Exclusive News: कार्रवाई करके पीड़ित परिवार का दिल जीतने की बजाय घर में जाकर धमकाकर लौटी पुलिस, पुलिस ने मौत के बाद झूठ परोसा था, भगवान की तरह दो दिन पूर्व होने वाली एफआईआर की जानकारी पहले ही उजागर कर दी, जिस वाहन के कारण मौत हुई उसके खिलाफ पुलिस ने दो प्रकरण दर्ज किए, डीजे संचालकों के खिलाफ हुई एफआईआर की पोल खुली
भोपाल। डीजे की आवाज में जान गंवाने वाले समर बिल्लोरे के मामले में भोपाल पुलिस बेनकाब हो गई। उसकी कार्रवाई शुरू से ही कठघरे में रही है। इधर, द क्राइम इंफो (Exclusive News) को पड़ताल में मालूम चला है कि डीसीपी इंटेलीजेंस ने दो महीने शहर के सभी थानों को कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। लेकिन, कोई सख्ती बरती ही नहीं गई। वह तब सक्रिय हुई जब समर की मौत हुई। उसके बाद भी पुलिस ने कार्रवाई को लेकर झूठ वाला आंकड़ा पेश कर दिया था। इधर, हबीबगंज थाना पुलिस दो दिन पहले उसके घर पहुंचकर परिवार को सांत्वना देने की बजाय धमकाकर लौट आई। पढ़िए एक—एक तथ्य के साथ पूरी मैदानी पड़ताल।
परिवार से मुलाकात करने का सिलसिला अभी भी मीडिया का बना है
समर का शव सुभाष नगर विश्राम घाट में दफनाया गया है। प्रशासन चाहे तो परिवार को मनाकर उसको निकालकर पीएम करा सकता है। लेकिन, ऐसा करने की बजाय हबीबगंज (Habibganj) थाना पुलिस के कर्मचारियों ने धमकाया। मां क्षमा (Kshama Billore) बिल्लोरे ने बताया कि शुक्रवार रात किरण नाम की महिला कर्मचारी आई थी। उसका कहना था कि जो होना था वह हो गया। अब शव निकालने से कोई फायदा नहीं होगा। परिवार से कहा गया कि झांकी समिति और डीजे संचालक पॉवरफूल लोग है। यह बात द क्राइम इंफो (The Crime Info) से बातचीत में क्षमा ने बताई। उसने 14 अक्टूबर से लेकर 19 अक्टूबर के बीच हुई सारी गतिविधियां बताई। इधर, हबीबगंज थाना प्रभारी अमित कुमार सोनी (TI Amit Kumar Soni) का कहना था कि ऐसा हमारे कर्मचारी ने नहीं किया है। परिवार के आरोप निराधार है। हालांकि उन्होंने यह जरुर कबूला कि शुक्रवार रात पुलिस की टीम उसके घर गई थी। इधर, इस मामले में हर रोज कोई न कोई मीडिया समर बिल्लोरे (Samer Billore) के घर पहुंच रहा है। इस मामले में मानवाधिकार आयोग भोपाल पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर चुका है। वहीं परिवार का आरोप है कि वह जहां रहती है वह बंगलों के सामने है। हर घर में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं लेकिन, कोई भी फुटेज नहीं देना चाहता है। यह प्रयास पुलिस करे तो जांच नहीं हो सकती। लेकिन, पुलिस ऐसा करना ही नहीं चाहती।
हबीबगंज थाने की पुलिस से परिवार को दो साल से मिल रहे कटु अनुभव
क्षमा बिल्लोरे ने बताया कि हबीबगंज थाना पुलिस की गतिविधियां अच्छी नहीं है। वह पारिवारिक कलह होने पर जब—जब शिकायत लेकर पहुंची तब उसको भगा दिया गया। इसी तरह एक साल पहले उसके देवर विजय बिल्लोरे (Vijay Billore) की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। उसकी छोटी बेटी जिसकी उम्र महज 14 साल है वह लापता है। उसकी भी तलाश पुलिस (Exclusive News) अब तक नहीं कर सकी है। देवरानी रोशनी बिल्लोरे (Roshni Billore) दो महीने से फोटो लेकर थाने के चक्कर काटने को मजबूर है। समर बिल्लोरे का जन्म 16 जून, 2012 को हुआ था। वह घर में सबसे ज्यादा दुलारा था। उसका बड़ा भाई अमर बिल्लोरे (Amar Billore) भी उसे बहुत प्यार करता है। अमर बिल्लोरे कक्षा दसवीं का छात्र है। वह रेणु विद्यालय में पढ़ता है। समर बिल्लोरे सेंट जोसेफ स्कूल (St. Joseph School) में कक्षा पांचवीं का छात्र था। वह उसका अक्सर मोबाइल लेकर देखता था। उसकी मौत के बाद उसने अपना मोबाइल भी तोड़ दिया। क्योंकि जब भी वह फोन उठाता है उसको समर की याद आती है।
