MP Scam News: केंद्र की मोदी सरकार ने पकड़ी गड़बड़ी तो मोहन सरकार के पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने अपनी जान बचाने मदरसों और शिक्षण संस्थाओं के मालिक और नोडल अधिकारियों को बनवा दिया ठगी का आरोपी

भोपाल। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल चल रहा है। सरकार पहले कार्यकाल से जीरो करप्शन पर काम करते हुए डिजीटल पॉलिसी को महत्व दे रही है। जिसके एक दशक पूरे हो चुके हैं। इसके बावजूद मैदान में भ्रष्टाचार का दीमक पूरी तरह से पैर फैला चुका है। यह बात हम पूरे प्रमाण के साथ उजागर करने वाले हैं। दरअसल, भोपाल शहर के क्राइम ब्रांच (MP Scam News) ने गुपचुप तरीके से 27 जून को जालसाजी का मामला दर्ज किया है। जबकि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आने वाला प्रकरण है। लेकिन, यदि यह धारा लगती तो किसी अफसर को बलि का बकरा बनना पड़ता। हमाम में सभी को बचाने पुलिस को प्रकरण सौंपकर मामले को बेहद कमजोर मध्यप्रदेश सरकार ने कर दिया है। जबकि यह पूरा भ्रष्टाचार केंद्र में मोदी सरकार के अफसरों ने पकड़कर प्रदेश केे मोहन सरकार को जगाया था।
पुलिस की तरफ से यह दिया गया है आधिकारिक बयान
जबकि मैदानी सच्चाई यह है जिस पर संबंधित विभाग के अफसरों ने चुप्पी साध ली
बचने के लिए अफसरों ने अपनाई यह तकनीक

केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ केवल भोपाल शहर में ही नहीं मिला। दूसरे अन्य जिलों को भी इसका लाभ मिला था। यदि भोपाल शहर में यह गड़बड़ी थी तो पूरी योजना के पात्र लोगों की जांच बारीकी से की जानी चाहिए थी। लेकिन, केंद्र की निगरानी के भय में आकर एक रणनीति के तहत प्रकरण को क्राइम ब्रांच (Crime Branch) को सौंप दिया गया। यदि यह प्रकरण ईओडब्ल्यू(EOW) के पास पहुंचता तो प्रकरण की जांच और उसकी दिशा ही दूसरी होती। पुलिस विभाग के अफसरों ने भी केंद्र का मामला मानकर बिना विचार किए पत्र मिलने के बाद दस दिन के भीतर में ही प्रकरण दर्ज कर लिया। इतना ही नहीं विभाग ने सारे दस्तावेज भी क्राइम ब्रांच को जांच करने के लिए सौंप दिए। भोपाल क्राइम ब्रांच में आपराधिक गतिविधियिों की विशेषज्ञता हासिल होती है। लेकिन, जिस तरह का भ्रष्टाचार पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में हुआ वह उसकी योग्यता ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसी के पास है। इधर, पुलिस विभाग की रिपोर्ट के आधार पर 972 अपात्र लाभार्थी मान रही है। जबकि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में यह संख्या एक हजार से अधिक है। इसके अलावा क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट में 44 मदरसों और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं की भूमिका संदिग्ध मान रही है। जबकि केंद्र सरकार की रिपोर्ट में यह संख्या 83 है। इससे साफ है कि प्रदेश स्तर पर फैले इस स्कॉलरशिप घोटाले के तार अतिविशिष्ट व्यक्तियों न पहुंच जाए उसके लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।
इन शिक्षण संस्थाओं को रडार पर लिया गया है
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