Bhopal Property Fraud: दस महीने चक्कर काटने के बाद दर्ज हुआ मुकदमा

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Bhopal Property Fraud: रिटायर्ड डीजीपी ने काटा था जिस दुकान का फीता उसके मालिकाना हक को लेकर भेल का कर्मचारी फंसा

Bhopal Property Fraud
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। थानों में एफआईआर दर्ज कराना आसान नहीं हैं। मामला जालसाजी का हो तो वह नामुमकिन की श्रेणी में आ जाता है। ताजा मामला भोपाल सिटी के पिपलानी थाने से सामने आया है। यहां भेल की तरफ से आवंटित एक दुकान के मालिकाना हक को लेकर विवाद (Bhopal Property Fraud) हुआ है। जिस दुकान को लेकर डिस्प्यूट है उसका उदघाटन मध्यप्रदेश के डीजी एंड आईजी एन.नटराजन ने फीता काटा था। इस प्रकरण में कई चौका देने वाली जानकारियां पीड़ित को आरटीआई से मिली है। जिसके बाद भेल प्रशासन को भी इसमें क्लीनचिट नहीं दी जा सकती।

इसलिए उदघाटन करने गए थे डीजीपी

मध्यप्रदेश में डीजीपी आईजी रैंक के अधिकारी हुआ करते थे। इसलिए आईजी एन.नटराजन (IPS N.Natrajan) को यह मौका मिला था। वे दो बार मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग के प्रमुख बने थे। पहली बार 06 दिसंबर, 1986 से 23 फरवरी, 1988 तक डीजीपी रहे। दूसरा कार्यकाल 27 जनवरी, 1989 से 31 अक्टूबर, 1989 तक लगभग 09 महीने कार्यकाल पूरा किया। यह नाम इसलिए अभी याद किया जा रहा है, क्योंकि उनका नाम जालसाजी की एक एफआईआर की कहानी में सामने आया है। यह नाम क्यों आया यह भी हम आपको साफ कर देंगे। उससे पहले यह बता दे कि इस प्रकरण से उनका कोई लेना—देना नहीं है। मामला दुकान के मालिकाना हक को लेकर है। जिसका उदघाटन एन.नटराजन ने किया था। दरअसल, उनके बंगले में काम करने वाला एक कर्मचारी के रिश्तेदार की वह दुकान थी। इसलिए वे वहां गए थे। कर्मचारी और जिसकी दुकान है वह तमिल समाज के हैं।

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भेल आर्टिजन की पत्नी के खिलाफ एफआईआर

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भोपाल भेल गेट File Photo

पिपलानी थाना पुलिस के अनुसार 01 फरवरी की शाम लगभग सात बजे 92/22 धारा 420/467 (जालसाजी और दस्तावेजों की कूटरचना) का मुकदमा दर्ज किया है। इसमें शिकायत एस.आदिमूलम पिता बी.सुब्रमण्यम उम्र 48 साल ने दर्ज कराई है। वे अवधपुरी स्थित ऋषिपुरम फेज—2 के नजदीक दीप नगर में रहते हैं। प्रकरण में आरोपी आर.बेनिल्ला (R.Benilla) को बनाया गया है। वह शिकायत करने वाले पीड़ित की रिश्ते में भाभी है। एस.आदिमूलम ने बताया कि पिता भेल में भृत्य थे। पिता ने भेल की स्कीम के तहत 1985—86 में सेवानिवृत्ति ले ली थी। उस वक्त उन्होंने बरखेड़ा स्थित बजरंग मार्केट में दुकान खरीदी थी। इसके अलावा बड़े भाई एस.रामलिंगम (S.Ram Lingam) को भेल में जॉब भी दिलाई थी। वह भेल के सीएसएम विभाग में आर्टिजन ग्रेट—3 के पद पर तैनात हैं।

ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा

एस.आदिमूलम (S.Aadimulam) ने द क्राइम इंफो से बातचीत में बताया कि पिता ने जब यह निर्णय लिया था तब वह नाबालिग था। इसलिए दुकान उसके नाम पर नहीं ली। हालांकि दुकान छोटे बेटे के लिए ली थी। यह बात पिता ने अपनी डायरी में तमिल भाषा में लिखी है। यह दावा आदिमूलम ने किया है। उन्होंने बताया कि भाई एस. रामलिंगम दुकान का पूछने पर यह बताता था कि वह किराए की थी। लेकिन, दुकान के कई बार बिल उसने जमा किए थे। जिसमें पिता का नाम लिखा था। इसलिए बड़े भाई की बात पर शक गया। उसने सच्चाई का पता लगाने भेल में आरटीआई लगाई। जिसमें पता चला कि 2000 में रामलिंगम ने दुकान अपनी पत्नी आर.बैनिल्ला के नाम ट्रांसफर (Bhopal Property Fraud) करा ली। ऐसा करने के लिए उसके पिता के जाली हस्ताक्षर किए गए।

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इसलिए होता रहा परेशान

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थाना पिपलानी, जिला भोपाल— फाइल फोटो

एस.आदिमूलम ने बताया कि पिता वयोवृद्ध होने के साथ लकवा रोग से ग्रसित थे। जिसका फायदा उठाकर उसकी भाभी ने यह फर्जीवाड़ा किया। उसका आरोप है कि इसमें भाई की भी रजामंदी थी। लेकिन, उसको आरोपी नहीं बनाया गया। आरटीआई में दस्तावेज निकालने में काफी मशक्कत उसको करना पड़ी थी। इसके बाद एफआईआर दर्ज कराने में भी उतनी मुश्किलें झेलना पड़ी। दरअसल, दुकान जहां थी वह गोविंदपुरा थाना क्षेत्र में आती है। जबकि दुकान ट्रांसफर करते वक्त भेल प्रशासक कार्यालय में दस्तावेज दिए गए थे। इसलिए मामला पिपलानी का बताकर थाने के अफसर इधर—उधर पहुंचाते रहे। नतीजतन, पुलिस के अफसरों से शिकायत की गई तो मामला दर्ज (Bhopal Property Fraud) करने के आदेश दिए गए। अब पुलिस इस मामले में जांच के लिए दुकान से संबंधित दस्तावेज जब्त करेगी।

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