MP Wild Animal Crime: एक साल बाद वन विभाग को अपनी जिम्मेदारी की आई याद

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आयकर विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के रिश्तेदार, राजनीतिक सलाहकार समेत उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर हवाला रैकेट के मामले में मारे थे छापे

अश्विन शर्मा के फ्लैट में ऐसे मिले थे शील्ड

भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) आयकर विभाग के एक साल पहले मारे गए छापे (Bhopal Income Tax Raid) का जिन्न फिर निकल आया है। यह छापे पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Ex CM Kamal Nath) और उनके राजनीतिक सलाहकारों से जुड़े व्यक्तियों पर मारे गए थे। इन्हीं में से एक थे अश्विन शर्मा (Ashwin Sharma), जिनके लग्जरी फ्लैट से वन्य प्राणियों वाली शील्ड (Wild Animal Shield) बरामद किए गए थे। इस मामले की जांच आयकर विभाग ने वन विभाग को करने के लिए सौंपी थी। जिसकी जांच को वन महकमे (Madhya Pradesh Forest Department News) ने बंद बस्ते में डाल दिया था। लेकिन, पिछले महीने मध्य प्रदेश में हुए राजनीतिक उलटफेर (Madhya Pradesh Political Scinario) के बाद सारा गणित ही बिगड़ गया। प्रदेश में सरकार कांग्रेस (Madhya Pradesh Congress) के हाथों से फिसलकर वापस भारतीय जनता पार्टी (Madhya Pradesh Bhartiya Janta Party) के हाथों चली गई। यह सत्ता परिवर्तन होते ही सरकारी विभागों के भी सुर बदल गए। विभाग को एक साल बाद याद आया कि अश्विन शर्मा (Ashwin Sharma Wild Animal Act Case) के यहां से बरामद शील्ड की जांच करनी है। इसलिए प्राथमिकी दर्ज करके वन विभाग की तरफ से बयान दर्ज करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में लॉक डाउन समाप्त होने के अगले दिन वन विभाग ने तलब किया है।

MP Wild Animal Crime
यह है वह शील्ड जो छापे के दौरान आयकर विभाग को मिली थी

कौन है अश्विन शर्मा

अश्विन शर्मा के पिता डॉक्टर चंद्रहास शुक्ला (Dr Chandrahas Shukla) जेपी अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर थे। पिता वर्ष 2000 में रिटायर हुए थे। पिता ने सेवानिवृत्त होने के बाद हर्षवर्धन नगर में मकान बनाया था। इसके अलावा बेटे को भोपाल के टीटी नगर स्थित हर्षवर्धन नगर में ही डीटीपी की दुकान शुरु कराई थी। इसी दौरान उसके राजनीतिक पहचान होती चली गई। उसका डीटीपी कारोबार तो नहीं चला लेकिन, वह एनजीओ की आड़ में राजनीतिक फायदे को भुनाने लगा था। राजनेताओं और ब्यूरोक्रेटस हुई नजदीकी का फायदा उठाकर तबादले भी वह कराने लगा था। यह रसूख इतना बड़ा कि वह कुछ साल बाद ही शहर की प्रतिष्ठित प्लेटिनम प्लॉजा में रहने चला गया। अश्विन शर्मा के यहां अप्रैल, 2019 में जब छापा मारा गया था उस वक्त कमल नाथ की सरकार थी। छापे के दौरान मध्य प्रदेश पुलिस और केंद्रीय पुलिस अफसरों के बीच झड़प भी हुई थी।

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कांग्रेस के लिए क्यों है परेशानी वाली बात

कांग्रेस ने सत्ता संभालते ही माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि (Makhanlal Chaturvedi University) के पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला (Brijkishore Kuthiyala) के बहाने संघ के नेताओं (RSS Leader) पर नकेल कसने का काम शुरु किया था। इसके अलावा रोहित हाउसिंग सोसायटी, ई—टेंडर समेत अन्य मामलों को लेकर भी कांग्रेस ने भाजपा को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया था। अब यह समय बदल गया है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है। उसने कांग्रेस के कार्यकाल के पुराने मामलों को निकालने का काम शुरु कर दिया है। इसकी शुरुआत अश्विन शर्मा से कर दी गई है। अश्विन शर्मा को भेजे नोटिस से साफ है कि वह उसकी आड़ में कांग्रेस के रसूखदार नेताओं के लिए मुश्किलें खड़े करने की शुरुआत हो गई है। दरअसल, प्रदेश में 24 सीटों पर उप चुनाव (Madhya Pradesh Bye Election) भी होना है। अश्विन शर्मा के यहां छापे से पहले आयकर की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री के निज सचिव रहे प्रवीण कक्कड़ (Pravin Kakkad) के इंदौर—भोपाल के ठिकानों पर छापे मारे गए थे। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार रहे आरके मिगलानी (RK Miglani) से अश्विन शर्मा के करीबी संबंध थे। हालांकि छापे के बाद अश्विन शर्मा ने मीडिया से यह कहा था कि वह कांग्रेस का नहीं बल्कि भाजपा का करीबी है। छापे के बाद करीब 16 करोड़ रुपए बरामद होने की जानकारी सामने आई थी।

यह है नोटिस का मतलब

जानकारी के अनुसार यह नोटिस भोपाल वन परिक्षेत्र उड़नदस्ते की तरफ से बुधवार को जारी किया गया है। नोटिस अश्विन शर्मा के प्लेटिनम प्लॉजा स्थित पते पर भेजा गया है। इसमें बताया गया है कि वन विभाग ने 20 मार्च, 2020 से जांच शुरु कर दी है। यानि जिस दिन कमल नाथ की रवानगी तय हुई थी उसी दिन अश्विन के खिलाफ यह कार्रवाई तेज कर दी गई थी। नोटिस में कहा गया है कि पिता ने 1973 में गुना से वन्य प्राणियों वाली शील्ड लेना बताया गया था। इसके संबंध में बकायदा अनुमति ली गई थी। लेकिन, विभागीय जांच में दस्तावेज नहीं मिले हैं। नोटिस में यह भी लिखा गया है कि शील्ड को गुना से भोपाल लाने के लिए भी किसी तरह का कोई अनुमति पत्र नहीं लिया गया है। इसलिए इस प्रकरण में बयान दर्ज करने के लिए 4 मई की दोपहर 12 बजे उप वन मंडल अधिकारी के कार्यालय में मौजूद रहे। मध्य प्रदेश में 3 मई तक लॉक डाउन है और उसके अगले दिन अश्विन शर्मा को तलब कर लिया गया है। इस आदेश की कॉपी भी सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हुई।

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अपील

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