Naxal Attack Mastermind : अमित शाह ने जिसके कारण राजनीतिक रैली टाली जानिए उस हिडमा की पूरी कहानी

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Naxal Attack Mastermind : कंप्यूटर के जानकार दो बीवी वाले नक्सली कमांडर ने 2010 में भी देश को हिला दिया था

Naxal Attack Mastermind
बीजापुर के तररेम जंगल में मुठभेड़ में शहीद जवानों के जगदलपुर लाए गए पार्थि​व शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली हमले (Naxal Attack Mastermind) के बाद पूरे देश के नागरिकों में आक्रोश देखा जा रहा है। इस हमले में 23 जवानों की शहादत हुई है। इस घटना के कारण केंद्रीय मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) को अपने सारे राजनीतिक कार्यक्रम भी टालने पड़े हैं। बीजापुर में नक्सली घटना को अंजाम देने वाला कुख्यात नक्सल कमांडर माडवी हिडमा है। उसकी सटीक लोकेशन देश की सुरक्षा एजेंसियों को मिली थी। जिसके बाद घेराबंदी के दौरान यह मुठभेड़ हुई थी। हिडमा आज देश के हर नागरिकों की जुबान में आ गया है। शहीदों के साथ नरसंहार करने वाला आखिर हिडमा को सबक क्यों नहीं सिखाया जा सकता है। उसकी वजह की पड़ताल में बहुत सारी बातें निकलकर सामने आई है।

भाजपा विधायक के काफिले को उड़ाया था

छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के पुर्वती गांव में रहने वाला माडवी हिडमा (Madvi Hidma) की कहानी अब निकलकर सामने आने लगी है। उसकी यह पूरी जीवनी 23 जवानों की शहादत के बाद देशभर की एजेंसियां खंगालने का काम शुरु कर रही है। वह काफी सख्त पहरे में रहता है। उसका पहरा ही एक किलोमीटर की परिधि का होता है। उसी पहरे में सेंध लगाते वक्त 23 जवानों की शहादत हुई है। ऐसी बात निकलकर अब सामने आ रही है। हिडमा ने 2019 में भाजपा विधायक भीमा माडवी के काफिले पर हमला किया था। इसमें उनके ड्रायवर समेत चार जवानों की दर्दनाक मौत हुई थी। यह जानकारी देते हुए द क्वींट (The Quint) वेबसाइट ने बताया कि हिडमा माओवादी दंडेकारण्य स्पेशल जोन कमेटी का सदस्य भी है।

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250 नक्सलियों का लीडर

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पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के बटालियन एक नंबर का कमांडर माडवी हिडमा, यह तस्वीर काफी पुरानी है

माडवी हिडमा की दो पत्नी है। वे भी उसके साथ नक्सली बन गई है। उसकी उम्र लगभग 40—45 साल बताई जा रही है। वह नक्सल संगठन में 1990 से सक्रिय हुआ है। हिडमा के कई अन्य नाम भी है। उसको संतोष उर्फ इंदमूल उर्फ पोडियाय भीमा उर्फ मनीष के नाम से भी उसे जाना जाता है। हिडमा ने 2010 में ताडमेटला में मुठभेड़ की थी। जिसमें 76 जवानों की उस वक्त शहादत हुई थी। इसकेे अलावा हिडमा ने 2013 में झीरम घाटी कांड किया था। इसमें कांग्रेस कई बड़े नेता मारे गए थे। हिडमा हमेशा 250 नक्सलियों के पहरे में रहता है। उसका घेराबंदी का चक्रव्यूह हमेशा बदलता रहता है। इसलिए अब तक उसके घेरे में सेंध सुरक्षा एजेंसी नहीं लगा सकी है।

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