Online Fraud : ऑन लाइन ठगी का अब तक सबसे अनूठा मामला, महज एक वेबसाइट के जरिए सैंकड़ों लोगों से ठगे करोड़ों रुपए

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एसटीएफ की हिरासत में मौजूद आरोपी बृजेश रैकवार

जयपुर से संचालित होता था फर्जी शेयर मार्केट, जबलपुर से हुई गिरफ्तारी, मामले में देश-विदेश की कई शख्सियतें हुई ठगी का शिकार

भोपाल। यदि आप (Online Fraud) ऑन लाइन कारोबार से जुड़े हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। मध्यप्रदेश सायबर सेल ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है जो महज एक वेबसाइट के जरिए धोखाधड़ी का (Online Fraud) रैकेट चला रहा था। इस रैकेट में एक-एक करके 100 से अधिक लोगों की चैन बनती चली गई। भरोसा नहीं होता है न ऐसे ही धोखे में मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों की छोटे से लेकर कई बड़ी हस्ती झांसे में आ गई। झांसा ऐसा की तीन से चौदह लाख रुपए तक की रकम निवेश कर दी। क्या है पूरा मामला और उसकी भीतर की कहानी आप बारीकी से बिन्दुवार समझिए।

कहां से शुरू हुई यह कहानी
स्पेशल डीजी एसटीएफ पुरूषोत्तम शर्मा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि (Online Fraud) जबलपुर के शक्ति नगर निवासी बृजेश पिता डोरीलाल रैकवार उम्र 36 साल और उसकी पत्नी सीमा रैकवार को गिरफ्तार किया गया है। बृजेश फिलहाल पूछताछ के लिए पांच दिन की रिमांड पर लिया गया है। उसकी पत्नी को (Online Fraud) जेल दाखिल कर दिया गया है। बृजेश से जालसाजी के मामले में पूछताछ की जा रही है। बृजेश इसके पहले (Online Fraud) हांगकांग के शेयर मार्केट में लोगों को पैसा लगाने के लिए जीयूसी (GUC) नाम की एक कंपनी के लिए वह काम करता था। जीयूसी कंपनी हांगकांग शेयर मार्केट से ही संबंद्ध मार्केट के लिए (Online Fraud) निवेशकों को लाने का काम करती थी। इस संबंध में बृजेश को रूपेश दुबे नाम का व्यक्ति हांगकांग ले गया था। मुलाकात के बाद मालूम हुआ कि एमपी का काम राजीव शर्मा के पास है। छत्तीसगढ़ का काम रूपेन्द्र पाल सिंह देखता है। उसका एसोसिएट पार्टनर विनीत यादव है। यह सभी भी मामले में (Online Fraud) आरोपी बनाए गए हैं। लेकिन, 2017 में हांगकांग के (Online Fraud) शेयर मार्केट से जुड़े दूसरे बाजार में गिरावट आ गई। जिसके कारण जीयूसी को भी नुकसान हुआ। इस कारण (Online Fraud) बृजेश से लोग लगाया हुआ पैसा मांगने लगे। वह काफी दिनों तक इधर-उधर भागता रहा। लेकिन, इसके बाद उसने वह चालाकी की जो कोई सोच नहीं सकता था।

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हांगकांग की होटल के मैनगेट में खड़ा आरोपी बृजेश
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दुबई में एसयूवी के सामने आरोपी बृजेश

मलेशिया और हांगकांग तक फैले तार
स्पेशल डीजी ने बताया कि अब तक हमें (Online Fraud) 100 व्यक्तियों की जानकारी मिल गई है जिनका पैसा बृजेश ने निवेश के नाम पर लिया था। इसमें से 25 भोपाल के है जिसमें से एक दर्जन (Online Fraud) भेल के कर्मचारी और अधिकारी भी है। यह मामला काफी बड़ा है और करीब 10 से 50 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े से जुड़ा है। इसी मामले में बोलते हुए एडीजी एसटीएफ अशोक अवस्थी ने बताया कि (Online Fraud) बारीकी से जांच के लिए एसआईटी बनाई गई है। यह एसआईटी एसपी राजेश सिंह भदौरिया के निर्देशन में जांच करेगी। इसमें सायबर एक्सपर्ट की भी मदद ली जाएगी। इस मामले में सभी (Online Fraud) आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस गिरोह सेे हांगकांग का रहने वाला (Online Fraud) केविन और मलेशिया में रहने वाला डेनियल फ्रांसिस भी जुड़ा हुआ था। यह दोनों व्यक्ति (Online Fraud) जीयूसी कंपनी के लिए प्रमोट के दौरान से ही जुड़े थे। इनमें से केविन इसी काम के लिए हांगकांग से भारत भी आया था। आरोपियों का यह कारोबार पूरी तरह से वर्चुअल ही होता था।

