एमसीयू : 20 के खिलाफ एफआईआर, कुठियाला ने कुलपति रहते भाजपा और उससे जुड़े संगठनों को बांटी रकम

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  • एफआईआर के बाद घेरे में आएंगे संघ और उसे जुड़े लोग
  • तत्कालीन कुलपति समेत 20 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट
  • तत्कालीन सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग की बहन भी बनी आरोपी
  • माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में मामला दर्ज

भोपाल। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं संचार केन्द्र में हुई वित्तीय अनियमितताओं और नियुक्ति के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है। यह घोटाला लगभग २५ लाख रूपए का है। इसके अलावा डेढ़ दर्जन से अधिक नियुक्तियों को यूजीसी के मापदंड़ों के अनुसार न करने का मामला भी बनाया गया है। एफआईआर में विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति बीके कुठियाला समेत २० लोगों के नामजद रिपोर्ट है। इसके अलावा अन्य के खिलाफ भी मामला बनाया गया है। ईओडब्ल्यू ने जालसाजी, गबन, साजिश समेत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा के तहत प्रकरण दर्ज किया है।

सुषमा स्वराज के करीबी हैं कुठियाला

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ईओडब्ल्यू ने बताया कि वित्तीय अनियमितता 2010 से 2018 के बीच की गई। इस वक्त कुलपति बीके कुठियाला थे। उन्होंने विवि में दो बार का कार्यकाल पूरा किया था। माखनलाल से पहले कुठियाला हिसार, कुरूक्षेत्र, दिल्ली के आईआईएमसी समेत कई अन्य शिक्षण संस्थानों में रहे थे। माखनलाल से हटने के बाद कुठियाला को हरियाणा में स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल के चेयरमेन बनाया गया। उन्हें यह कुर्सी खटï्टर सरकार ने विरोध के बावजूद थमाई। कुठियाला संघ विचारधारा को प्राथमिकता देते थे और उसके लिए पहले भी काम करते रहे हैं। बताया जाता है कि कुठियाला केन्द्र में मंत्री सुषमा स्वराज के करीब लोगों में से एक थे।

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रविशंकर के आश्रम को दी राशि

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प्रोफेसर बीके कुठियाला और श्रीश्री रविशंकर

ईओडब्ल्यू ने बताया कि कुठियाला के कार्यकाल में हुई वित्तीय गड़बडिय़ों की फेहरिस्त काफी लंबी हैं। हालांकि प्राथमिक जांच में जो बातें सामने आई है उसके अनुसार कुठियाला ने विवि के बजट से आठ लाख रुपए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को आठ लाख रुपए का भुगतान किया। यह भारतीय जनता पार्टी की छात्र इकाई है। इसके अलावा राष्ट्रीय ज्ञान संगम के लिए विवि से ही साढ़े नौ लाख रुपए का भुगतान किया गया। वहीं जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र की तरफ से श्रीश्री रविशंकर के आश्रम में आयोजित राष्ट्रीय विद्वत संगम के लिए तीन लाख रुपए का भुगतान किया गया। नागपुर में भारतीय शिक्षण मंडल नाम की संस्था आठ हजार रुपए दिए गए। यह संस्था भी आरएसएस से जुड़ी है।

प्रदेश और केन्द्र के मंत्रियों पर कसेगा शिकंजा

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पूर्व मंत्री विश्वास सारंग जिनकी बहन का भी नाम एफआईआर में शामिल हैं।

ईओडब्ल्यू में दर्ज इस मामले में आरोपी पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला, डॉक्टर अनुराग सीठा, डॉक्टर पी शशिकला, डॉक्टर पवित्र श्रीवास्तव, डॉक्टर अविनाश बाजपेयी, डॉक्टर अरूण कुमार भगत, प्रोफेसर संजय द्विवेदी, डॉक्टर मोनिका वर्मा, डॉक्टर कंचन भाटिया, डॉक्टर मनोज कुमार पचारिया, डॉक्टर आरती सारंग, डॉक्टर रंजन सिंह, सुरेन्द्र पाल, डॉक्टर सौरभ मालवीय, सूर्य प्रकाश, प्रदीप कुमार डहेरिया, उसका भाई सत्येन्द्र कुमार डहेरिया, गजेन्द्र सिंह, डॉक्टर कपिल राज चंदौरिया और रजनी नागपाल समेत अन्य आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें आरती सारंग प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग की बहन हैं। वहीं प्रोफेसर संजय द्विवेदी बघेलखंड के एक कद्दावर नेता के रिश्तेदार हैं।

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कैसे की गड़बड़ी
ईओडब्ल्यू के मुताबिक जिन आरोपियों की नियुक्तियां हुई वे यूजीसी के मानकों पर पात्र नहीं थे। पात्रता परीक्षा नौकरी करते हुए सभी ने हासिल की। इसमें सीठा, डहेरिया समेत कई अन्य कर्मचारी वहां दो दशक से हैं। इन्होंने वित्तीय अनियमितताओं पर पर्दा डालने के लिए कई तकनीकी पेंच का भी इस्तेमाल किया।

 

भाजपा ने बताया ध्यान भटकाने की कार्रवाई

भाजपा के प्रवक्ता राहुल कोठारी ने इसे ध्यान भटकाने की कार्रवाई करार देते हुए ट्वीटर पर लिखा है कि माखनलाल विश्वविद्यालय की कांग्रेसियों से भरपूर गैर कानूनी जांच समिति ने अवैध तरीके से बिना चुनाव आयोग की अनुमति के FIR की है। इनकम टैक्स छापे में लगातार आ रही विशेष जानकारियों से मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए। पूर्व महापरिषद सदस्य अजय सिंह तो कहीं कमलनाथ के प्रेम का शिकार नही हो गए?

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