MP Scam News: आधा करोड़ रुपए से अधिक का छात्रवृत्ति घोटाला

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MP Scam News: केंद्र की मोदी सरकार ने पकड़ी गड़बड़ी तो मोहन सरकार के पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने अपनी जान बचाने मदरसों और शिक्षण संस्थाओं के मालिक और नोडल अधिकारियों को बनवा दिया ठगी का आरोपी

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल चल रहा है। सरकार पहले कार्यकाल से जीरो करप्शन पर काम करते हुए डिजीटल पॉलिसी को महत्व दे रही है। जिसके एक दशक पूरे हो चुके हैं। इसके बावजूद मैदान में भ्रष्टाचार का दीमक पूरी तरह से पैर फैला चुका है। यह बात हम पूरे प्रमाण के साथ उजागर करने वाले हैं। दरअसल, भोपाल शहर के क्राइम ब्रांच (MP Scam News) ने गुपचुप तरीके से 27 जून को जालसाजी का मामला दर्ज किया है। जबकि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आने वाला प्रकरण है। लेकिन, यदि यह धारा लगती तो किसी अफसर को बलि का बकरा बनना पड़ता। हमाम में सभी को बचाने पुलिस को प्रकरण सौंपकर मामले को बेहद कमजोर मध्यप्रदेश सरकार ने कर दिया है। जबकि यह पूरा भ्रष्टाचार केंद्र में मोदी सरकार के अफसरों ने पकड़कर प्रदेश केे मोहन सरकार को जगाया था।

पुलिस की तरफ से यह दिया गया है आधिकारिक बयान

भोपाल क्राइम ब्रांच (Bhopal Crime Branch) की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 17 जून को सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग (Minority Welfare Department) की तरफ से पत्राचार किया गया था। इसमें 40 शिक्षण संस्थानों की तरफ से ‘अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना’ (Minority Scholarship Scheme) में बंदरबांट की गई। आरोप है कि 2021—2022 के बजट में अनुमोदित राशि में से 57 लाख 78 हजार तीन सौ रुपए अपात्र लाभार्थियों के नाम पर 40 संस्थानों ने सरकार से हासिल कर लिए थे। यह राशि केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार को मदरसों, जैन, बौद्ध, सिक्ख, इसाई और पारसी समाज के बच्चों को जारी हुई थी। आरोपी सभी शिक्षण संस्थानों के मालिकों, नोडल अधिकारियों को बनाया गया है। पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में 27 जून को प्रकरण 95/25 दर्ज कर लिया था। यह पूरी कार्रवाई गुपचुप तरीके से की जा रही थी।

जबकि मैदानी सच्चाई यह है जिस पर संबंधित विभाग के अफसरों ने चुप्पी साध ली

केंद्र सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति स्कीम में 62 लाख 27 हजार रुपए से अधिक की रकम जारी हुई थी। जिसमें से सिर्फ साढ़े चार लाख रुपए पात्र लाभार्थियों को स्कॉलरशिप मिली। बाकी रकम को पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग (Minority Welfare Department) के अफसरों ने मिलीभगत (MP Scam News) करके बंदरबांट कर लिया। यह गड़बड़ी केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने पकड़ने के बाद कार्रवाई के लिए मध्यप्रदेश सरकार को बोला था। विभाग ने भोपाल शहर के यू डाइस और नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल में जाकर चंद सेंकड में अंतर निकाल लिया था। जबकि इस योजना के तहत विभाग के अफसरों को यह पता था कि किस स्कूल अथवा मदरसे को योजना में पात्र माना जा सकता है। लेकिन, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग केे अफसर आंखों में ​पट्टी बांधकर उसे अनुमोदित करते रहे। केंद्र सरकार ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में 83 ऐसे संस्थानों को चिन्हित करके रिपोर्ट एमपी सरकार को भेजी थी। योजना के तहत स्कॉलरशिप में कक्षा एक से लेकर कक्षा आठवीं तक के बच्चों को ही उसका पात्र माना गया था। लेकिन, कई ऐसी संस्थाएं जिनके पास कक्षा नौंवी से लेकर बारहवीं तक की मान्यता भी नहीं थी उन्हें अपने यहां पोर्टल में दर्शाकर यह लाभ ले लिया गया।

