Fake Naxalite Encounter : Chhattisgarh Assembly में पेश होने से पहले लीक हो गई रिपोर्ट

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सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों ने 17 ग्रामीणों को भूनकर मार डाला था, मरने वालों में 7 नाबालिग भी थे शामिल

Naxalites Surrender
सांकेतिक चित्र

रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) राज्य में 7 साल पहले हुए एनकाउंटर (Naxalite Encounter) की जांच रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई है। रिपोर्ट न्यायिक जांच आयोग (Justice Agrawal Commission) ने तैयार की थी। इसमें बताया गया है कि मारे गए 17 लोग नक्सली नहीं थे। वे ग्रामीण थे जो निहत्थे थे। इसमें से 7 नाबालिग मारे गए थे। यह फर्जी नक्सलाइट एनकाउंटर (Fake Naxalite Encounter) सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस ने किया था। रिपोर्ट लीक होने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति (Chhatisgarh Politics) में भूचाल आ गया है।

जानकारी के अनुसार यह एनकाउंटर (#Fake Naxalite Encounter) बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा इलाके में जून, 2012 में हुआ था। उस वक्त रमन सिंह (Former CM Raman Singh) सरकार हुआ करती थी। इस मामले में तत्कालीन रमन सिंह (#Raman Singh) सरकार ने जांच आयोग बैठाया था। इस आयोग ने अपनी जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली थी। इस एनकाउंटर में एक जवान भी मारा गया था। इसके अलावा 16 ग्रामीण शामिल थे। एनकाउंटर में 6 जवानों को जख्मी होना बताया था। रमन सिंह सरकार ने इसके लिए जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) से रिटायर जस्टिस वीके अग्रवाल (VK Agrawal) की अध्यक्षता में आयोग बनाया था। आयोग ने रिपोर्ट अक्टूबर, 2019 में सरकार को सौंप दी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षाबलों ने टारगेट करके यह गोेली चलाई। यह गोलियां ग्रामीणों के सिर पर मारी गई थी। मरने वाले 10 ग्रामीणों के पीठ पर रायफल की बट से चोट के निशान मिले थे।

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रिपोर्ट मीडिया में लीक होने के बाद बवाल मच गया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में विधानसभा (#Chhatisgarh Assembly) चल रही है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (@Raman Singh) ने कहा है कि आयोग की रिपोर्ट सदन में उजागर होनी थी। लेकिन, सरकार ने इसको सदन से पहले लीक कर दिया। उन्होंने सदन में इस मुद्दे को उठाने की बात मीडिया से की है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (#CM Bhupesh Baghel) हैं। जिन्होंने तत्कालीन सरकार की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट समेत कई अन्य विषयों पर रिपोर्ट जल्द पूरी करके सौंपने के आदेश दिए थे।

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एक अन्य एनकाउंटर पर भी है सवाल
बीजापुर (#Beejapur Fake Encounter) जिले का ही एनकाउंटर फर्जी नहीं हैं। एक अन्य एनकाउंटर को लेकर भी छत्तीसगढ़ (@Chhatisgarh) में बवाल मचा है। यह एनकाउंटर बीजापुर जिले के गंगलूर थाना क्षेत्र के एडेसमेटा गांव (Edesmeta Massacre) में हुआ था। इस मामले में छत्तीसगढ़ डीजीपी डीएम अवस्थी (#DGP DM Avsthi) ने गृह सचिव सीके खेतान (#CK Khaitan) को पत्र लिखकर सीबीआई में मामला दर्ज कराने की गुजारिश की थी। जिसके बाद मध्यप्रदेश के जबलपुर सीबीआई (#Jabalpur CBI) यूनिट ने इस मामले में प्रकरण दर्ज किया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में सीबीआई पर प्रतिबंध लगाया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे।

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क्या था मामला
छत्तीसगढ़ राज्य के बीजापुर जिले के गंगलूर थाना क्षेत्र के (#Edesmeta Massacre) एडेसमेटा गांव में 17 और 18 मई, 2013 की रात को आठ आदिवासियों और नक्सलियों से निपटने के लिए बनी कोबरा पुलिस फोर्स के एक जवान की मौत हुई थी। जिन आदिवासियों की मौत हुई थी वह मादिया और कोया जनजाति के थे।

पांच गवाह तलाश पाई पुलिस
मरने वालों में करीम सोमालू (35), पूनेम सोमू (30), बैज पॉन्डम (37), करम गुड्डू (10), करम मसा (16), करम बदरू (18) और पुनीम लक्कू (15) की मौत हो गई थी। स्थानीय पुलिस और कोबरा टीम का दावा था कि इन ग्रामीणों का इस्तेमाल (@Edesmeta Massacre) माओवादियों ने मानव ढ़ाल के रूप में किया था। हालांकि यह बात अफवाह साबित हुई थी। हंगामा बढऩे पर छत्तीसगढ़ राज्य की तरफ से जांच करने के लिए स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (#CG SIT) बनाई गई थी। यह टीम पांच साल तक जांच ही करती रही और केवल पांच गवाह ही तलाश पाई।

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