Bhopal News: बड़ी चोरी पर बोलकर फंसे कौन

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Bhopal News: अफसरों को लगता है न्यूज पेपर में नहीं छपेगा इसलिए सवालों से बचने उठाते नहीं हैं फोन, यह हालात उस शहर के हैं जहां सीएम पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने वाले हैं

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सीसीटीवी कैमरे में कैद वह संदेही जिसने एक—एक करके दो चोरी की वारदातें की थी।

भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों सायबर फ्रॉड के जबरदस्त मामले एक—एक करके थानों में दर्ज हो रहे हैं। यह मामले उन जागरुक नागरिकों के है जो समय निकालकर समय समाचार पढ़ते हैं जानकारी लेते हैं। भोपाल (Bhopal News) शहर में ऐसा वर्ग बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। लेकिन, भोपाल पुलिस के अफसरों को फिक्र प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को ज्यादा होती है। उन्हें डर लगता है कि कहीं उनकी खबरें यहां चलने पर फटकार न पड़ जाए। इसलिए उन्हें बाकी मीडिया की कोई चिंता नहीं होती। यह उन अफसरों की रियलिटी है जिनका आचरण ऐसा है। यही अफसर भोपाल पुलिस कमिश्नर प्रणाली में भी तैनात रहेंगे। यह पूरा मामला मिसरोद थाना क्षेत्र में हुई 18 लाख रुपए की चोरी का है।

रकम और उसकी कीमतों का खुलासा नहीं

मिसरोद थाना पुलिस ने 30 नवंबर की दोपहर लगभग तीन बजे 793—794/21 धारा 457/380 (रात में चोरी) का मामला दर्ज किया था। यह घटना सलैया स्थित लाइफ स्टाईल ब्ल्यू कॉलोनी की है। चोरी की वारदात संगीता राय पत्नी सुरेन्द्र राय उम्र 40 साल के फ्लैट में हुई है। यहां से चोर दो हार, पांच मंगलसूत्र, अंगूठियां समेत अन्य जेवरात ले गए। संगीता राय (Sangita Rai) ने बताया कि चोरी गए जेवरात अमेरिका में जॉब करने वाले बेटे की पत्नी को उपहार में देने के लिए खरीदे थे। पति सुरेन्द्र राय (Surendra Rai) एमपीईबी से रिटायर हुए हैं। चोरी की दूसरी वारदात बूटीक संचालक 45 वर्षीय सौरभ सिंह (Saurabh Singh) ने दर्ज कराई है। उनके मकान से जेंटलमैन बनकर आया चोर डेढ़ लाख रुपए नकद ले गया है। तीसरा फ्लैट दिनेश बिसारिया (Dinesh Bisariya) का था जहां ताला टूटा है। मिसरोद थाना पुलिस ने दो अलग—अलग मुकदमे दर्ज किए हैं।

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टीआई और एसडीओपी ने फोन नहीं उठाया

पुलिस ने करीब 18 लाख रुपए की चोरी में रकम और उसके आभूषणों वजन की कीमतों का खुलासा ही नहीं किया है। इस संबंध में बातचीत के लिए थाना प्रभारी रास बिहारी शर्मा (SI Ras Bihari Sharma) से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया। वे बातचीत के लिए उपलब्ध ही नहीं हुए। इसी तरह मिसरोद एसडीओपी ​अमित कुमार मिश्रा (SDOP Amit Kumar Mishra) से सुपरविजन देने अथवा नहीं देने पर बातचीत के लिए फोन लगाया गया था। वे भी बातचीत के लिए उपलब्ध नहीं हुए। इस संबंध में उन्हें मोबाइल पर टेक्सट मैसेज भी भेजा गया था। जिसका जवाब भी उन्होंने नहीं दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की मदद ली गई है। वह सीसीटीवी कैमरे में कैद हुलिए के व्यक्ति की तलाश कर रही है।

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