Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-4: कंपनी की कमाई कम होने के बावजूद संपत्ति को एनपीए करके हथियाने का बैंक ने रचा था खेल, बैंक अफसरों की भूमिका जांच में पाई गई संदिग्ध
भोपाल। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को लेकर भाजपा काफी तीखा हमला कर रही है। यह हमला रेवड़ी कल्चर को लेकर किया जा रहा है। जिसमें मुफ्त योजनाओं को लेकर भाजपा आम आदमी पार्टी सरकार को घेर रही है। इधर, एमपी में रसूखदारों की रेवड़ी कल्चर पर पूरा सिस्टम मौन है। घटना भोपाल (Bhopal Bank Fraud) शहर के अरेरा काॅलोनी इलाके की है। यहां स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-4 ) ने एक तीन करोड़ रूपए का लोन कई लापरवाहियों के साथ मंजूर कर दिया। अब यह लोन उलझ गया है और बैंक न्यायिक प्रक्रियाओं में उलझ गई है। जिस पार्टी को बैंक ने लोन दिया उसमें लगे दस्तावेज एक उद्योगपति के थे जिनके बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ही तीन लोन एनपीए किए जाने की तैयारी चल रही थी। इतना ही नहीं जिस व्यक्ति ने लोन के लिए आवेदन किया वह बैंक वालों को घर पर नहीं मिला था। इसके बावजूद तीन करोड़ रूपए खाते में जमा करा दिए गए।
बैंक के अफसर अब भी चुप
बैंक अफसरों को पता था रेवड़ी बंट रही है
इसी मामले की एफआईआर से पहले ईओडब्ल्यू (Bank Of Maharashtra Loan Scam Part-4 ) ने जांच की थी। जिसमें पाया गया है कि तत्कालीन बैंक मैनेजर सहज पाठक (Sahaj Pathak) ने तीन करोड़ रूपए जारी करने से पहले अपनी रिपोर्ट बनाई थी। जिसमें कहा था कि मलिका गर्ग की कंपनी का कारोबार संतोषजनक नहीं है। लेकिन, ई-2/28 की संपत्ति की कीमत काफी अच्छी है। लोन के लिए मलिका गर्ग ने इसी पते पर रहना बताकर आवेदन किया था। लेकिन, तत्कालीन बैंक मैनेजर सहज पाठक की ही रिपोर्ट में बताया गया है कि वह उन्हें कभी भी घर पर नहीं मिली थी। यह जानने के बावजूद बैंक ऑफ महाराष्ट्र के रीजनल मुख्यालय ने आपत्ति और पड़ताल किए बिना इतनी बड़ी रकम जारी कर दी। इतना ही नहीं मलिका गर्ग ने उक्त संपत्ति पर चल रहे न्यायालयीन विवाद की जानकारी शपथ पत्र देकर झूठी दी थी। इस संपत्ति पर किसी तरह का उन्होंने विवाद नहीं दिखाया था। जबकि उनके भाई रूपेश अग्रवाल (Rupesh Agrawal) और मलिका गर्ग के बीच संपत्ति को लेकर न्यायालय में विवाद पहले से चल रहा था। इसी संपत्ति पर थिनर और पेंट के कारोबार की जानकारी बैंक को दी गई थी। जबकि रिहायशी इलाके में इस तरह के व्यवसायिक गतिविधियों को मंजूरी नहीं मिलती है। लोन के लिए इसी पते पर गुमाश्ता भी जारी हुआ था। जिसे चुनौती देने पर वह खारिज भी हो गया था।
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