12 साल की बच्ची के साथ हुआ जुल्म, पांच साल तक घुट घुटकर जीती रही, अब लिखी अपनी आपबीती सोशल मीडिया पर

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इलाहाबाद में 17 वर्षीय पीड़िता ने अपने साथ हुए यौन शोषण के मामले को उठाया पांच वर्ष बाद, आरोपी फरार
पुलिस आई हरकत में, सोशल वर्ल्ड पर साहस ​को किया गया सलाम, आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज

इलाहाबाद। 12 साल की एक बच्ची करीब 2 महीने तक 50 साल के एक बुजुर्ग की ज्यादती और जुल्म का शिकार होती रही। आखिर 5 साल बाद उसने अपनी दास्तान दुनिया के सामने रखी और न्याय के लिए उठ खड़ी हुई। जब उसने सोशल मीडिया पर कहानी साझा की तो खुद उसके पिता ने उसे आगे बढ़ाया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया है और आरोपी फरार है, लेकिन वह ज्यादा दिन सलाखों से नहीं बचा रह सकेगा, क्योंकि पुलिस की 3 टीमों के साथ देश भर के सोशल मीडिया के संजीदा साथी भी आरोपी का पीछा कर रहे हैं।

यह कहानी है इलाहाबाद की एक 17 वर्षीय बच्ची की। जब वह 12 साल की थी, तब उसके गणित के शिक्षक सुनील दुआ ने उसके साथ ज्यादती की और किसी से कहने पर आत्महत्या की धमकी और कसमें वादे आदि का दौर चलता रहा। 5 साल तक घुट—घुटकर अपने भीतर पक रहे दावानल को आखिर पीड़िता ने सोशल मीडिया पर साझा किया, तो उसे अपने ही पिता का साथ मिला। आरोपी शिक्षक अभी भी प्रयागराज के अशोक नगर व जॉर्ज टाउन में पढ़ाता है। उसके जुर्म का कच्चा चिट्ठा सामने लाते हुए बच्ची ने अपनी दास्तान इंस्ट्राग्राम पर अंग्रेजी में शेयर की तो उसके पिता ने खुद उसका तर्जुमा हिंदी में कर आरोपी के फोटो के साथ उसे फेसबुक पर साझा किया। फेसबुक पर मामला वायरल हुआ तो उत्तर प्रदेश की पुलिस हरकत में आई और प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में धारा 376 एवं पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में आरोपी फरार है, और उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने तीन टीमें गठित की हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर भी आरोपी की गिरफ्तारी के लिए मुहिम चलाई जा रही है।

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प्रयागराज के एसपी सिटी बृजेश श्रीवास्तव ने द क्राइम इन्फो को बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इस मामले में धारा 376 और पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल आरोपी फरार है और उसे पकड़ने के लिए 3 टीमों का गठन किया गया है। एसपी सिटी ने बताया कि यह मामला काफी संवेदनशील है और इस पर पुलिस गंभीरता से जांच कर रही है।

पीडित बच्ची के पिता ने अपने लिखी फेसबुक पोस्ट
पीड़ित बच्ची के पिता ने फेसबुक पर अपनी बेटी की पोस्ट का अनुवाद हिंदी में करते हुए लिखा— “आज मैं जो लिख रहा हूँ, वह मेरा लिखा हुआ नहीं है। 17 साल की बेटी का नाम का है जो साझा कर रही है अपनी पीड़ा जो उसने 12 साल की उम्र में भोगी थी एक ऐसे व्यक्ति से जो उसका शिक्षक था। बरसों तक मन-ही-मन घुटने के बाद कल उसने उसका नाम सार्वजनिक किया है। वह इलाहाबाद का है, नाम है सुनील दुआ। उम्मीद है, पुलिस बेटी का नाम की शिकायत पर कार्रवाई करेगी और दुआ को उसके किए की सज़ा मिलेगी।”

पीड़ित बच्ची की पोस्ट का अविकल हिंदी अनुवाद
मुझे याद है मुझे हमेशा बड़ों की इज़्ज़त करना सिखाया गया। ‘बड़े हैं’ – इस कारण कई लोग उस सम्मान के अधिकारी बन जाते हैं जिसके वे पात्र नहीं हैं। हमारे माता-पिता ने हमें अजनबियों से कुछ भी लेने से मना किया, जिन लड़कों से हम मिलते थे, उनसे सावधान रहने को कहा, लेकिन जिस व्यक्ति ने मेरा बचपन छीन लिया वह व्यक्ति वह था जिसपर मेरे माता-पिता ने भरोसा करके मुझे पढ़ाने के लिए नियुक्त किया। मैं गणित में हमेशा से कमज़ोर थी और मुझे अच्छा ग्रेड चाहिए था, इसके लिए वह आया था – सफेद पूरी बाँह की शर्ट, फॉर्मल पैंट, अजीब-सी मुस्कान और चोरों वाली चाल-ढाल।

उसने 12 साल की बच्ची का कई तरह से ब्रेनवॉश करना शुरू किया। अगर आप ‘ग्रूमिंग’ टर्म जानते हों तो यह उसका क्लासिक केस है। यह आदमी पचास साल का प्रौढ़ था, मतलब ऐसा जिस पर आप उसकी उम्र के नाते भी सहज भरोसा कर लेंगे।

आगे घटना ऐसे बढ़ी कि मैं बाथरूम में उल्टियाँ कर रही थी क्योंकि उसने मेरे ऊपर इस तरह सेक्सुअल हमला किया था कि मैं उस घटना की स्मृति को भी दोहराना नहीं चाहती। यह सब वह दो महीने तक करता रहा, जब तक कि उसे ट्यूशन से हटा नहीं दिया गया।

मेरी कहानी जटिल, उलझी हुई और ख़ून में सनी हुई है। इसमें ख़ून से दस्तख़त किए हुए पत्र हैं, बाइबिल पर हाथ रखकर खाई हुई कसमें हैं और किसी को बताने पर आत्महत्या की धमकियाँ हैं। उसका नाम सुनील दुआ है जिसने अपने गन्दे स्पर्श और घिनौनी नजरों से मेरा बचपन बरबाद किया। यहाँ तक कि अब मैं किसी लड़के को नहीं चूम सकती क्योंकि मेरे सामने उसका गंदा चेहरा आ जाता है। अब मेरे लिए चुम्बन किसी कविता की तरह सुंदर नहीं हो सकता, हो ही नहीं सकता। इन बातों को पाँच साल बीत चुके हैं। लेकिन मैं आज भी बेहद यंत्रणा में हूँ। मैं उन छोटी बच्चियों के प्रति जिम्मेदारी महसूस करती हूँ जो आगे इस व्यक्ति के घिनौनेपन का शिकार बन सकती हैं।

अगर मेरी इस बात से किसी को लगता है कि मैं अटेंशन सीकर हूँ तो वह मुझे तुरन्त अमित्र और ब्लॉक कर दे।

दोषी व्यक्ति आज भी अशोक नगर और जॉर्ज टाउन में क्लास ले रहा है, एल चीको जा रहा है, सामान्य ज़िंदगी जी रहा है, जैसे कि ज़्यादातर यौन राक्षस करते हैं।

ईश्वर पर मै भरोसा नहीं करती, फिर भी मैंने उससे प्रार्थना की है कि उसे सज़ा मिले। मैंने सालों तक अपना मुँह बन्द रखा। लेकिन अब समय आ गया है। ‘दोस्त, मेरी इन बेड़ियों को तोड़ दो और मैं बताऊँगी कि मेरे भीतर कितनी भयंकर ज्वाला धधक रही है।

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