तस्करों की तकनीक ने सुरक्षा एजेंसियों की उड़ाई नींद

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सोशल मीडिया का किया जा रहा इस्तेमाल, हथियार की बुकिंग से लेकर भुगतान हो रहा ऑन लाइन

भोपाल। मध्यप्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों की नींदे उड़ गई है। दरअसल, हाल ही में एक गैंग का गुर्गा पकड़ में आया है। उसने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। गुर्गे ने बताया है कि प्रदेश में हथियारों की बुकिंग में सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। यह पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों की दबिश से बचने के लिए किया जा रहा है। इसमें बुकिंग से लेकर भुगतान ऑन लाइन किया जा रहा है। ताजा खुलासा ग्वालियर में एसटीएफ की पकड़ में आए बदमाश ने किया है। इस खतरे से पुलिस मुख्यालय को भी अवगत करा दिया गया है।

एसपी नवनीत भसीन को सूचना एसटीएफ से मिली थी कि रेसकोर्स रोड पर हथियार की खेप लेकर एक युवक खड़ा है। वह अवैध हथियार मुरैना ले जा रहा है। एसपी ने क्राइम ब्रांच की टीम को वहां भेजा। टीम ने युवक को हिरासत में ले लिया। उसके पास से एक बैग मिला, जिसमें 5 पिस्टल और 5 राउंड बरामद हुए। पकड़े गए आरोपी का नाम श्यामू उर्फ श्याम सिंह पुत्र रामवीर सिंह तोमर उम्र 28 साल निवासी ग्राम कंचनोंध थाना दिमनी जिला मुरैना बताया गया है। उसने बताया कि वह खंडवा से अवैध हथियार लेकर ग्वालियर आया था। वह ऑर्डर पर ही हथियार लेकर आता और यहां सप्लाई करता है। उसे इसका कमीशन मिलता है। आरोपी श्याम सिंह ने बताया कि वह दो माह में खरगोन स्थित व्यक्ति के खाते में राशि ट्रांसफर करने के बाद हथियार लेने के लिए जाता था।

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भाई अपहरण के मामले में शामिल

आरोपी श्याम सिंह को एसटीएफ व क्राइम ब्रांच की टीम ने संयुक्त रूप से घेराबंदी कर 5 पिस्टल व कारतूस के साथ पकड़ा था। पकड़े गए आरोपी के खिलाफ अंबाह व दिमनी थानों में आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। उसका भाई चरना सिकरवार गिरोह के साथ अपहरण की घटनाओं में शामिल रहा है। हथियार वह खरगोन से लेकर आया था और मुरैना में बेचने के लिए ले जा रहा था। श्याम को पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।

इस कारण उड़ी नींद

श्याम ने पूछताछ में बताया है कि वह ऑर्डर व्हाटस एप्प पर लेता था। इसके लिए वह फोटो खींचकर ग्राहकों को देता था। चुनने के बाद उसे खरीदा जाता था। भुगतान के लिए पेटीएम के माध्यम से होता था। यही बात सुरक्षा एजेंसियों को चुभ रही है। दरअसल, व्हाटस एप्प पर होने वाले लेन-देन या बातचीत की जानकारी जांच एजेंसियों को अासानी से नहीं मिलती है। इसी कमी का फायदा बदमाश अब उठा रहे हैं।

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