Bhopal Gang Rape: छात्राओं से गैंगरेप मामले में पुलिस की विफल रणनीति

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Bhopal Gang Rape: मीडिया रिपोर्ट से बचने थानों में प्रकरण को बांटकर जांच कई हिस्सों में बांटा गया, क्राइम ब्रांच जैसी एक्सपर्ट यूनिट का नहीं किया गया इस्तेमाल, पांचवीं पीड़ित सामने आई, कई युवतियों को मनाने में विफल रही थानों की पुलिस

Bhopal Gang Rape
ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। राजधानी का बहुचर्चित गैंगरेप मामले में पुलिस अधिकारियों की रणनीति विफल साबित हो गई है। इस बात को लेकर अब अफसरों के बीच भीतर ही भीतर चर्चा चल पड़ी है। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने अलग—अलग जोन में तीन एसआईटी बनाकर जांच को कई हिस्सों में बांट दिया है। यह सबकुछ मीडिया (Bhopal Gang Rape) में जानकारी लीक न हो इसलिए किया गया। हालांकि ऐसा करने में नाकाम अफसरों की अब जमकर किरकिरी हो रही है। दरअसल, इस संगीन मामले के कई आरोपी मध्यप्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों में हैं। जिसमें शहर की क्राइम ब्रांच जैसी यूनिट की मदद लेकर उसे कई अच्छे तरीके से पड़ताल किया जा सकता था।

सामने आने लगी कई कहानियां, अफसर हुए मौन

इतने संवेदनशील विषय पर पुलिस अधिकारियों ने मामले को दबाए रखा। हालांकि एक गुट इस समाचार को उजागर करना चाहता था। जबकि दूसरा गुट जिसे भनक थी उसने चुप्पी साध रखी थी। अब एक प्रकरण से जुड़ी दो सगी बहनों की मार्मिक कहानी सामने आ रही है। इन आरोपियों के कारण उनकी पूरी जिंदगी तबाह हो गई। दोनों बहनों को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी। आरोपी पीड़िताओं का ड्रग एडिक्ट बनाते थे। फिर अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे थे। पुलिस सभी आरोपियों से जुड़े परिवारों पर भी चौकसी रख रही है। दरअसल, भोपाल शहर में एक वर्ग इस कांड के बाद आक्रोश में हैं। वह आरोपियों के ठिकानों का पता लगा रहा है। उनके ठिकानों के आसपास पुलिस अधिकारियों ने सामान्य वर्दी में सुरक्षा के लिए तैनात किया है। मामले में मीडिया (Media) रिपोर्ट न हो और तथ्य बाहर न जाए इसलिए एसआईटी की बैठक गुप्त स्थान पर हर रोज दिन में दो बार की जा रही है। पहली बैठक सुबह होती है जिसमें टारगेट दिया जाता है। दूसरी बैठक रात को हो रही है जहां टारगेट के बाद आए परिणामों पर अगली रणनीति पर चर्चा की जा रही है। यह सारी बैठकों में राजपत्रित पुलिस अधिकारी ही शामिल हो रहे हैं।

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कोलकाता वाले आरोपियों की तलाश में पुलिस को नहीं मिला सुराग

जांच प्रभावित होने के भय से पुलिस अधिकारी मीडिया में जानकारी लीक न हो कहकर चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं जिन स्थानों पर भी पुलिस ने दबिश दी उसके बाद उनसे जुड़े सभी लोगों को उनके कारनामे उजागर होने की भनक लग गई है। पुलिस सूत्रों की माने तो पूरे प्रकरण में डेढ़ दर्जन संदेहियों की पुलिस अधिकारियों को तलाश है। अभी तक पांच पीड़िताए सामने आ चुकी है। इस सनसनीखेज कांड में पहली एफआईआर 11 अप्रैल को हुई थी। जिसमें दो आरोपियों को दबोचकर बागसेवनिया (Bagsewania) थाना पुलिस ने अशोका गार्डन और जहांगीराबाद (Jahangirabad) पुलिस को सौंपा था। एक एफआईआर बागसेवनिया में होने के बाद फिर दूसरी एफआईआर बैरागढ़ (Bairagarh) थाने में दर्ज हुई है। जांच के लिए एसीपी मिसरोद रजनीश कश्यप कौल (ACP Rajnish Kashyap Kaul) , एसीपी जहांगीराबाद सुरभि मीणा (ACP Surabhi Meena) और एसीपी हबीबगंज निहित उपाध्याय (ACP Nihit Upadhyay) का चयन किया गया है। यह तीनों ही अधिकारी मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। पीड़िताओं में एक नाबालिग भी शामिल है। आरोपियों के खिलाफ ज्यादती, पॉक्सो एक्ट, मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंतत्रता विधेयक अधिनियम के अलावा कई अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। इस सनसनीखेज मामले में चार्जशीट बनाने के लिए भी स्पेशल टीम बनाई गई है। वह सबूतों को संकलन करने के साथ ही उसको अदालत में पेश करने के तरीकों पर मंथन कर रही है। पुलिस कमिश्नर ने इन सारे प्रकरणों को गंभीर अपराध की श्रेणी में लिया है। यह प्रकरण सीएस की होने वाली बैठक में भी अब जाएगा।

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