मीरा की अनसुलझी मौत की दास्तां

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सवा छह साल बाद भी नतीजा सिफर, पुलिस ने बंद की केस डायरी, परिवार आज भी न्याय की  आस पर

भोपाल। राजधानी का एक दिल दहला देने वाला हत्याकांड। उस वक्त जिसने भी मौका ए वारदात पर जाकर वह मंजर देखा वह दहल गया।  चारों तरफ खून के छींटे थे। दराज से दो लाख रूपए भी गायब थे। हत्या मीरा आहूजा की हुई थी जो बिजली विभाग में क्लर्क थी। इस हत्याकांड को लगभग सवा छह साल हो गए है। मामले की जांच एसपी से लेकर कई अफसरों ने की। इसमें क्राइम ब्रांच भी जुटी थी पर नतीजा सिफर ही रहा।
इन कारणों से विभाग पर शक
कोहेफिजा का जीएडी क्रासिंग चौराहा। जिसके नजदीक बिजली विभाग का ऑफिस है। मेन रोड से महज 100 मीटर के फासले पर बिजली का बिल जमा करने का काउंटर था। यह उत्तर भोपाल जोन का मुख्यालय भी है। यहां बिजली कनेक्शन देने से लेकर दूसरी कार्रवाई भी होती है। इसलिए यहां  भीड़ बनी रहती है। इन सबके बावजूद एक महिला की हत्या हो जाती है और किसी भी व्यक्ति को भनक तक नहीं लगती है। पुलिस ने अपनी जांच में यहां तैनात कर्मचारियों  से भी पूछताछ की थी। क्योंकि जिस तरह का नजारा हत्यारे ने किया था उसे देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि वारदात को किसी ने देखा है। हालांकि पूछताछ में पुलिस को कोई कामयाबी  नहीं मिली।
क्या है मामला 
रॉयल मार्केट के नजदीक बिजली विभाग के  सिटी सर्कल ऑफिस में यह हत्याकांड 01 दिसंबर, 2012 को अंजाम दिया गया था। इसमें महिला क्लर्क मीरा आहूजा की हत्या कर दी गई थी। उसका बड़ी बेरहमी से गला रेंता गया था। घटना को शाम  छह बजे के लगभग अंजाम दिया गया था।
अफसरों पर गिरी थी गाज
बिजली  विभाग में कैश काउंटर की सुरक्षा को लेकर बड़ा बवाल हुआ था। इस बवाल के बाद अफसरों ने अपनी जान बचाने के लिए चार अफसरों को बलि का बकरा बनाया था। सीएमडी नीतेश व्यास ने इस मामले में शहर के दक्षिण संभाग के उप महाप्रबंधक अमृत पाल सिंह, पूर्व संभाग के उप महाप्रबंधक जोस के. पुंजात, पश्चिम संभाग के डीजीएम आरएनएस ठाकुर और एमएस यादव का तबादला किया गया था। हालांकि इस हत्याकांड के छह महीने बाद तीन अफसरों को बहाल कर दिया गया था।
गूंजा था विधानसभा में मामला
पुलिस का दावा था कि वह जल्द ही हत्याकांड का खुलासा करेगी। गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने दावा किया था कि पुलिस की जांच सही दिशा में चल रही है। इस मामले में सीबीआई जांच से उन्होंने इनकार  किया था। मीरा आहूजा के परिजन लगातार मांग कर रहे थे कि हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। हालांकि मध्यप्रदेश विधानसभा में सदन को गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने भरोसा दिलाया था कि जरूरत पड़ने पर सरकार सीबीआई को यह मामला सौंप सकती हैं।
छुरे  से लेकर सीसीटीवी खंगाले
हत्या के बाद आरोपी काउंटर से करीब दो लाख रुपए लूटकर फरार हो गया था। आरोपी का सुराग लगाने के लिए पुलिस अब तक करीब 700 लोगों से पूछताछ की थी। इसके बावजूद पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिली। पुलिस ने जिस तरीके से वारदात हुई थी उसमें दरांती जैसे  चाकू का इस्तेमाल  करने का शक  था। इसमें  दोनों तरफ से धार होती  है और इसे पेशेवर अपराधी इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा मोबाइल टॉवर लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज  भी  खंगाले गए  थे।
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