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कैसे सूझी तरकीब
बृजेश ने काफी लोगों की (Online Fraud) रकम बाजार में लगाई थी। इस कारण लोग उसे घेर लेते थे। इन्हीं बातों से (Online Fraud) तंग आकर उसने एक दिन यह फैसला लिया। वह (Online Fraud) जीयूसी कंपनी के काम से हांगकांज आता-जाता रहा है। इस कारण उसे वहां के काम की जानकारी थी। बृजेश ने (Online Fraud) रिकवरी से बचने और लोगों से बचने का तरीका निकाला। उसने एक फर्जी शेयर एक्सचेंज खोल लिया। इसका सर्वर जयपुर में लगाया गया। इसमें पैसा लगाने वालों की शर्ते होती थी। पैसा एक साल के बाद ही निकाला जा सकता था। लेकिन, निवेश करने के बाद उनके रकम की क्या स्थिति हैं यह (Online Fraud) ऑन लाइन एक वेबसाइट के जरिए देखा जाता था। यह हूबहू शेयर बाजार के वेबसाइट जैसा ही था। लेकिन, उसको ऊपर-नीचे करने की मास्टर चाबी बृजेश के पास थी। इसलिए वेबसाइट पर उसका बाजार नीचे दिखता ही नहीं था। उसने जीयूसी की जगह कंपनी का नाम बदलकर (Online Fraud) पीजीयूसी कर लिया। ऐसा करके वह करोड़ों रुपए की रकम ऐंठ चुका था।

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प्रॉपर्टी और फिल्म में निवेश
आरोपी बृजेश लोगों को (Online Fraud) रिझाने के लिए हांगकांग, दुबई, मलेशिया की पांच सितारा होटलों में बैठक करता था। वह इन इलाकों में लग्जरी लाइफ भी जीता था। इस दौरान उसकी पत्नी सीमा भी साथ में रहती थी। भारत में लगभग हर बड़े (Online Fraud) पांच सितारा होटल में भी आरोपी इसी काम को लेकर कई कांफ्रेंस कर चुका है। डीजी ने बताया कि बृजेश की पत्नी सीमा के खाते में करीब चार करोड़ रुपए मिले हैं। इसके अलावा आरोपी ने (Online Fraud) दुकान, मकान, जमीन खरीदने के लिए पैसों को लगाया। वहीं एपी-3 मॉशन पिक्चर्स प्रोडक्शन में महफिल-ए-उमराव जान नाम की फिल्म के लिए पैसा भी लगाया।

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धोखाधड़ी गिरोह की जानकारी देते डीजी एसटीएफ पुरूषोत्तम शर्मा, साथ में हैं एसपी राजेश सिंह भदौरिया

निवेशकों को वर्चुअल करंसी से भुगतान
बृजेश रैकवार का कहना था कि वह (Online Fraud) निवेशकों को पैसा भुगतान के लिए क्रिप्टो और बिटकाइन करंसी के जरिए भुगतान करने का दावा करता था। इस काम के लिए वह वेबसाइट के जरिए अपने निवेशकों को लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी देता था। ग्राहक संख्या के (Online Fraud) आधार पर उस क्लब जो चैन की शक्ल में होती थी उसका नाम रखा जाता था। जितनी बड़ी (Online Fraud) संख्या वैसा उनका नाम। यह नाम प्लेटिनम, गोल्ड, ब्रॉज, सिल्वर दिए जाते थे।

जानिए क्या है वर्चुअल करंसी
इंटरनेट की आभासी दुनिया में एक (Online Fraud) करंसी चलती है जिसको बिटकाइन, क्रिप्टो नाम दिया जाता है। हालांकि इस करंसी को सेबी, रिजर्व बैंक ने कोई आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इसलिए इसका चलन भारत में नवंबर, 2018 से बैन हैं। बताया जाता है कि बिटकाइन की शुरूआत जुलाई, 2010 से शुरू हुई थी। जब यह शुरू हुई थी तब एक बिटकाइन की कीमत दशमलव पांच डॉलर होती थी। यह अपने शिखर पर पहुंची तो इसकी कीमत छह हजार से 16 हजार डॉलर तक पहुंच गई थी। बिटकाइन को जापान में कानूनी मुद्रा (Online Fraud) के रूप में मान्यता दी गई है। बिटकाइन की सबसे छोटी संख्या को सातोशी नाम से पुकारा जाता है। एक बिटकाइन में 10 करोड़ (Online Fraud) सातोशी होते हैं। बताया जाता है कि यह वर्ष 2009 के दौरान चलन में आई थी। इसे जापान के ही सातोशी नाकामोतो नाम के एक व्यक्ति ने बनाया था। वह सॉफ्टवेयर डिजाइन करने का काम करता था।

आपके लिए यह भी जानना जरूरी
जो वर्चुअल (Online Fraud) करंसी को नहीं जानते उन्हें इस सेक्टर में नहीं जाना चाहिए। वे जल्द ही बृजेश रैकवार जैसे जालसाजों के रैकेट में फंस जाते हैं। क्रिप्टो और बिटकाइन नेटवर्क (Online Fraud) बनाकर पैसा कमाने के आड़ में भी धोखे दिए जाते हैं। इसे पोंजी स्कीम या एमएलएम नाम दिया जाता है।

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