ई-टेंडर घोटाला : ओस्मो कंपनी के कार्यक्रम में भाजपा सांसद प्रत्याशी वीडी शर्मा की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल

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घोटाले में शामिल इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम का ओएसडी गिरफ्तार, रिमांड पर चल रहे ओस्मो कंपनी के तीन आरोपी सोमवार को कोर्ट में होंगे पेश

भोपाल। खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। रविवार को ही टिकट का ऐलान हुआ था ओर तभी ई-टेंडरिंग घोटाले के आरोपी ओएसडी नंदकुमार के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। तस्वीरें वायरल होते ही देर शाम को ईओडब्ल्यू ने नंदकुमार की गिरफ्तारी का ऐलान कर दिया।

यह जानकारी देते हुए एसपी भोपाल ईओडब्ल्यू अरूण मिश्रा ने बताया कि नंदकुमार ब्रह्मे को भोपाल से गिरफ्तार किया गया है। वह राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम (एसईडीसी) के ई-प्रिक्योरमेंट के ओएसडी थे। ब्रह्मे को घोटाले का मुख्य सूत्रधार बताया जा रहा है। इधर, ईओडब्ल्यू द्वारा ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन्स के तीनों संचालकों को सोमवार को अदालत में प्रस्तुत कर कुछ दिन और रिमांड पर लिए जाने का प्रयास किया जाएगा। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन्स के तीन संचालकों वरुण चतुर्वेदी, सुमित गोलवलकर और विनय चौधरी से पूछताछ की जा रही है। इन्हीं आरोपियों ने नंदकुमार के नाम का खुलासा किया था।

डेमो में ही गड़बड़ी का तरीका निकाला

ओस्मो के ही एक कार्यक्रम में गुलदस्ता लेते हुए रविवार को गिरफ्तार आरोपी नंदकुमार।

सूत्र बताते हैं कि ब्रह्मे ने टेंडर के डेमो की शुरुआत कराई थी। विवेचना में सामने आया है कि डेमो के माध्यम से ही गड़बड़ी की शुरुआत हो गई थी। ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन्स के संचालकों से पूछताछ में ई-टेंडर की गोपनीयता को भंग करने के लिए बड़ी रकम ली। करीब एक दर्जन नेताओं और नौकरशाहों के नाम भी सामने आए हैं, जिनके टेंडर में गड़बड़ी घोटाले में शामिल होने की बात सामने आई है। जल्दी नेताओं और नौकरशाहों पर कार्रवाई की संभावना है।

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रविवार को सोशल मीडिया में यह तस्वीरें वायरल हुई। जिसके कुछ देर बाद ईओडब्ल्यू ने आधिकारिक रूप से ओस्मो के मामले में नंदकुमार की गिरफ्तारी का ऐलान किया।

हार्ड डिस्क सीज
ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन्स का डाटा जब्त किए जाने के बाद रविवार से ईओडब्ल्यू ने राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम पर छापे की कार्रवाई शुरू कर दी। ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार चारों आरोपियों के लैपटॉप और कम्प्यूटर में मौजूद कोडवर्ड को डिकोड करने का भी काम शुरू कर दिया है। इसके अलावा निगम के सर्वर का डाटा जब्त किया जाएगा, जिसमें करीब चार से पांच दिन लगने की संभावना जताई जा रही है। यहां ई-प्रिक्योरमेंट से जुड़े सभी कंप्यूटर और सर्वर का डाटा जब्त किया जाना है।

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