कलेक्टर उसी सड़क से गुजरे लेकिन घर नहीं पहुंचे
समर बिल्लोरे की मौत 14 अक्टूबर की रात को हो गई थी। उसकी डीजे के साउंड से मौत हुई थी। यह खबर प्रमुखता के साथ 15 अक्टूबर को द क्राइम इंफो में प्रकाशित हुई थी। उसके घर पर सेंट जोसेफ स्कूल की टीचर और क्लास टीचर भी जब उसे अंत्येष्टि के लिए ले जा रहे थे तो पहुंचे थे। लेकिन, कोई भी नेता उनके दरवाजे पर दिलासा देने अब तक नहीं पहुंचा। यहां के क्षेत्रीय विधायक कांग्रेस नेता आरिफ मसूद (MLA Arif Massod) है। जबकि यहां के पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह (Dhruv Narayan Singh) रहे हैं। मौत का समाचार छपने के बाद समर बिल्लोरे की मां क्षमा से बातचीत करने हर मीडिया वाला पहुंचा। जिसमें शहर के अधिकारियों से प्रतिक्रिया ली गई। उसमें कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह (DM Kaushlendra Vikram Singh) ने आश्वासन दिया था कि वे परिवार को न्याय दिलाएंगे। भोपाल कलेक्टर शनिवार शाम चार बजे 11 नंबर बस स्टाप से भी गुजरे, लेकिन उनका काफिला पीड़ित परिवार के घर नहीं पहुंचा।
समर बिल्लोरे की मौत 14 अक्टूबर की रात को हुई थी। उसे उठाकर परिजन पहले अक्षय हार्ट अस्पताल (Akshay Heart Hospital) फिर वहां से नर्मदा अस्पताल (Narmada Hospital) ले गए थे। दोनों अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया लेकिन, पुलिस थाने को खबर नहीं दी। अंत्येष्टि के बाद परिजनों ने उसका बैग तलाशा तो उसमें 20 रुपए का नोट निकला। इस नोट के साथ उसकी मां ने उसकी तस्वीर फ्रेम कराकर रख ली है। उसने बताया कि जिस दिन यह वाक्या हुआ उसी दिन एचपी कंपनी में गैस का कनेक्शन लगाया था। वह अभी तक नहीं आया। जिस कारण घर में मेहमानों को वह होटल से बुलाकर खाना खिलाने को मजबूर है। समर बिल्लोरे की मां ने कैलाश बिल्लोरे (Kailash Billore) के साथ 2007 में विवाह किया था। शादी के बाद पता चला कि वह नशा करने का आदी है। इसलिए घर में वह कलह करके सामान तोड़फोड़ देता था। इसलिए परिवार के दो बेटों को संभालने की जिम्मेदारी मां क्षमा बिल्लोरे पर आ गई। वह मूलत: नसरुल्लागंज की रहने वाली है। उसकी चार बहनें हैं। दो बहनें अलग रहती है। भोपाल में साई बाबा नगर (Sai Baba nagar) बस्ती में उसकी बड़ी बहन रमा नागरे (Rama Nagre) भी रहती है। जिस दिन डीजे के साउंड से समर की मौत हुई उस वक्त बड़ी बहन का बेटा दीपक नागरे (Deepak Nagre) भी था। उसने ही परिजनों को घटना की जानकारी दी थी। वह भी उसकी ही उम्र का है। क्षमा बिल्लोरे ने बताया कि वह रिटायर्ड आईएएस बीबीएस चौहान की बहू रेखा चौहान (Rekha Chauhan) के घर काम करती है। वहां मिलने वाले पैसों से ही दो बेटों की वह परवरिश करती है।
हार्ट मरीज बोलकर दुष्प्रचार करके बचाने की कोशिश
