MP Scam News: वन विभाग के फर्जीवाड़े में फंसे आईएफएस अफसर की जांच पूरी, कार्रवाई की बजाय ठंडे बस्ते में मुख्यालय ने डाल दिया मामला, रेस्टोरेंट को होटल बताकर कमरों के बिल का हितग्राही किसानों की बजाय कर्मचारियों के खातों में कराया भुगतान
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भोपाल। भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्जनों आंदोलन करके सुर्खियों में आए समाजसेवी अन्ना हजारे का गांव रालेगढ़ सिद्धी किसानों के लिए अध्ययन करने का प्रमुख सेंटर हैं। लेकिन, मध्यप्रदेश वन महकमे के एक अफसर ने उसे कमाई का केंद्र बना दिया। यह बात वन विभाग मुख्यालय (MP Scam News) की तरफ से गठित जांच कमेटी ने साबित भी कर दी है। मामला प्रदेश के नर्मदापुरम जिले से जुड़ा है। समिति ने प्रदेश के एक आईएफएस और पांच कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध भी पाई है। जिसमें कार्रवाई करने की बजाय पूरे प्रकरण को ही दबा दिया गया है।
ऐसे हैं उन आईएफएस अफसर के कारनामे जिस पर मुख्यालय हो गया है मौन
प्रदेश में किसानों को प्रशिक्षण वन विभाग (Forest Department) की तरफ से दिया जाता है। जिसके लिए वन विभाग की तरफ से ग्रीन इंडिया मिशन (Green India Mission) के तहत राशि आवंटित होती है। इसी राशि में से 11 लाख 85 हजार रुपए का बंदरबाट कर लिया गया है। इसकी शिकायत के बाद आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं। आरोपों में आईएफएस अजय कुमार पांडेय (IAFS Ajay Kumar Pandey) फंसे हुए हैं। वे नर्मदापुरम (पुराना नाम होशंगाबाद) में डीएफओ (DAFO) थे। यह फर्जीवाड़ा 2019 में अंजाम दिया गया था। जिसका बहाना ग्रामीणों के दल को महाराष्ट्र (Maharashtra) के रालेगांव सिद्धी भ्रमण कराने का बनाया गया। राशि ईएसआईपी के तहत बीते वर्ष के अपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए जारी हुई थी उसे इस काम में लगा दी गइ। ऐसा करने से पूर्व किसी तरह की विभागीय मंजूरी ही नहीं ली गई। यह भ्रमण कार्यक्रम 21 से 27 जुलाई, 2019 के बीच हुआ था। प्रस्ताव बनाते वक्त राशि की व्यवस्था को लेकर जानकारी ही नहीं दी गई। ऐसा करके आईएफएस अधिकारी ने मंत्रालय के आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी। प्रतिपूर्ति भुगतान के नाम पर विभाग के आधा दर्जन कर्मचारियों के खातों में 4 लाख 79 हजार 765 रुपए का भुगतान कर दिया। जबकि वित्त विभाग भोपाल का आदेश क्रमांक एफ1-2/ 2013/ नियम/ चार भोपाल दिनांक 20/10/2013 की कंडिका-5 के अनुसार ई-भुगतान से राशि सीधे हितग्राहियों, सेवा प्रदायकर्ताओं, संस्थाओं और एजेंसी के बैंक खातों में जमा करने के निर्देश जारी थे। जिन किसानों को ले जाया गया उन्हें चाय-नाश्ता के नाम पर 3 लाख 58 हजार रुपए का भुगतान हुआ। जिसका भुगतान तत्कालीन प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी हरगोविंद मिश्रा (Forest Officer Hargovind Mishra) की महिला रिश्तेदार रंजीता तिवारी (Ranjeeta Tiwari) की मां जगदम्बा केटरिंग सर्विस (Maa Jagdamba Catering Service) पुरानी इटारसी के बैंक खाता में किया गया।
भ्रमण के बाद विभाग ने दी थी मंजूरी
इससे साफ है कि यात्रा व्यय के भुगतान में जमकर मनमर्जी चली। जबकि उप वन क्षेत्रपाल हरगोविंद मिश्रा के खात में 38165, वनपाल अजय श्रीवास्तव (Ajay Shrivastav) के खाते में 99 हजार रुपए, उप वन क्षेत्रपाल राजेंद्र परते (Rajendra Parte) , जीवन लाल यादव (Jeevan Lal Yadav) और वन रक्षक केसरीपाल (Kesripal) के खाते में 97 हजार पांच सौ रुपए जमा हुए। किसानों को शिर्डी के जिस सिंहगण होटल (Singhgan Hotel) में ठहराना बताकर भुगतान हुआ। वह होटल मंदिर के सामने है और उसमें कोई कमरा ही नहीं हैं। वहां चाय—नाश्ते की सामान्य होटल हैं। पिछले साल प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख ने 14 मार्च को एक चार सदस्यी जांच समिति बनाई थी। इसमें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक को अध्यक्ष बनाया था। दल में नर्मदापुरम (Narmadapuram) के वनवृत्त के वनसरंक्षक, वन संरक्षक कार्ययोजना इकाई नर्मदापुरम और उप वन मंडल अधिकारी सिवनी मालवा सदस्य थे। जांच टीम के प्रतिवेदन में शिकायतों को सही पाया गया। जिस राशि को भ्रमण में खर्च किया वह ईएसआईपी की कार्य आयोजना के लिए स्वीकृत थी। भ्रमण कार्यक्रम की मंजूरी 01 अक्टूबर 2019 को मिली। जबकि दल 27 जुलाई, 2019 को लौट आया था। भ्रमण में ले जाने से पूर्व कोई लिखित मंजूरी अपर मुख्य वन सरंक्षक ग्रीन इंडिया मिशन से प्राप्त ही नहीं की गई। भ्रमण में होने वाले खर्च का कोई दर निर्धारण होना भी नहीं पाया गया। तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी बानापुरा हरगोविंद मिश्रा ने भी बिना टेंडर और कोटेशन 99 हजार रुपए के बैग खरीद लिए। अजय कुमार पांडेय की प्रमाणकों के भुगतान करने के पहले परीक्षण नहीं करने का भी दोषी माना गया है। इस मामले में शामिल वन मंडल के लिपिकीय कर्मचारियों को भी अभी तक निलंबित नहीं किया गया है। उक्त घोटाले को लेकर भोपाल से प्रकाशित सांध्य दैनिक यश भारत ने विस्तृत समाचार दिया है। भ्रष्टाचार की यह रिपोर्ट सूर्यकांत चतुर्वेदी की मदद से उजागर हुई है।
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