Human Story : पुलिस को कैमरे में दिखा लेकिन भीतर तक झांक नहीं सकी पुलिस

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मासूम देवी ने किया ऐसा चमत्कार की कलेक्टर स्वयं अदालत में जमानत लेने पहुंची, मानव समाज को झकझोर देने वाली प्रदेश की एक सच्ची कहानी, मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचा मामला

Indian Society
सांकेतिक चित्र

भोपाल/सागर। भारतीय समाज में रसूख को ही आदर्श मानने वाले लोगों के लिए सिस्टम की मार झेल रहे परिवार की यह कहानी (Human Story) उनके मुंह में तमाचा हैं। मामला मंदिर की दानपेटी को तोड़कर उसमें से पैसे चुराने का है। इसमें पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करके अपनी ड्यूटी पूरी करना समझ लिया। लेकिन, बात मीडिया के पास पहुंची तो मानव समाज को झकझोर देने वाली कहानी सामने आई। यह मामला प्रदेश में फैलता उससे पहले कलेक्टर सक्रिय हो गए और उन्हें गलती का अहसास हुआ।
यह है मामला
प्रदेश में इन दिनों नवरात्र पर्व की धूम हैं। मंदिर सजे हैं और लोग अर्चना कर रहे हैं। इनमें से ही एक मंदिर सागर जिले में हैं। इस मंदिर को टिक्टोरिया नाम से पहचाना जाता है। इस मंदिर की दानपेटी से 250 रुपए चोरी गए थे। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई थी। रहली थाना पुलिस ने मामला दर्ज करके पड़ताल की। इसमें एक बच्ची दानपेटी से पैसे चुराते (Temple Theft) हुए दिखी। जिसकी पहचान होने के बाद उसको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे बालिका संप्रेक्षण गृह में भेजा गया। इस बीच मीडिया को खबर लगी। मीडिया को जब सच्चाई पता चली तो बच्ची की कहानी (Human Story) को बताया गया। जिसके बाद सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक को गलती का अहसास हुआ। अपनी कमजोरियों पर पर्दा डालने के लिए पूरा सिस्टम सक्रिय हो गया। मामला था भी कुछ ऐसा कि आप सुनेंगे तो हैरान हो जाएंगे।

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भूख के कारण चोरी
पुलिस ने जिस बच्ची को गिरफ्तार किया था उसकी उम्र महज 12 साल है। बच्ची की मां का निधन हो चुका है। वह अपने पिता के साथ घास के बने टपरे में रहती है। बच्ची को उसके पिता ने 10 किलो गेहूं पीसने के लिए दिए थे। वह आटा लेने गई तो उससे कहा गया कि उसका गेहूं चोरी चला गया है। इस बात से बच्ची डर गई। उसे लगा कि पिता उसको फटकार लगाएंगे। वैसे भी परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। इसलिए वह सीधे मंदिर पहुंची और वहां से 250 रुपए चोरी कर लिए। इसमें से उसने 180 रुपए का आटा खरीदा। बाकी रकम स्कूल बैग में रखकर घर आ गई। यह बात (Human Story)  मीडिया में प्रमुखता से आने के बाद कलेक्टर को गलती का अहसास हुआ। उसने बच्ची को जमानत दिलाने के लिए पहल की। इतना ही नहीं परिवार को रेडक्रास निधि से 10 हजार रुपए की आर्थिक मदद भी पहुंचाई।

समाज के लिए सबक
इस वक्त नवरात्र चल रहा है। तीन दिन बाद बच्चियों को तलाश कर हर घर में उसकी पूजा की जाएगी। उसके पैर पखारे जाएंगे। उसको भोजन कराकर दक्षिणा भी दिया जाएगा। लेकिन, एक बच्ची जो परिवार की भूख के लिए अपराध करने के लिए मजबूर हुई उसको लेकर भारत का सभ्य समाज सिस्टम को दोषी ठहराने लगता है। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने कैमरे को अंतिम सच मानकर भीतर जाकर पड़ताल कराना न्यायोचित नहीं समझा। यहां पुलिस के रवैये पर भी सवाल खड़े होते हैं। कम्यूनिटी पुलिसिंग करने का दावा करने वाली मध्यप्रदेश पुलिस को बच्ची के परिवार की खबर ही नहीं लगी।

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