क्षमा बिल्लोरे ने बताया कि समर के जन्म के नौ महीने बाद उसकी तबीयत बिगड़ती थी। इसलिए कई डॉक्टर को दिखाया गया। इसी दौरान डॉक्टर करिश्मा की दवाएं उसे लगती थी। उन्होंने ही एक बार हार्ट से संबंधित जांच करने की सलाह दी थी। जिसके बाद हमीदिया अस्पताल में डॉक्टर बीएस यादव ने उसके कई कई परीक्षण किए थे। जिसके बाद उन्होंने कहा था कि समर की जैसे—जैसे उम्र बढ़ेगी तो उसका दिल स्वयं उसी अवस्था में आ जाएगा। इसके बाद कभी भी उसका इलाज दिल से संबंधित नहीं कराया गया। उसके सीने में किसी तरह की समस्या भी नहीं थी। डीजे वाला जिसका नाम हमें माया पता चला है उसको बचाने दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह डीजे बिल्कुल नया है।
भोपाल पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय के इंटेलीजेंस विंग ने 22 जुलाई को ही एक सर्कुलर जारी कर दिया था। जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Exclusive News) की गाइड लाइन का हवाला देकर डीजे (DJ) संचालकों पर कार्रवाई करने के आदेश डीसीपी इंटेलीजेंस ने दिए थे। लेकिन, भोपाल शहर के सिर्फ तीन दर्जन थानों ने बिना अनुमति और कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई की। सर्वाधिक कार्रवाई 15 से 17 अक्टूबर के बीच की गई। समर बिल्लोरे की 14 अक्टूबर की रात को मौत हुई थी। इस मौत की खबर को 15 अक्टूबर को पब्लिक वाणी ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार प्रकाशन के बाद उसी दिन अपरान्ह लगभग पौने चार बजे प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। जिसमें बताया गया कि भोपाल पुलिस ने 91 डीजे संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की है। जबकि हकीकत यह है कि 17 अक्टूबर को निशातपुरा और गांधी नगर थाना पुलिस ने कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई की थी। यानि भोपाल पुलिस की तरफ से 91 डीजे संचालकों के खिलाफ संख्या पहले ही निर्धारित कर दी गई थी।
डीजे संचालक बोला मेरे वाहन के कारण नहीं हुई मौत
समर बिल्लोरे की मौत तेज आवाज की डीजे धुन से हुई। परिजनों का आरोप है कि बारह नंबर मल्टी की झांकी में वह डीजे आया था। जिसका नाम माया इवेंट एंड डीजे था। द क्राइम इंफो ने उसके बारे में जानकारी जुटाई तो पुलिस का एक ओर कड़वा सच सामने आया। पता चला कि कई थानों ने एक ही डीजे वाले पर दो से तीन मुकदमे दर्ज किए। उसमें से माया इवेंट एंड डीजे (Maya Event And DJ) वाला भी शामिल है। उसके खिलाफ 15 अक्टूबर की रात को मुकदमा 493/24 दर्ज किया गया। जिसमें बिना अनुमति संचालन करने और कोलाहल अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज हुआ। इसी डीजे वाले के खिलाफ कमला नगर थाना पुलिस ने 15 अक्टूबर की रात लगभग सवा नौ बजे प्रकरण 495/24 दर्ज किया गया। यह डीजे अभी कमला नगर थाने में जब्त करके खड़ा किया गया है। इसके संचालक महेंद्र बाथम (Mahendra Batham) हैं जिनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि मेरे दो डीजे वाहन है। लेकिन, उसके वाहन से बच्चे की मौत नहीं हुई। उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि उनके वाहन पर हबीबगंज और कमला नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई है। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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