बचने के लिए अफसरों ने अपनाई यह तकनीक

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क्राइम ब्रांच थाना— जिला भोपाल— फाइल फोटो।

केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ केवल भोपाल शहर में ही नहीं मिला। दूसरे अन्य जिलों को भी इसका लाभ मिला था। यदि भोपाल शहर में यह गड़बड़ी थी तो पूरी योजना के पात्र लोगों की जांच बारीकी से की जानी चाहिए थी। लेकिन, केंद्र की निगरानी के भय में आकर एक रणनीति के तहत प्रकरण को क्राइम ब्रांच (Crime Branch) को सौंप दिया गया। यदि यह प्रकरण ईओडब्ल्यू(EOW)  के पास पहुंचता तो प्रकरण की जांच और उसकी दिशा ही दूसरी होती। पुलिस विभाग के अफसरों ने भी केंद्र का मामला मानकर बिना विचार किए पत्र मिलने के बाद दस दिन के भीतर में ही प्रकरण दर्ज कर लिया। इतना ही नहीं विभाग ने सारे दस्तावेज भी क्राइम ब्रांच को जांच करने के लिए सौंप दिए। भोपाल क्राइम ब्रांच में आपराधिक गतिविधियिों की विशेषज्ञता हासिल होती है। लेकिन, जिस तरह का भ्रष्टाचार पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में हुआ वह उसकी योग्यता ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसी के पास है। इधर, पुलिस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर 972 अपात्र लाभार्थी मान रही है। जबकि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में यह संख्या एक हजार से अधिक है। इसके अलावा क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट में 44 मदरसों और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं की भूमिका संदिग्ध मान रही है। जबकि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में यह संख्या 83 है। इससे साफ है कि प्रदेश स्तर पर फैले इस स्कॉलरशिप घोटाले के तार अतिविशिष्ट व्यक्तियों न पहुंच जाए उसके लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।

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इन शिक्षण संस्थाओं को रडार पर लिया गया है

जिन शिक्षण संस्थाओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई उनमें मदरसा एमएस आसिफ सईद उर्दू, हनीफ, सर मैथ्यू अर्नाल्ड मुल्ला कॉलोनी करोंद, न्यू म.ज.कन्वेंट स्कूल, रंभा नगर, बैरसिया, सेंट देसूजा कॉन्वेंट रेतघाट कमला पार्क, सिटी मोंटेसरी स्कूल आम वाली मस्जिद जहांगीराबाद, न्यू एससीबी कॉन्वेंट स्कूल शांति गार्डन अशोका गार्डन, एम.अरबिया अमीरुल इस्लाम, गैस आरएचटी, एम.दीनियत अयशुल उलुम, एम. दिनीयत टी.मुल मोमनिन इलाही, मो. फैज रज़्ज़ाकिया कमला नगर, इस्लामिया अनवारुल न्यू राजीव कॉलोनी, निशा प्राइमरी जिया कॉलोनी,जीनतुल उलूम नवाब कॉलोनी,मदरसा अहद तालीमुल कुरान झुग्गी बस्ती, बाग दिलकुशा, मदरसा ऐमन दीनी भोईपुरा, मदरसा एमएस अल उस्मानिया शारदा नगर,मदरसा आसिफ सईद उर्दू, हनीफ कॉलोनी, मदरसा बुशरा दीनी 12 कोला महोल्ला, ईटखेड़ी, मदरसा दीनी.वरिशुल हयात शारदा नगर और मदरसा इ कैसर अटल नेहरू नगर है।

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