MP Cop Gossip: थाना खुले ही पांच साल हुए फिर भी तबादला

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MP Cop Gossip: निरीक्षक के वफादर हवलदार जिसे अंगदों की आंधी में हटाया उसे पांच दिन के भीतर में ही सूचना संकलन का काम थमाया, तबादलों की आड़ में जूनियर को थाने की दूसरी कमान सौंपकर सीनियर का उपहास, राजधानी के सारे दागियों और विवादित चेहरों का अड्डा बना एक थाना, आईएएस के पति ने पुलिस विभाग के लिए बना दिए हैं लॉ एंड आर्डर के हालात, विधायक की नाराजगी के बावजूद कुर्सी पाने वाले टीआई

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस (MP Cop Gossip) बहुत बड़ा होता है। इसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें सामने आ जाती है तो ब​हुत कुछ फाइलों में दबी रह जाती है। पिछले तीन सप्ताह पूर्व पुलिस मुख्यालय ने थानों और दफ्तरों में जमे अंगदों को हटाने के आदेश दिए थे। इन आदेशों के बाद कई थानों में बहुत ज्यादा विकराल स्थिति हो गई है। ऐसे ही बातों पर इस बार का साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप है। हमारा मकसद किसी व्यवस्था को कमतर आंकना नहीं है। बल्कि मैदानी हकीकतों से रूबरू कराना है। इसमें हरसंभव कोशिश होती है कि किसी व्यक्ति का नाम उजागर न किया जाए।

कई थानों में दिखने लगा है विपरीत असर

राजधानी का एक थाना पांच साल पहले खुला है। यहां से तीन कर्मचारियों को अंगद बताकर रवाना कर दिया गया। जबकि दो कर्मचारी एक साल पहले ही इस थाने में आए थे। पुलिस मुख्यालय के आदेश में एक ही थाने में तीन से चार साल और एक संभाग में दस साल का नियम था। इसके विपरीत जाकर हुए आदेश की कमजोरी अफसरों को बताई भी गई। लेकिन, अपनी कमी को कौन स्वीकारता है। अफसरों ने उल्टा ज्ञान का फव्वारा छोड़ दिया। जिन्हें हटाया वे थानों में पद पर छोटे थे लेकिन उनके बिना हर बड़ा काम कम समय में जल्दी हो जाता था।

निरीक्षक ने अवसर मानकर अपने वफादरों को बुला लिया

शहर के एक थाने में निरीक्षक ने उसको अपना निजी कैंप बना लिया है। इससे पहले वे जिस थाने में तैनात थे वहां से भारी भरकम संख्या में लाइन भेजे गए थे। उन सभी पुराने साथियों को बुलाकर अपने नए थाने में पूरी सल्तनत ही खड़ी कर दी। आलम यह है कि सूचना संकलन में पांच दिन पहले आए हवलदार को जिम्मेदारी सौंप दी गई। यह ​हवलदार निरीक्षक का भर्ती के समय का पुराना दोस्त हैं। सूचनाा संकलन की जिम्मेदारी भी एक गाइड लाइन के तहत दी जाती है। उसका भी उल्लंघन निरीक्षक महोदय ने किया है। जितने भी पुलिस कर्मी अपने थाने बुलाए गए हैं वे सभी कभी न कभी गंभीर जांच में घिर चुके हैं। इसके बावजूद निरीक्षक ने अपने आस—पास अपने करीबी की मजबूत दीवार बना ली है। इस थाने की खासियत यह है कि यहां एक विधायक महोदय का सीधा हस्तक्षेप होता है। उन्होंने शहर के एक अधिकारी को भारी संख्या में कर्मचारियों को हटाने के लिए नाम भेजे थे। यह आदेश मीडिया की सुर्खियों में भी काफी दिनों तक छाए थे।

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सीधी भर्ती छोड़ ​कांस्टेबल से एएसआई बने टूआईसी

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

हर थाने में निरीक्षक के बाद उनका दूसरा सीनियर अफसर उनके बदले में प्रभार देखता है। लेकिन, ताजा फेरबदल में निरीक्षक महोदय ने अपनी ही चलाई। उन्होंने सीधी भर्ती से आए सब इंस्पेक्टर में से किसी एक को टूआईसी बनाने की बजाय एक कांस्टेबल से एएसआई बने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंप दी। यह बात सीधी भर्ती एसआई को काफी खटक रही है। जिन्हें टूआईसी बनाया गया है वे ड्यूटी में भी छूट चाहते हैं। एयर कंडीशनर कमरे में बैठकर सिस्टम चलाने वाले अफसर मैदानी फीडबैक और निगरानी तंत्र से काफी दूर है। जिसका फायदा थानों के कुछ प्रभारी जमकर उठा भी रहे हैं। निरीक्षक महोदय के लिए तो एक हवलदार किसी ‘दौलत’ से कम नहीं है। वह उनका पुराना सिपहसलार है। दूसरा काम करके निरीक्षक को ‘संतोष’ प्रदान करने का काम यह वफादार बखूबी अंजाम दे रहे हैं। एक कर्मचारी का तबादला होने के बावजूद झूठी जानकारी अफसरों को देकर उसको रिलीव ही नहीं किया गया।

देहात का थाना सुर्खियों में लेकिन मीडिया कवरेज से दूर

देहात का एक थाना पिछले एक पखवाड़े से सुर्खियों में चल रहा है। हालांकि मीडिया कवरेज से यह पूरा मामला गायब है। यहां दलित बनाम सवर्ण विवाद के चलते कानून—व्यवस्था की स्थिति बनी हुई है। यह सबकुछ एक महीना पूर्व दस सेकंड के वीडियो से प्लांट किया गया। एक संगठन के नेताओं ने चक्काजाम करके सवर्ण समाज के लोगों पर प्रकरण दर्ज करा दिया। जिसके समर्थन में दलित संगठन की तरफ से चुनााव लड़ चुके सवर्ण समाज की तरफ से रैली निकालकर सड़क पर उतर आए। यह नेता जी दतिया जिले से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। इनकी पत्नी प्रदेश में आईएएस भी है। पुलिस को यह सारी बातें मालूम है। उसके बावजूद चुप्पी साध रखी है। उधर मामले ने भीतर ही भीतर तूल लेना शुरु कर दिया है। जल्द ही अफसरों ने इस विषय का समाधान नहीं निकाला तो पूर्व में हुई घटना के बाद हटाए गए निरीक्षक की तरह ही यहां के भी निरीक्षक की रवानगी हो सकती है।

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विधायक की भी नहीं चली

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सांकेतिक चित्र टीसीआई

पिछले दिनों तबादलों को लेकर बैठक में मंत्रियों ने अपना दुखड़ा रोया था। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि उन्होंने जो भी नाम भेजे उनमें से किसी की भी पोस्टिंग या ट्रांसफर ही नहीं किए गए। यह मसला बना था। कुछ इसी अफसरशाही से देहात क्षेत्र के एक विधायक नाराज चल रहे थे। दरअसल, उन्होंने एक थाने में अपने चहेते निरीक्षक की पोस्टिंग के लिए एप्रोच लगाई थी। लेकिन, उनकी नहीं चली और दूसरे थाने में उनके चहेते को भेज दिया गया। खबर है कि इस नाफरमानी के चलते अफसरों ने जिस थाना प्रभारी को वहां भेजा है वह कई दिनों से संकट पर चल रहे हैं। उनके सामने कानून व्यवस्था की कई बार स्थिति निर्मित हो चुकी है। जिसका सामना वे ही कर रहे हैं।

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