद्धीकी के पास पहुंची। उन्होंने घनश्याम राठौर से उसके आवेदन पर सुनवाई करने के पूर्व 10 हजार रुपए रिश्वत की डिमांड रख दी। वह चार महीने से बीडीए दफ्तर के चक्कर काट रहा था। यह बात उसने लोकायुक्त एसपी से कर दी। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस (Lokayukta Police) की टीम ने आरोपी शाहबुद्दीन सिद्दीकी को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए 13 जून को दबोच लिया। इससे पहले लोकायुक्त पुलिस ने बीएल दास (B.L Das) के खिलाफ भी कार्रवाई की थी। अब वह बीडीए के सामने ही अपना निजी काम कर रहा है। इधर, शिवपुरी (Shivpuri) में ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस की टीम ने पुनीत गुप्ता (Punit Gupta) को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते दबोचा। वह पोहरी तहसील कार्यालय में रीडर था। उसने शिवपुरी निवासी अतर सिंह धाकड़ (Atar Singh Dhakad) से रिश्वत की मांग की थी। उसे तहसीलदार के न्यायालय कक्ष में ही दबोचा गया। अतर सिंह धाकड़ ने ग्राम बरई पूरा गांव स्थित उसकी कृषि भूमि के बगल में शासकीय नाले पर अतिक्रमण हटाने तहसीलदार से उसे अतिक्रमण हटा की कार्यवाही कराने की मांग की थी। के एवज में 10000/रु रिश्वत की मांग की। ऐसा करने के बदले में वह रीडर पैसा मांग रहा था। प्रकरण में तहसीलदार के भूमिका की भी जांच की जा रही है।
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