Fake CBI Officer: क्राइम ब्रांच ने रोका “स्पेशल 2” का मिशन

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Fake CBI Officer: यू ट्यूब में सीखा था नकली सील बनाने की तकनीक, मध्यप्रदेश समेत 3 राज्यों में लोगों को झांसा देकर ठग लिए करोड़ों रुपए

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इंदौर क्राइम ब्रांच की हिरासत में आरोपी विक्रम और शाहबुद्दीन जो खुद को सीबीआई का ऑफिसर बताते थे

इंदौर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore) से सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (CBI) के दो फर्जी अफसरों (Fake CBI Officer) को क्राइम ब्रांच (Crime Branch) नेे दबोचा है। आरोपियों के कब्जे से नकली सील, पहचान पत्र समेत कई अन्य चीजें जब्त हुई है। आरोपियों ने पूछताछ में प्रदेश समेत कई राज्य के लोगों से धोखाधड़ी (Fraud) करना कबूल लिया है। दोनों आरोपी अपने मिशन को जारी रखे हुए थे। पुलिस का दावा है कि जालसाजों के कई राज अभी उजागर होना बाकी है।

साथ देकर ठगी में शामिल

जानकारी के अनुसार एक आरोपी के तार पश्चिम बंगाल (West Bangal) से जुड़े हैं। आरोपियों को इंदौर के कोयला बाखल इलाके से हिरासत में लिया गया है। एक आरोपी पश्चिम बंगाल के कल्लन नगर में रहने वाला विक्रम गोस्वामी (Vikram Goswami) है। विक्रम 11वीं तक पढ़ाई की है लेकिन गैजेट्स का बहुत ज्यादा जानकर है। वह पहले दुर्लभ मुद्रा (Antik Currency) की खरीदी और बिक्री का काम करता था। पुलिस को पूछताछ में यह भी पता चला है कि उसकी दो बीवियां है। पहली पत्नी से उसका तलाक हो चुका है। विक्रम ने ही यू ट्यूब (You Tube) की मदद से नकली सील समेत अन्य दस्तावेज तैयार किए थे। दूसरा आरोपी पश्चिम बंगाल के पडनचोपुर इलाके में रहने वाला शाहबुद्दीन है। वह पहले सर्राफा बाजार में आभूषण पर पोलिश करने का काम करता था। वह विक्रम के झांसे में आ गया था। फिर उसके साथ देकर ठगी में शामिल हो गया था।

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जालसाज लोगों को ऐसे देते थे झांसा

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आरोपी विक्रम के कब्जे से जब्त सीबीआई अफसर का फर्जी आईडी कार्ड

आरोपियों के कब्जे से नकली सील, सीबीआई के फर्जी अफसर का परिचय पत्र के अलावा लैपटॉप, प्रिंटर समेत अन्य सामान जब्त किया गया है। आरोपी लोगों को कहते थे कि वह रेडियो एक्टिव पदार्थ बेचने का काम करते हैं। यह चावल को खींचकर उसको अलग करने के काम आता हैं। इसमें वह लोगों को निवेश कराने के लिए पैसा लेते थे। आरोपियों ने मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली के लोगों को झांसा देना कबूल चुके हैं।

स्कूल में भी फर्जी दस्तावेज
आरोपी लोगों को एक करोड़ दिलाने का झांसा देते थे। इसके पहले वह एडवांस में रकम लेते थे। पैसा लेने वालों से वह पुलिस वेरिफिकेशन में नेगेटिव रिपोर्ट आने पर काम नहीं मिलने की बात कहते थे। विक्रम की पहली पत्नी से तलाक हो चुका है। इसलिए बच्चों की जानकारी उसने स्कूल को दी थी। यह दस्तावेज भी उसने नकली बनाए थे।

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