शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं : हाईकोर्ट

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दुष्कर्म के आरोपी को जमानत देते हुए कोर्ट ने की टिप्पणी

ओडिशा हाईकोर्ट, फाइल फोटो

कटक। (Odisha) दुष्कर्म के अनेक मामलों (Rape Cases) में देखने को मिलता है कि लंबे समय तक लिव इन (Live-in) में रहने वाली युवतियां पुरुष मित्र के खिलाफ बलात्कार (Rape) का मामला दर्ज करा देती है। कई मामलों में प्रेम प्रसंग (Love Affair) में आई दरार (Breakup) दुष्कर्म के मामलों में तब्दील हो जाता है। कई मामलों में युवतियां अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध (Physical Relation) बनाती है, फिर अन्य कारणों की वजह से रेप की शिकायत करा देती है। लगभग ऐसे सभी मामलों में पीड़िता (Rape Victim) का कहना होता है कि शादी का झांसा (false promise of marriage) देकर उसके साथ बलात्कार किया गया या शारीरिक शोषण किया गया। ऐसे ही केसेस को देखने के बाद ओडिशा हाईकोर्ट (Odisha High Court) ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है। यह टिप्पणी ओडिशा हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसके पाणिग्रही (Justice S K Panigrahi) ने एक मामले की सुनवाई करते हुई की।

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न्यायमूर्ति एस के पाणिग्रही ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि क्या बलात्कार कानूनों का उपयोग अंतरंग संबंधों को विनियमित करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से इस रिश्ते में प्रवेश करतीं हैं। न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने गुरुवार को एक निचली अदालत के आदेश को दरकिनार करते हुए एक बलात्कार के आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की।

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ओडिशा के कोरापुर जिले में एक 19 वर्षीय आदिवासी युवती ने एक छात्र के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। केस रिकॉर्ड के मुताबिक युवक और युवती दोनों एक ही गांव के रहने वाले है। दोनों के बीच करीब 4 साल से प्रेम-प्रसंग चल रहा था इस दौरान युवती दो बार गर्भवती भी हुई। युवती ने बाद में एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि युवक ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए और उससे वादा किया कि वह उससे शादी करेगा।

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महिला ने दावा किया कि आरोपी ने ही उसे गर्भपात की गोलियों का सेवन करके गर्भ गिराने के लिए मजबूर किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया, जो पिछले छह महीने से जेल में था। उच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस शर्त पर उसकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली कि वह अभियोजन में सहयोग करेगा और कथित पीड़िता को धमकी नहीं देगा।

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न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने अपने 12-पृष्ठ के आदेश में बलात्कार कानूनों पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि “बिना किसी आश्वासन के एक सहमतिपूर्ण संबंध स्पष्ट रूप से आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत अपराध को आकर्षित नहीं करेगा”।

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