DRUNK & DRIVE : अगर शराब पीकर किया ऐसा जुर्म तो नहीं मिलेगी थाने से जमानत

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DRUNK & DRIVEदुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पीटीआरआई शाखा ने जारी किया सभी रेंज और जिलों के एसपी को आदेश

भोपाल। यदि अब कोई सड़क दुर्घटना में आरोपी वाहन (DRUNK & DRIVE) चालक नशे में पाया जाएगा तो उसे जमानत नहीं मिलेगी। इस बात के आदेश पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (PTRI) ने जारी किए हैं। यह आदेश रेंज के आईजी और जिलों में एसपी को दिया गया है।
यह जानकारी देते हुए स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि प्रस्ताव (DRUNK & DRIVE) बनाकर डीजीपी वीके सिंह को भेजा गया था। जिसे मंजूर कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि ऐसी घटना जिसमें शराब पीकर वाहन चलाने की वजह से हुई है और उसमें किसी की मृत्यु (DRUNK & DRIVE) होती है, तो वाहन चालक के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा-304 के तहत गैर इरादतन हत्या का प्रकरण दर्ज होगा। ऐसे मामलों में थानों से जमानत नहीं मिलती हैं। प्रकरण को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। भोपाल और इन्दौर के डीआईजी सिटी सहित प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। निगरानी की जिम्मेदारी (DRUNK & DRIVE) संबंधित जिलों के रेंज आईजी को दी गई है।

अब मेडिकल अनिवार्य
स्पेशल डीजी ने बताया कि इस आदेश के (DRUNK & DRIVE) साथ ही प्रदेश के सभी थानों को एक आदेश भी दिया गया है। इसमें कहा गया है कि दुर्घटना के सभी मामलों में वाहन चालक का मेडीकल परीक्षण अब अनिवार्य होगा। यह मेडिकल रिपोर्ट केस डायरी के साथ लगाई जाएगी। इसके बिना चालान भी पेश नहीं किया जा सकेगा। मेडिकल रिपोर्ट में डॉक्टर से नशे में (DRUNK & DRIVE) होने अथवा नहीं होने की राय फिर रिपोर्ट संबंधित जांच अधिकारी को लेना अनिवार्य होगा। रिपोर्ट में अल्कोहल की मात्रा साफ होनी चाहिए।

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पहले यह होता था
प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में जिसमें मौत होती थी उसमें पुलिस थानों में पुलिस धारा 304-ए के तहत मामला दर्ज करती थी। इस धारा के तहत आरोपी वाहन चालक को थाना प्रभारी के विवेक पर जमानत (DRUNK & DRIVE) मिलने का लाभ मिल जाता था। इसमें वाहन और चालक को छोडऩे का अधिकार रहता था। अब यह अधिकार टीआई को नहीं रहेगा। वह मामला बनाकर अदालत के समक्ष प्रस्तुत करेगा। जिसके बाद अदालत जमानत देने अथवा नहीं देने पर विचार करेगी।

क्यों बंद किया
इस धारा का पुलिस इस्तेमाल पहली बार कर रही है ऐसा नहीं हैं। इससे पहले भी इस धारा में मुकदमे दर्ज हुए थे। तत्कालीन भोपाल एसपी जयदीप प्रसाद ने नगर वाहन सेवा के वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं में मौत (DRUNK & DRIVE) के मामले में इसी धारा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद नगर वाहन सेवा समिति के पदाधिकारी भोपाल पुलिस के खिलाफ मैदान में उतर आए थे। वहीं थानो में इस धारा में जब्त होने वाले वाहनों की वजह से जगह की कमी भी पडऩे लगी थी। जिसको देखते हुए धारा 304-ए के तहत प्रकरण बनाए जाने लगे थे।

इन कारणों से फैसला
इस फैसले को लेकर मुख्य वजह जनता के बीच पुलिस के विश्वास बढ़ाने से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित सड़क सुरक्षा समिति (DRUNK & DRIVE) के पालन में दुर्घटनाओं में मौत होने की कमी लाने इस एजेंडे को तय किया गया है। स्पेशल डीजी ने बताया कि इस आदेश के तहत जून महीने से शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

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हर तीन महीने में बनेगी रिपोर्ट
इधर, पीटीआरआई ने दुर्घटनाओं से संबंधित मामले में हर तीन महीने में रिपोर्ट बनाने का निर्णय लिया है। पहले यह रिपोर्ट वार्षिक होती थी। इस रिपोर्ट में दुर्घटनाओं से संबंधित आंकड़ों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी होती थी।

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